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ढाका के सुरक्षित इलाके के रेस्तरां में 9 जिहादी हमलावरों का बेखौफ घुस आना और लोगों को बंधक बनाकर 20 गैर मुसलमानों की बर्बर हत्या करना आइएसआइएस के बढ़ते दायरे और खतरनाक मंसूबों की तरफ एक संकेत करता है, जिसे वक्त रहते पहचानना होगा
लोकेन्द्र सिंह
सात जुलाई की सुबह बंगलादेश का उत्तरी किशोरगंज जिला बम धमाके से गुज उठा। ईद के दिन नमाज में शामिल करीब 2 लाख लोगों से भरे मैदान के पास अजीमुद्दीन स्कूल पर जिहादी हत्यारों ने हमला बोला था। अपुष्ट समाचारों के अनुसार, हमले में कई लोग घायल हुए हैं और कम से कम चार लोगों की मौत हुई है। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक हमलावर ढेर कर दिया गया है।
इससे पूर्व एक जुलाई को रमजान के आखिरी जुमे के दिन लगातार बुलंद हो रहे नारे 'अल्लाहू-अकबर' ने शायद ही ढाका के उच्च सुरक्षा वाले गुलशन इलाके में स्थित होली आर्टीजन बेकरी रेस्तरां में बैठे लोगों के रोंगटे खड़े किए हों। लेकिन, जब ये नारे लगाने वाले काले साये सामने आए, तो सबके पैरों तले जमीन खिसक गई। रात करीब 9.20 बजे पूरा इलाका गोलाबारी और बम धमाकों से दहल गया। 9 आतंकियों ने करीब 40 लोगों को बंधक बनाया जिनमें से 20 नागरिकों की हत्या कर दी। जिनकी हत्या की गई, उनमें भारत की बेटी तारुषि जैन सहित ज्यादातर विदेशी नागरिक थे। आतंकियों की बर्बरता को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि उन्होंने लोगों को गोली या बम से नहीं, बल्कि चाकू से गला रेतकर मारा।
राजधानी ढाका के इस संवेदनशील क्षेत्र में हुए इस हमले को भारत के मुम्बई में होटल ताज पर हुए 26/11 के आतंकी हमले जैसा बताया गया है। इस हमले से खूंखार आतंकी संगठन आईएस ने बंगलादेश में अपनी उपस्थिति का संदेश दे दिया। आईएस ने चार घंटे बाद इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। हालांकि बंगलादेश सरकार का दावा है कि ढाका हमले के पीछे जमात-उल-मुजाहिद्दीन बंगलादेश (जेएमबी) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है।
बहरहाल, भारत से करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर ढाका के उच्च सुरक्षा वाले इलाके में आतंकी हमला बंगलादेश से कहीं अधिक भारत के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि, आईएस हो या अलकायदा, दोनों के निशाने पर भारत है। भारत पर हमला करने के लिए आईएस बंगलादेश को अपना आधार बनाना चाहता है। इसलिए बंगलादेश में आतंकियों की उपस्थिति से भारत के माथे पर बल पड़ना स्वाभाविक है।
आतंकी जिस रात रेस्तरां में गोलाबारी कर रहे थे, ठीक उसी दिन सुबह बंगलादेश के झेनैदाह जिले में पूजा के लिए फूल चुन रहे हिन्दू पुजारी श्यामोनदा दास की बड़ी बेरहमी से गला रेतकर तीन मुस्लिम युवकों ने हत्या कर दी थी।
हमले के 13 घंटे बाद यानी शनिवार सुबह जब आतंकियों के खिलाफ कंमाडो अपरेशन खत्म हो रहा था, तब भी एक हिन्दू पुजारी पर हमला किया गया था। गौरतलब है कि बंगलादेश में पिछले दो-तीन साल से उदारवादी लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित अल्पसंख्यकों, खासकर हिन्दुओं की सुनियोजित तरीके से हत्याएं की जा रही हैं। ढाका हमले और पिछले दो साल में हुई वारदातों को आपस में जोड़कर देखने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर हत्याओं की जिम्मेदारी आईएस ने ली है। लेकिन, बंगलादेश सरकार हर बार आईएस की मौजूदगी से इनकार करती रही है और घटनाओं में घरेलू जिहादी संगठनों का हाथ बताती रही है। आंखों पर पर्दा डालने की सरकार की इसी आदत का परिणाम ढाका हमला है।
