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सहारनपुर। कभी दारुल उलूम देवबंद के निशाने पर रहे मुम्बई के विवादित इस्लामवादी प्रचारक जाकिर नाइक के लिए अब उसी संस्था का रुख पूरी तरह सेे बदल गया है। उनके नजरिए में आया यह बदलाव आश्चर्य जनक तो है ही, साथ ही देश की मुस्लिम संस्थाओं और उनके विद्वानांें की नई रणनीति की ओर भी संकेत करता है।
दारुल उलूम के जनसंपर्क अधिकारी अशरफ उस्मानी मानते हैं कि यह संस्था पूर्व में डा. जाकिर नाइक के खिलाफ फतवे जारी कर चुकी है। उनके मुताबिक जाकिर नाइक के प्रवचन और सोच इस्लाम की किसी भी विचारधारा के तहत नहीं आते है। वे किसी भी विचारधारा के इमाम के मानने वाले नहीं हैं। उनकी अपनी सोच और इस्लामिक व्याख्याएं हैं। इसलिए दारूल उलूम उनका समर्थन नहीं कर सकता और मुसलमानों को जाकिर के विचारों को न सुनना चाहिए, न पालन
करना चाहिए।
किन्तु अशरफ उस्मानी अब कहते हैं कि डॉ. जाकिर नाइक से भले ही उनका वैचारिक मतभेद क्यों न हो लेकिन उन्हें देश और दुनिया के लिए एक खतरनाक व्यक्ति के तौर पर घोषित किए जाने का यह संस्था बिल्कुल भी समर्थन नहीं कर सकती। इसलिए संस्था के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी की ओर से यह साफ किया गया कि उनके फतवों को जाकिर नाइक के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल न किया जाए।
दारुल उलूम के ताजा रुख को ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले दिनों देवबंद से दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकी को लेकर भी देवबंदी और बरेलवी एक साथ खडे़ हो गए थे तब परस्पर कट्टर विरोधी इन दोनों विचारधाराओं के उलेमा के बीच सहमति बनी थी कि अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद दोनों फिरके मुस्लिमों के मामलों को लेकर मिलकर आवाज उठाएंगे और किसी को भी यूं ही अधर में नहीं छोडेेंगे। नाइक के अब भारत की खुफिया एजंेसियों के निशाने पर आ जाने के बाद मुस्लिम संस्थाएं एकाएक उसके पक्ष में लामबंद होना शुरू हो गई हैं। देवबंदी उलेमा जाकिर नाइक के खिलाफ एक शब्द भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
देवबंदी मसलक के सामाजिक एवं मजहब संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद गुट) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी भी कहते हैं कि वैचारिक मतभेदों के बावजूद हम इस बात के पक्षधर नहीं है कि जाकिर नाइक की दहशतगर्दी को बढावा देने में भूमिका है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
दारुल उलूम के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने जाकिर नाइक को इस संस्था से जोड़कर मीडिया में आ रही खबरों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बिना जांच के किसी को दोषी मान लेना ठीक नहीं है। – सुरेन्द्र सिंघल
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