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हाल ही में चार प्रदेशों में चार घटनाएं घटीं। बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश। चारों घटनाएं उन्माद से प्रेरित और समाज को तोड़ने वाली थीं। आखिर क्या कुछ लोगों का काम सिर्फ शांतिपूर्ण सामाजिक ताने-बाने को तोड़ना भर है। इन घटनाओं पर पटना से संजीव कुमार, प्रयाग से हरिमंगल, मध्य प्रदेश से अनिल सौमित्र एवं ओडिशा से पंचानन अग्रवाल की रिपोर्ट
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि भले ही एक कुशल प्रशासक के रूप में प्रचारित की जाती हो लेकिन पिछले कुछ समय से राज्य की कानून-व्यवस्था की हालत खस्ता है। सांप्रदायिक व जातिगत ताना-बाना बिखर रहा है। बिहार इन दिनों छपरा में हुए सांप्रदायिक तनाव को लेकर चर्चा में है। घटना की शुरुआत मकेर निवासी मुबारक अली (सिपाही) की पोस्ट से शुरू हुई। उसने परसा के एक मंदिर के गर्भगृह में पेशाब करते हुए एक वीडियो बनाया और फिर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। कुछ समय में ही यह पोस्ट वायरल हो गया। जिसने भी देखा उसके आक्रोश का ठिकाना न था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया,''जब 3 अगस्त को स्थानीय लोगों ने वायरल हुए वीडियो की शिकायत मकेर थानाध्यक्ष से की तो उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने से साफ मना कर दिया। टाल-मटोल का रवैया अपनाते हुए उन्होंने सिर्फ यही कहा कि यह घटना परसा में घटी है इसलिए परसा के थानाध्यक्ष प्राथमिकी दर्ज करेंगे। लेकिन जब लोग परसा पहुंचे तो वहां के थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया।'' वे कहते हैं कि प्रशासन के इस रवैये से आहत लोगों का गुस्सा भड़कने लगा। 5 अगस्त को स्थानीय लोगों ने आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करने और सख्त से सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया।
घटना धीरे-धीरे जिले के सभी हिस्सों में पहुंच गई। मकेर में पारंपरिक जलढरी (प्रतिमा पर जल चढ़ाने की विधि) को भी प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया। परंतु शिक्षाविद् रामदयाल शर्मा ने प्रशासन को चेताते हुए कहा,''अगर जलढरी को रोका गया तो इसका बुरा असर हो सकता है।'' फिर भी प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। अंतत: लोगों ने अपने बल पर जलढरी का कार्यक्रम प्रारंभ किया। इस दौरान पुलिस चौकस रही और कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।
पर 6 अगस्त से छपरा अशांत हो गया। छपरा जिले के अन्य हिस्सों में भी पुलिस की एकतरफा कार्रवाई की निंदा होने लगी। लोगों का गुस्सा उफान पर आ गया। सोनपुर से लेकर एकमा तक और परसा से मलमलिया तक पूरा जिला अशांत हो गया। पटना से जाने के क्रम में आमी के समीप वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कुंदन कृष्णन के पर भीड़ ने पत्थरबाजी की। आक्रोशित भीड़ को देखते हुए शहर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया। फिर भी आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा था और कई इलाकों में हिंसक वारदातें घटीं। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए 5 अगस्त से ही तीन दिन के लिए जिले में इंटरनेट सेवा बाधित कर दी थी।