सरकार ने यदि समय रहते आईएस के कदमों की आहट सुन ली होती, तब शायद ढाका हमले को टाला जा सकता था। लेकिन, आतंकवाद और चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने राजनीतिक नफे-नुकसान के हिसाब के फेर में यहां चूक गईं। चूंकि स्थानीय आतंकी समूह लगातार अवामी लीग की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए सरकार का पूरा ध्यान इन गुटों पर ही केन्द्रित रहता है। प्रधानमंत्री हसीना के राजनीतिक सलाहकार हुसैन तौफीक इमाम ने भी इस बात की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा है कि जेएमबी और आईएसआई के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों मिलकर बंगलादेश सरकार को अपदस्थ करना चाहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक ने भी एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में माना है कि ढाका हमले में जेएमबी का हाथ है। जेएमबी बंगलादेश में इस्लामिक राज्य की स्थापना चाहता है। युद्ध अपराधों की सजा में अपने शीर्ष नेताओं को फांसी पर चढ़ाए जाने से नाराज जमात बंगलादेश में अस्थिरता फैलाने में लगा हुआ है। भौमिक ने माना कि जमात बंगलादेश में सभी जिहादी समूहों का सरपरस्त संगठन है। उसका पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी का रवैया रहा है। इसी तरह, रक्षा विशेषज्ञ अभिजीत भट्टाचार्य भी कहते हैं कि आईएस कोई केंद्रित आतंकी संगठन नहीं है। उसके पास बस पैदल लड़ाके हैं। साजिश कोई दूसरा रच रहा है। जिन देशों में इस्लामिक स्टेट अभी पनपने की कोशिश कर रहा हो, वहां इतना सुनियोजित हमला करने में आईएस का हाथ हो, इस बात की संभावना कम ही नजर आती है। भट्टाचार्य के मुताबिक, इन हमलों में दिमाग आईएस का है। बहरहाल, हमलावर संगठन को लेकर यह अस्पष्टता इसलिए भी है क्योंकि हमले की जिम्मेदारी आईएस और अलकायदा दोनों ने ली है। लेकिन, ढाका हमले को जिस तरह से अंजाम दिया गया है, उसे देखकर आईएस की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। आईएस का दावा इसलिए भी अधिक मजबूत जान पड़ता है क्योंकि उसने अपनी समाचार एजेंसी अमाक के माध्यम से रेस्टोरेंट के अंदर की फोटा भी जारी की हैं। इस हमले में स्थानीय आतंकी संगठनों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं किया जा रहा है, लेकिन आईएस की तरफ से आंख फेर लेना भी ठीक नहीं है। क्योंकि, यह भी संभव है कि बंगलादेश में अपना जिहादी आधार बनाने के लिए आईएस स्थानीय गुटों का सहयोग ले रहा हो। इसलिए आईएस को लेकर जरा-सी लापरवाही बंगलादेश को महंगी पड़ सकती है। वैसे, पहले से ही बंगलादेश में मजबूत हो रहे दूसरे चरमपंथी गुट भारत के लिए भी चिंता का विषय हैं। बंगलादेश में उदारवादी ताकतों पर हावी हो रहे चरमपंथियों पर दुनिया का ध्यान केन्द्रित नहीं होने से आईएस अपने लिए इनका उपयोग खाद-पानी की तरह कर रहा है।
भारत के नजदीक आया आईएस
