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2016 का तमिलनाडु विधानसभा चुनाव अन्य राज्यों से अलग रहा। तमिलनाडु में चुनाव के दौरान न तो द्रमुक के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार विरोधी लहर उठी, न ही सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के खिलाफ रोषभरा सत्ता विरोधी उफान दिखा। अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच मतदाताओं को स्मार्ट उपकरणों और कृषि संबंधी कर्ज की माफी सहित मुफ्त उपहारों की सौगात परोसने की होड़ लगी थी। यह देखकर चुनाव आयोग को हस्तक्षेप करना ही पड़ा। आयोग ने द्रमुक और अन्नाद्रमुक को नोटिस जारी कर दिया।1987 में एम.जी.आर. के निधन के बाद हर चुनाव में जयललिता के नेतृत्व तले अन्नाद्रमुक की सीटों में इजाफा होता रहा, सिर्फ 1989 में इसमें अंतर आया जब एम.जी.आर. की पत्नी जानकी रामचंद्रन के दल ने अलग से चुनाव लड़ा था। भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद दिसंबर, 2015 में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान लोगों की मदद के लिए जयललिता की तत्पर और सक्रिय भूमिका ने खूब वाहवाही बटोरी। लगातार दूसरे चुनावी दौर में भाग ले रही जयललिता ने एक बिखरे राजनीतिक क्षेत्र का भी बेहद सटीक फायदा उठाया। तमिलनाडु में हाल के वर्षों में पहली बार चुनावी जंग में कई दल आमने-सामने डटे थे जिन्होंने अन्नाद्रमुक और द्रमुक से हाथ मिलाने की बजाय खुद अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया था। एम.के. स्टालिन के अभियान की रणनीति भी जयललिता को गद्दी से उतारने के लिए पर्याप्त वोट नहीं हासिल कर पाई। 2011 के विधानसभा, स्थानीय निकाय और 2014 के लोकसभा चुनावों में उनकी रणनीति पूरी तरह से धराशायी हो गई। लेकिन द्रमुक के वयोवृद्ध प्रमुख करुणानिधि ने 13वीं बार भी जीत हासिल कर एक इतिहास रच दिया है।
पुदुचेरी
फिर लौटी कांग्रेस
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन को जीत के साथ संतोष करना पड़ा है। कुल 30 सदस्यों वाली विधानसभा में 17 सीटें जीतकर कांगे्रेस गठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश मिला है। कांग्रेस ने इस बार 21 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जिनमें 15 पर उसने जीत हासिल की।
तमिलनाडु से सटे इस छोटे-से केन्द्र शासित प्रदेश में पिछली सरकार भी कांग्रेस की ही थी। जनता ने इस बार भी कांग्र्रेस को ही सबसे बड़े दल के रूप में चुना है और गठजोड़ को स्पष्ट बहुमत दिया है। हालांकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई थी लेकिन माना जा रहा है कि नमस्सिवयम और वैथीलिंगम इस पद के दो प्रमुख दावेदार हैं। बड़ी बात यह है कि अपने दम पर चुनाव लड़ रही अन्नाद्रमुक ने 4 सीटें जीतकर अपना दमखम बरकरार रखा। महत्वपूर्ण चुनाव क्षेत्रों में कराइकल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से 5 बार विधायक रहे द्रमुक के नजीम अन्नाद्रमुक के.ए.यू. असाना से महज 20 वोटों से हार गए। राजभवन सीट से के. लक्ष्मीनारायणन भी चुनाव हार गए, जो मतदान से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस से अन्नाद्रमुक में शामिल हो गए थे।
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