एक प्रत्यक्षदर्शी विवेक वर्मा कहते हैं,''6 अगस्त को घटना के विरोध में विश्व हिन्दू परिषद् एवं बजरंग दल ने छपरा बंद का आह्वान किया। बंद के दौरान शहर में बजरंग दल और विहिप द्वारा निकाले जा रहे जुलूस पर करीमचक खनवा के पास उन्मादी तत्वों ने पहले तो पथराव किया उसके बाद पेट्रोल बम से भी हमला किया।'' यह खबर जैसे ही हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को मिली स्थिति और बिगड़ गई। शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए केंद्रीय सुरक्षाबल व आईटीबीपी के जवानों ने मोर्चा संभाला। राज्य सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आलोक राज और पुलिस महानिरीक्षक कुंदन कृष्ण को सारण में रहकर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कहा। मुजफ्फरपुर के क्षेत्रीय पुलिस महानिदेशक समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी छपरा में डेरा जमाये रहे। छपरा के बाहुबली राजद नेता व पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने भड़काऊ बयान देकर हिंसा को और तूल देने का काम किया जिससे उपद्रवियों को और प्रोत्साहन मिल गया। वहीं 8 अगस्त को पूजा करने जा रही कुछ महिलाओं पर शहर के नया बाजार में उपद्रवियों ने छींटाकशी की। महिलाओं ने शरारती तत्वों की शिकायत जब अपने परिवार में की तो परिवार के लोगों ने विरोध व्यक्त किया। विरोध करने वाले व्यक्तियों पर उपद्रवियों ने तलवार से हमला किया। हमले में 26 वर्षीय अर्जुन कुमार का कंधा टूट गया तो मीरा देवी (32) व रेशमी देवी(35) सहित कई अन्य महिलाएं भी बुरी तरह घायल हुईं। इस घटना के विरोध में हथुआ बाजार से लेकर साहेबगंज, सोनारपट्टी आदि जगहों की दुकानें बंद हो गईं। इसके उलट रिविलगंज में अफवाह फैल गई कि बहुसंख्यक समाज ने मस्जिद पर हमला किया है। प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए नया बाजार में तो कोई गिरफ्तारी नहीं की थी लेकिन रिविलगंज में फैली अफवाह पर कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं मशरख प्रखंड के धरमासती गंडामन गांव में उपद्रवियों ने जमकर हंगामा किया। धरमासती का इलाका पुलिस छावनी में बदल गया। जिले में अबतक डेढ़ दर्जन से अधिक प्राथमिकी दर्ज हो चुकी हंै और करीब 36 लोग गिरफ्तार हुए हैं। जिलाधिकारी दीपक आनंद ने अगले आदेश तक इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी। वहीं आपत्तिजनक वीडियो डालने वाले आरोपी मुबारक अली के विरुद्ध न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पुलिस अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। घटना के बाद आमजन में इस बात को लेकर गुस्सा है कि कमलेश तिवारी प्रकरण में तो आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन मुबारक अली पर इतनी देरी क्यों?
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उन्माद फैलाने वाली कमोबेश लगभग एक जैसी घटनाएं घटीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही 'सबका साथ, सबका विकास' की बात कर रहे हों, लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग इसे अस्वीकार कर रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में मदरसों में बच्चों को दिया जाने वाला मिड-डे मील विवादित हो गया है। गौरतलब है कि उज्जैन शहर के 56 मदरसों ने मिड-डे मील लेने से इंकार कर दिया है, जिससे मदरसे के बच्चों को 1 अगस्त से मध्याह्न भोजन नहीं मिल पा रहा है। एक अगस्त से मध्याह्न भोजन का ठेका बीआरके फूड लिमिटेड और मां पार्वती महिला मंडल को दिया गया था। उससे पहले इस्कॉन मंदिर से जुड़ा एक ट्रस्ट यह जिम्मेदारी निभा रहा था। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों का आरोप था कि यह खाना भगवान को भोग लगाने के बाद बच्चों के पास भेजा जाता था, जो इस्लाम के खिलाफ है।