सब जानते हैं कि चूंकि पाकिस्तान और बंगलादेश में मुस्लिम आबादी अधिक है इसलिए आईएस पाकिस्तान और बंगलादेश के कट्टरवादी मुसलमानों को अपने प्रभाव में लेकर आसानी से भारत के खिलाफ भड़का सकता है। इसीलिए वह सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहा है। भारत के हैदराबाद में पकड़े गए पांच आतंकियों ने भी इस बात का खुलासा किया है कि आईएस सांप्रदायिक दंगे भड़काकर मुसलमानों को अपने साथ जोडना चाहता है। वहीं, ऑनलाइन पत्रिका 'दबिक' को अप्रैल में दिए साक्षात्कार में इस षड्यंत्र का खुलासा आईएस के आतंकी और बंगलादेश में बंगाल खलीफा के सरगना शेख अबु इब्राहिम अल-हनीफ ने किया है। उसने कहा है कि आईएस एक बार जब बंगाल (बंगलादेश) में अपने जिहादी ठिकाने बना लेगा तो इसके बाद वह पूर्व और पश्चिम से भारत पर हमला करेगा। दरअसल, भारत और बंगलादेश के बीच चार हजार किलोमीटर की लम्बी सीमा है। समूची सीमा पर कटीले तारों की बाड़ नहीं होने से बंगलादेश से लगातार अवैध घुसपैठ होती रहती है।भारत में घुसने के लिए आईएस बंगलादेश को प्रवेश द्वार बनाना चाहता है। उधर, उसने बंगलादेश और भारत के कट्टरवादी मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ जिहाद के लिए उकसा रखा है। भारत की सीमा से कुछ सौ किमी की दूरी पर ढाका के सुरक्षित और प्रतिष्ठित क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट ने हमला करने चेतावनी दी है। भारत सरकार को इस चेतावनी को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए।प्रधानमंत्री हसीना ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि यह कैसे मुसलमान हैं जो रमजान के दौरान दूसरे इंसानों को मार रहे हैं। बंगलादेश की धरती पर किसी भी आतंकी संगठन को पनपने नहीं दिया जाएगा। यदि बंगलादेश आतंकवाद से आर-पार की लड़ाई की योजना बनाता है, तब भारत उसका सहयोग कर सकता है। इस्लामिक स्टेट को रोकने और उसके खात्मे के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे का सहयोग आवश्यक है। आईएस पिछले कुछ समय से कमजोर हुआ है लेकिन इतना भी कमजोर नहीं पड़ा है कि बंगलादेश उससे अकेले पार पा जाये।
बंगलादेश को अभी आतंकवाद से लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं है। अपनी धरती से आईएस के समूल नाश के लिए बंगलादेश को आतंकवाद से लड़ने में अनुभवी भारत की मदद की जरूरत पड़ेगी। वर्ष 1975 में भी पाकिस्तान के आतंक से मुक्ति दिलाने में बंगलादेश की मदद भारत ने ही की थी। कुछेक आपसी मतभेद, सीमा विवाद और अवैध घुसपैठ के मसलों को छोड़ दें, तो दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। भारत और बंगलादेश पिछले दो साल में काफी करीब आए हैं। इस्लामिक स्टेट से निपटने के लिए दोनों देश खुफिया सूचनाएं साझा करने के लिए एक तंत्र बना सकते हैं। आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई दोनों देशों के हित में है।
ढाका हमले के बाद भारत सरकार भी सक्रिय हो गई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने तत्काल बंगलादेश सरकार से संपर्क साधकर हमले की सारी जानकारी प्राप्त की थी। ढाका अटैक के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी बंगलादेश की सीमा से सटे राज्यों में आतंकी हमलों की आशंका देख रही हैं।
ढाका हमला : ऐसे दिया हमले को अंजाम
बंगलादेश की राजधानी ढाका के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में स्थित होली आर्टीजन बेकरी रेस्तरां में एक जुलाई को रात करीब 9.20 बजे नौ आतंकी 'अल्लाह-हो-अकबर' का नारा लगाते हुए आए और गोलाबारी करके करीब 40 लोगों को बंधक बना लिया। इनमें आधे से अधिक विदेशी नागरिक थे।
गोलीबारी में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रबीउल और समीपवर्ती पुलिस थाने के प्रभारी सलाहुद्दीन अहमद की मौत हो गई जबकि करीब 30 लोग घायल हुए।
हमले के करीब चार घंटे बाद आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अपनी समाचार एजेंसी अमाक के माध्यम से इसकी जिम्मेदारी ली।
