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एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ''कन्नूर जिले में माकपा द्वारा चलाए जा रहे सहकारी संस्थान भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाओं द्वारा संचालित हैं, ये माकपा के गुंडों के लिए संघ परिवार के लोगों पर हमले करने के सुरक्षित स्थल बने हुए हैं।''
उनका कहना है, ''कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ शासन के समय भी माकपा नेताओं को बचा लिया जाता है। इसमें भ्रष्टाचार के इन कारनामे का पूरा खुलासा हो जाए तो गरीबों और कुछ निष्ठावान कार्यकर्त्ताओं के सामने इस पार्टी की पोल पट्टी खुल जाएगी। यदि भ्रष्टाचार और गोलमाल से पर्दा उठे तो पता चले कि कई नेता हैं जो राजनीतिक आश्रय लेकर मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि वाले बन गए हैं और अत्यधिक धनी हो गए हैं, इन सभी पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है। वे बताते हैं,''माकपा को बदला लेने वाली पार्टी कहा जाता है, लेकिन वे बदला तभी लेते हैं जब सामने संघ परिवार होता है अन्यथा वे केवल सांकेतिक धरना-प्रदर्शन से ही बदला लेते हैं। पिछले कुछ दशकों से कुछ इस्लामी उन्मादियों द्वारा तीन कार्यकर्त्ताओं की हत्या की बात सामने आई है लेकिन माकपा चुप है, वे जानते हैं कि कुछ कहा तो इसे संघ भुना सकता है। ''मलप्पुरम पर वे कहते हैं कि मारक्कारा पंचायत पर कुछ इस्लामी संगठनों, कांग्रेस और माकपा के साझीदारों का राज है।''
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