बहरहाल, अब मुस्लिम तबके के ही कुछ लोग इस कट्टर और संकुचित सोच पर आपत्ति दर्ज करा रहे हैं। ग्वालियर ईदगाह कंपू के इमाम ने उज्जैन के मदरसा संचालकों के फैसले पर कड़ी आपत्ति करते हुए कहा,''अगर मदरसा संचालक मिड डे मील लेने से मना कर रहे हैं, तो उन्हें सरकार से मिलने वाले रुपयों को भी नहीं लेना चाहिए।'' मध्याह्न भोजन को भगवान के भोग लगाने वाले बयान पर उन्होंने कहा,''किसान जब खेत में अनाज बोता है तो सबसे पहले भगवान को चढ़ाता है फिर उसके बाद अनाज सभी जगह जाता है।'' युवा रंगकर्मी और म़ प्ऱ राज्य हज समिति के सदस्य सरफराज हसन के अनुसार मिड-डे मील मसले पर मदरसा संचालकों ने जाहिलाना हरकत की है। हसन ने उन मदरसा संचालकों को धिक्कारते हुए कहा,'' .़.़ हिकमत, तहजीब और मुल्क से मोहब्बत की बजाये अपने ही मुल्क और मुल्क से मिल रही अनगिनत सहूलियतों को आप जैसे लोग लज्जित कर रहे हो। यही बातें हमारे दीन के लिये दूसरे समुदायों के दिलों में गुस्सा और नफरत बढ़ाने की वजह बनती है।''
मदरसा संचालकों की संकुचित सोच पर वरिष्ठ पत्रकार और मध्य प्रदेश राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष महेश श्रीवास्तव कहते हैं, '' रोटी से मजहब को जोड़ने की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति निर्मित हुई है। ऐसा केवल अपने ही देश में हो सकता है, जहां संवेदनशील, मानवीय चिंताओं से प्रेरित एक लोक-कल्याकारी प्रयास के बारे में इस प्रकार की कुंठित मानसिकता एवं मजहब के नाम पर बच्चों के प्रति अन्याय करने वाला कदम उठाया जा सके।'' वे कहते हैं,''विज्ञान और सकारात्मक चिंतन के आधुनिक युग में इस प्रकार के निर्णय लेना समाज, राष्ट्र एवं स्वयं उस वर्ग के लिये भी घातक है जिसका प्रतिनिधित्व मध्याह्न भोजन पर रोक लगाने वाले लोग कर रहे हैं।''
ठीक ऐसी ही घटना उ.प्र. के इलाहाबाद में घटी। महज कुछ माह पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ.डी.वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत शर्मा की खंडपीठ ने अलीगढ़ के एक मामले में एक आदेश जारी किया था कि राष्ट्रगान और ध्वजारोहण का सम्मान हर विद्यालय में होना चाहिये चाहे वह मदरसा हो या अंग्रेजी स्कूल। किसी को यह पता नहीं था कि न्याय की नगरी माने जाने वाले प्रयाग में भी राष्ट्रीय गरिमा और अस्मिता को पैरों तले रौदा जा रहा है। इसलिये जब यह खुलासा हुआ कि नगर के सदियाबाद बघाड़ा स्थित एम़ ए कॉन्वेंट स्कूल में प्रबंधक जिया उल हक की शह पर राष्ट्रगान पर प्रतिबंध लगा हुआ है तो स्थानीय लोगों में आक्रोश फैलना स्वाभाविक था। प्रशासन भी हैरत में था, लेकिन सवाल बच्चों के भविष्य से जुड़ा था इसलिये उसने भी फंूक-फंूक कर कदम बढ़ाये। घटना की सत्यता जानने के बाद प्रशासन ने स्कूल प्रबंधक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, और स्कूल को बंद करने के लिये सिटी मजिस्टे्रट की अध्यक्षता में समिति बना दी गयी। घटना ने शिक्षा विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन के अभिसूचना तंत्र पर सवालिया निशान लगा दिया है।
नगर के सदियाबाद बघाड़ा स्थित स्कूल का यह मामला कुछ शिक्षिकाओं के साहस भरे कदम से सामने आ सका। प्रधानाध्यापिका ऋतु त्रिपाठी अपनी सहयोगी शिक्षिकाओं के साथ स्वतंत्रता दिवस की तैयारी में राष्ट्रगान, वन्देमातरम्, सरस्वती वन्दना आदि को कार्यक्रम में शामिल करना चाहती थीं लेकिन स्कूल प्रबंधक जियाउल हक ने इनको शामिल करने तथा उसके पूर्वाभ्यास की अनुमति भी नहीं दी। राष्ट्रगान गाये जाने की अनुमति नहीं मिली तो नाराज प्रधानाध्यापिका सहित सभी आठ शिक्षिकाओं ने स्कूल जाना छोड़ दिया। मामला मीडिया