पुलिस ने आतंकियों से बात करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।
काफी देर बाद जब आतंकियों से बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली तब शनिवार सुबह उनके कब्जे से लोगों को बचाने के लिए बंगलादेश की सेना के नेतृत्व में कमांडो ऑपरेशन शुरू किया गया। सेना प्रमुख जनरल शफी उल हक कमांडो अभियान पर नजर रख रहे थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना भी पल-पल की जानकारी ले रही थीं।
तकरीबन 13 घंटे के कमांडो अपरेशन के बाद 13 बंधकों को सुरक्षित बचा लिया गया जबकि सेना ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया। इस बीच एक आतंकवादी को जिंदा भी पकड़ा गया।
कुरान की आयतों से हुआ जिंदगी और मौत का फैसला
होली आर्टिजन बेकरी रेस्तरां में आतंकियों उन लोगों की हत्या की, जो कुरान की आयतें नहीं सुना सके। जिन लोगों ने कुरान की आयत सुना दीं, आतंकियों ने उन्हें न केवल छोड़ दिया बल्कि रात में उन्हें खाना भी खिलाया। आतंकियों ने जिन लोगों को बंधक बनाया था, उनमें हसनात करीम भी थे। उनके पिता रिजाउल करीम ने अपने बेटे के हवाले से बताया कि आतंकियों ने बंधकों से कुरान की एक या दो आयतें सुनाने को कहा था। बंधकों की मजहबी पहचान के लिए आतंकी ऐसा कर रहे थे। जिन्होंने एक या दो आयतें सुनाईं, उन्हें छोड़ दिया गया। आतंकी उनके साथ सहूलियत से पेश आए। लेकिन, जो लोग कुरान की आयतें नहीं सुना पाए, उन्हें आतंकियों ने कत्ल कर दिया।
कट्टरपंथियों के निशाने पर हिन्दू
बंगलादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी हावी हैं। शेख हसीना सरकार भले ही दावा करे कि बंगलादेश में इस्लामिक स्टेट और अन्य इस्लामिक आतंकी संगठनों का वजूद नहीं है लेकिन लगातार निदार्ष लोगों की हत्याएं कुछ और ही कहानी बयां करती हैं। बंगलादेश में उदारवादी और पंथनिरपेक्ष सोच वाले लेखकों-ब्लॉगरों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुनियोजित हमले करके मौत के घाट उतारा जा रहा है। इनमें से अधिकतर हत्याओं की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। इस्लाम का झंडा थामकर चलने वाले आतंकवादियों के निशाने पर पांथिक अल्पसंख्यक भी हैं, खासकर हिन्दू समुदाय। वैसे तो पाकिस्तान के साथ-साथ बंगलादेश के इतिहास के पन्ने हिन्दुओं के रक्त से लाल हैं। लेकिन, पिछले कुछ समय में जिस तरह वहां हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे भविष्य के खतरे स्पष्ट नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक हत्या किसी गहरे सांप्रदायिक षड्यंत्र की ओर इशारा कर रही हैं। मानो, बंगलादेश की भूमि को हिन्दू विहीन करने की तैयारी इस्लामिक ताकतों ने कर ली है। राजधानी ढाका में जिस रात हमला हुआ था, उसी दिन सुबह एक जुलाई को झेनैदाह जिले में बड़ी बेरहमी से एक हिन्दू पुजारी की हत्या की गयी थी। पुजारी श्यामोनदा दास मंदिर में सुबह की पूजा की तैयारी कर रहे थे, तभी मोटरसाइकिल पर आए तीन मुस्लिम युवकों ने उनकी हत्या कर दी।
गौरतलब है कि पिछले 30-35 दिनों में यह हिन्दुओं की हत्या का पांचवा मामला है। 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक और हिन्दू पुजारी 48 साल के भबसिंधु राय पर जानलेवा हमला किया गया। राय श्री श्री राधागोबिंद मंदिर में पुजारी हैं। उन पर हमला 2 जुलाई को उस वक्त किया गया, जब वे मंदिर में ही बने घर में सो रहे थे। इससे पहले जून माह की 10 तारीख को सुबह की सैर पर निकले ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग परमतीर्थ हिमायतपुरधाम आश्रम के 60 वर्षीय नित्यरंजन पांडे पर कई हमलावरों ने हमला करके उनकी हत्या कर दी। पबना के हिमायतपुर उपजिला स्थित आश्रम में पांडे पिछले 40 साल से स्वैछिक सेवा दे रहे थे।
