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डरे कम्युनिस्टों की विद्वेषी चाल

by
Sep 12, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Sep 2016 14:40:48

केरल में संघ के बढ़ते व्याप से राज्य सरकार और कम्युनिस्ट परेशान हैं। जब उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा तो वे संघ की शाखाओं पर ही अंकुश लगाने की तैयारी कर रहे है

अश्वनी मिश्र

हाल ही में केरल सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए बाकायदा राज्य के कानून मंत्रालय से राय मांगी है। कानून मंत्रालय ने भी फुर्ती दिखाते हुए सरकार की राय पर प्रतिक्रया दी और ये सुझाव दिया कि वह मंदिरों में लगने वाली शाखाओं पर केरल पुलिस एक्ट की धारा-37 के तहत प्रतिबंध लगा सकती है। कानून मंत्रालय ने अपनी यह सिफारिश मुख्य सचिव को सौंप दी है। अब केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन के फैसले का इंतजार है।

दरअसल केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते व्याप से कम्युनिस्ट परेशान हैं। अभी तक वे केवल स्वयंसेवकों को निशाना बनाते थे, उनकी हत्या करते थे। लेकिन इस सबके बाद भी न तो केरल में स्वयंसेवक परेशान हुए और न ही उन्होंने इन घुड़कियों से संघ और संघ से जुड़े समविचारी संगठनों में सहभागिता करना छोड़ा। स्वयंसेवकों की इच्छाशक्ति और संघ प्रेम का यह परिणाम यह हुआ है कि संघ की अकेले केरल में ही सबसे अधिक शाखाएं लगती हैं। शाखा ही संघ की असली शक्ति है। हजारों की तादाद में हर दिन स्वयंसेवक इन शाखाओं में पहुंचते हैं और भारत माता का गुणगान करते हैं। लेकिन राज्य की माकपा नीत सरकार को ये शाखाएं आंखों में चुभ रही हैं। हर तरकीब अपना चुके कम्युनिस्टों ने थक- हारकर अब संघ की शाखाओं पर ही प्रतिबंध लगाने की तैयारी की है।

असल में बीते दिनों राज्य के देवासम बोर्ड के मंत्री कदकमपल्ली सुरेंद्रन ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था,''हर दिन संघ व उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ माकपा नीत राज्य सरकार के पास बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही हैं कि देवासम बोर्ड से जुड़े मंदिरों में इन संगठनों की ओर से अवैध गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। संघ परिवार राज्य में मंदिरों को 'हथियारों का गोदाम' बना रहा है और 'हथियारों का प्रशिक्षण देकर' श्रद्धालुओं को मंदिरों से दूर करने का प्रयास कर रहा है। इसलिए इस संबंध में समाज की आशंकाओं को दूर करना जरूरी है। सरकार इस पर रोक लगाने के लिए मजबूती से हस्तक्षेप करेगी।''  

तो वहीं राज्य कानून मंत्रालय के सचिव बीजी हरिंद्रनाथ का इस पूरे मामले पर कहना है,''केरल पुलिस एक्ट की धारा 73 के तहत मंदिर परिसर में शारीरिक गतिविधियां, प्रशिक्षण या आत्मरक्षा के प्रशिक्षण की अनुमति नहीं है।''

राज्य के एक मंत्री की पोस्ट और उनके द्वारा कानून मंत्रालय से राय मांगने के बाद केरल में एक बार फिर से राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए। इस पूरे मामले पर राज्य भाजपा के अध्यक्ष कुमन्नम राजशेखरन ने देवासम मंत्री को अपनी टिप्पणी साबित करने की चुनौती दी है। श्री शेखरन ने कहा,''मैं राज्य सरकार को चुनौती देता हूं कि वह मंदिर में छापे डालकर मंत्री के आरोपों को साबित करके दिखाए। राज्य के मंत्री कहते हैं कि संघ राज्य के मंदिरों को 'हथियारों का गोदाम' बनाए हुए है। मंत्री के इस बयान की जितनी भी निंदा की जाये, कम है।'' उन्होंने कहा,''मंदिर समितियों की ओर से ऐसी कोई भी शिकायत नहीं की गई है। फिर किसने बताया कि संघ व इससे जुड़े संगठन मंदिरों में अराजक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। संघ सिर्फ चार दीवारों तक सीमित नहीं है, वह हर जगह है। यह सोचना मूर्खतापूर्ण होगा कि राज्य सरकार का कोई मंत्री संघ की गतिविधियों पर अंकुश लगा सकता है।'' श्री शेखरन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि असल में माकपानीत सरकार का उद्देश्य इन मंदिरों में पार्टी गतिविधियों को संचालित करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने का है। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि आज संघ पर मंदिरों में अवैध गतिविधियों के संचालन का आरोप लगा रहे हैं वह अपने गिरेबां में झांककर नहीं देखते। साल 2000 में सीपीआई(एम) के तीन कार्यकर्ता थालासेरी में एक मंदिर के अंदर बम बनाते समय मारे गए थे। अब सरकार ही बताए कि आखिर मंदिरो के अंदर 'हथियारों का गोदाम' कौन बना रहा है?

केरल में राज्य की पिनारयी विजयन सरकार को बने हुए मात्र 100 दिन हुए हैं। इतने दिन में उसकी उपलब्धि यह है कि उसकी सरकार में 300 से ज्यादा छोटी-बड़ी राजनीतिक हिंसा की घटनाएं घट चुकी हैं।   

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