में आया तो प्रशासन ने कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। शासन के आदेश के बाद जागे स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग ने अपनी कार्रवाई प्रारम्भ की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। इसी बीच स्थानीय लोगांे के साथ तमाम सामाजिक संगठनों के लोग भी स्कूल पहुंच कर अपना विरोध प्रदर्शन करने लगे तो प्रबंधक के लोग भी एकजुट हो गये और मारपीट करने लगे । मामले को तूल पकड़ता देख प्रशासन ने स्कूल प्रबंधक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। इस मामलें में पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेश यादव ने बताया,'' प्रबंधक के विरुद्ध कर्नलगंज थाने में राष्ट्रगान के अपमान तथा धोखाधड़ी से संबंधित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।''मामले में जांच के समय सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह आया कि यह स्कूल 1995 से बिना किसी मान्यता के चल रहा है और शिक्षा विभाग जो कि प्रत्येक वर्ष ऐसे स्कूलों के विरुद्ध अभियान चला कर कार्रवाई करता है, उसे पता ही नहीं है। इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कार्यवाहक जिलाधिकारी आंद्रा वामसी का कहना है, ''स्कूल बिना मान्यता के चलाया जा रहा था जिसे बंद कराया जा रहा है तथा इस प्रकरण की गंभीरता से जांच करायी जायेगी।'' लेकिन नतीजा क्या निकलेगा, यह समय बताएगा।
रथ पर फेंका मांस
ओडिशा के बालेश्वर जिले के रेमुणा में कुछ शरारती तत्वों ने पिछले दिनों बाहुड़ा यात्रा (रथयात्रा के बाद वापसी यात्रा) में लौटते समय रथ पर कटा मांस फेंका। इस बात की खबर जैसे ही हिन्दुओं को हुई लोगों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। पुलिस ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर मांस फेंकने के आरोप में एक मुस्लिम युवक मीर नूरउद्दीन (30)को गिरफ्तार किया है। यही आरोपी पिछले दिनों एक दुष्कर्म के मामले में जेल जा चुका है और 30 जून को ही जमानत पर बाहर आया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसने क्षेत्र में अशंाति और दंगा फैलाने के लिए भगवान के रथ पर मंास के टुकड़े फेंके।
छात्रों के लिये आगे आई विद्या भारती
एम़ ए. कॉन्वेंट स्कूल सदियाबाद और उसकी दूसरी शाखा मेंहदौरी में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों के भविष्य पर छाये संकट के बादल छंटते प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि इन स्कूलों में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों के प्रवेश के लिये विद्या भारती संस्था आगे आई है। पिछले कुछ दिनों से बंद इन दोनों स्कूलों के अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर खासे परेशान थे और प्रशासन एवं शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें कोरा आश्वासन दिया जा रहा था। इस पूरे मामले पर विद्या भारती, काशी प्रांत के निरीक्षक चिन्तामणि सिंह कहते हैं, ''अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश ज्वालादेवी सरस्वती विद्या मन्दिर इन्टर कालेज, गंगापुरी रसूलाबाद एवं ज्वालादेवी सरस्वती बालिका विद्या मन्दिर मम्फार्ेड़गंज में करा सकते हैं।'' इसी प्रकार सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर ,ओम गायत्री नगर के प्रबंधक जी़ ड़ी यादव ने भी कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों का प्रवेश लेने की घोषणा की है। यादव ने अगस्त तक की फीस भी छोड़ने की बात कही है।
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