झेनैदाह जिले में ही 7 जून को नृशंस तरीके से सिर काटकर 70 वर्षीय हिन्दू पुजारी आनंद गोपाल गांगुली को मौत के घाट उतार दिया गया था। नोलडांगा गांव में पुजारी आनंद गोपाल सुबह करीब साढ़े नौ बजे मंदिर जा रहे थे कि तभी तीन हमलावरों ने उन्हें रोका और गोली मार दी। हमलावरों ने धारदार हथियारों से गांगुली का सिर धड़ से लगभग अलग कर दिया। इसके पहले 30 अप्रैल को आतंकियों ने दुकान में घुसकर हिन्दू कपड़े सिलने का काम करने वाले निखिल चन्द्र की हत्या कर दी थी। तंगाइल जिले में 50 वर्षीय निखिल अपने ही मकान में दुकान चलाते थे। पिछले वर्ष 2015 में 27 फरवरी को आतंकियों ने अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत राय, 12 मई को ब्लॉगर अनंत बिजय दास और 7 अगस्त को निलय चक्रवर्ती की हत्या सहित अन्य हिन्दुओं को निशाना बनाकर उनकी हत्या की थी। इनकी हत्या के पीछे का कारण सिर्फ यही है कि ये लोग हिन्दू थे।
मारे गए लोगों में 17 विदेशी नागरिक
आतंकी हमले में मारे गए 20 लोगों में 17 विदेशी नागरिक हैं। इनमें सबसे अधिक 9 इटली के नागरिक, 7 जापान, 1 भारतीय, 2 बंगलादेश और 1 बंगलादेश मूल की अमरीकी नागरिक शामिल है। भारत की बेटी 19 वर्षीय तारुषी जैन भी इस हमले में मारी गई थी। वह अमरीका के बर्कली में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पढ़ाई कर रही थी। सुरक्षित क्षेत्र में चिन्हित करके विदेशी नागरिकों की हत्या से आईएस ने बंगलादेश में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है। साथ ही दहशत फैलाकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास भी है।
उच्च शिक्षित और अमीर घरों से थे आतंकी
ढाका के रेस्तरां में हमला करने वाले सभी आतंकियों की पहचान कर ली गई है। एक बार फिर यह साबित हुआ है कि आतंकी बनने के लिए गरीबी, अशिक्षा या पिछड़ापन जिम्मेदार नहीं है। आतंकी संगठनों से जुड़ने वालों में अमीर घरों के पढ़े-लिखे मुस्लिम युवा अधिक हैं। बंगलादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां खां ने कहा कि मारे गए आतंकी निजी स्कूलों या विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे। तीन आतंकियों की उम्र 22 साल से भी कम थी। आतंकी करीब छह माह से लापता थे। वहीं, लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस संबंध में कठोर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट किया-'ढाका हमले का आतंकी निब्रस इस्लाम तुर्की होप्स स्कूल, नार्थसाउथ और मोनाश यूनिवर्सिटी में पढ़ा था। इसके बाद उसका इस्लाम के नाम पर ब्रेनवाश किया गया और वह आतंकी बन गया। यह मत कहिए कि गरीबी और निरक्षरता लोगों को इस्लामिक आतंकवादी बनाती है। इस्लामिक आतंकवादी बनने के लिए आपको गरीबी, निरक्षरता, तनाव, अमेरिका की विदेश नीति और इस्राइल की साजिश की जरूरत नहीं है। आपको इस्लाम की जरूरत है।' ढाका हमले में शामिल आतंकियों में बंगलादेश की सत्तारूढ़ आवामी लीग के एक वरिष्ठ नेता के बेटे का नाम भी आ रहा है। बीडी न्यूज की खबर के अनुसार, पार्टी की ढाका शाखा के नेता और बंगलादेश ओलंपिक एसोसिएशन के उपमहासचिव एस.एम. इम्तियाज खां बाबुल का बेटा रोहन इब्ने इम्तियाज की पहचान एक हमलावर के रूप में हुई है। एसआईटीई इंटेलिजेंस ने ट्विटर पर रोहन की फोटो अपलोड की है। यह फोटो कथित रूप से इस्लामिक स्टेट की ओर से जारी हमलावरों की फोटो है। हालांकि रोहन का नाम एसआईटीई की ओर से जारी सूची में नहीं है। एसआईटीई ने पांच हमलावरों की पहचान अबू उमर, अबू सलाम, अबू रहीम, अबू मुस्लिम और अबू मुहरिब अल-बंगाली के रूप में की है। गौरतलब है कि भारत में आईएस से संबंधित गतिविधियों पर नजर रख रही सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने पिछले एक-डेढ़ वर्ष में अलग-अलग जगहों से आईएस से जुड़ने वाले 50 से अधिक मुस्लिम युवाओं को पकड़ा है। ज्यादातर युवक पढ़े-लिखे हैं और सम्पन्न घरों से हैं।
ढाका हमले से जो दर्द हुआ है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भारत इस दु:ख की घड़ी में बंगलादेश के अपने भाई–बहनों के साथ है।
— नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत
बंगलादेश में आईएस और अलकायदा का बढ़ता प्रभाव भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए आने वाले दिनों में चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। ढाका हमला और उससे पहले इस्तांबुल हवाई अड्डे पर हुआ हमला ये साबित करते हैं कि आईएस हर जगह हमला करने के लिए सीधे निर्देश नहीं देता है, बल्कि उसके पभाव वाले स्थानीय आतंकी संगठन इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं।
— उदय भास्कर, आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ
ये कैसे मुसलमान हैं जो रमजान के दौरान दूसरे इंसानों को मार रहे हैं। हमला करने वाले मजहब के दुश्मन हैं। लोग कट्टर सोच का विरोध करें, हम ऐसी औरघटनाएं नहीं होने देंगे। हम हर हाल में अपनी आजादी के लए प्रतिबद्ध हैं। हम किसी भी हाल में आतंकवाद के विरुद्ध लड़ेंगे।
— शेख हसीना, प्रधानमंत्री, बंगलादेश
अगर हम अब भी नहीं जागते और भारत में आतंकवादियों के स्लीपर सेल का सफाया नहीं करते तो बंगलादेश में आईएस की मौजूदगी भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकती है। भारत और बंगलादेश की सीमा खुली हुई है, इस कारण भी भारत के लिए खतरा बढ़ जाता है।
— बी.डी. मिश्रा, रक्षा विशेषज्ञ
बंगलादेश सरकार का तख्ता पलट करने के लिए न केवल जमात सक्रिय है बल्कि आईएसआई और पाकिस्तान की फौज भी षड्यंत्र कर रही है। 1975 में शेख मुजीब के परिवार को जिस तरह मारा गया, तब से जमात और आईएसआई मिलकर बंगलादेश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। बंगलादेश के आतंकियों को पाकिस्तान से मदद नहीं मिलती, ऐसा सोचने वाले किसी और दुनिया में रहते हैं।
— तारेक फतेह,पाकिस्तान मूल के प्रख्यात लेखक
बंगलादेश के आतंकियों ने वैश्विक आतंकवाद में खूब सहयोग किया है। वे 36 देशों में आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। कृपया मानवता के लिए, अब तो यह कहना बंद कीजिए कि इस्लाम शांति का मजहब है।
— तसलीमा नसरीन, प्रख्यात बंगलादेशी लेखिका
बंगलादेश की खबर सुनकर अंदर अजीब वहशती सन्नाटा है। कुरान की आयतें ना जानने की वजह से रमजान के महीने में लोगों को कत्ल कर दिया गया। हादसा एक जगह होता है, बदनाम इस्लाम और पूरी दुनिया का मुसलमान होता है। ऐसे में क्या मुसलमान चुप बैठा रहे और मजहब को बदनाम होने दे? या वह खुद इस्लाम के सही मायने समझे और दूसरों को बताए कि जुल्म और कत्लोगारद करना इस्लाम नहीं है। — इरफान खान, बॉलीवुड अभिनेता
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