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भारत सरकार के हिसाब-किताब में भारी गड़बड़ी
विदेश स्थित दूतावासों में गोलमाल
लाखों रुपया व्यक्तिगत कायोंर् में खर्च किया गया
नई दिल्ली। ''सरकारी हिसाब-किताब में रुपए-पैसे से संबंधित अनेक अनियमिततायें हैं। इन अनियमितताओं में अनेक प्रकार के नुकसान, ऊलजलूल खर्च, इमारतों का अनावश्यक पट्टा, सरकारी कोष का बिना किफायत के इस्तेमाल, हानि-लाभ का बिना विचार किए हुए खरीद, सरकारी रुपए का व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग तथा विनिमय संबंधी सुविधाओं का दुरुपयोग आदि सम्मिलित हैं।'' ये शब्द भारत के महालेखा-निरीक्षक ने भारत सरकार को विभिन्न मंत्रालयों के यंत्रों को पुनर्गठित करने की सलाह देते हुए कहे हैं।
महालेखा-निरीक्षक ने सलाह दी है कि समय-समय पर आगन्तुकों का सरकारी स्तर पर जो अभिनंदन किया जाता है, उसके नियमों में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। क्योंकि कभी-कभी यहां तक हुआ है कि दो बार, इतना ही नहीं दो- तीन बार तक एक ही व्यक्ति का अभिनंदन किया गया है, जिसके कारण सरकार को नुकसान उठाना पड़ा है।
उदाहरण प्रस्तुत करते हुए महालेखा-निरीक्षक ने कहा कि एक महिला नेत्री को सरकार स्तर पर पार्टी दी गई और पुन: उन्हीं को गैर सरकारी स्तर पर उनके घर पर पार्टी दी गई, जिसमें सरकारी पैसा ही खर्च हुआ। इस प्रकार दो बार पार्टियां दिए जाने में 2,000 रुपया व्यय हुआ। ध्यान देने की बात यह है कि पार्टी देने से पूर्व अर्थ विभाग को बताया गया था कि 600 रुपए से अधिक खर्च नहीं होगा।
इसी प्रकार विदेशी छात्रों के एक दल का स्वागत एक बार उपसचिव द्वारा, एक बार संयुक्त सचिव द्वारा तथा दो बार संसदीय सचिव द्वारा किया गया। रिपोर्ट में एक संयुक्त सचिव द्वारा अपने विदेश गमन के पूर्व सायंकाल विदाई के उपलक्ष्य में दी गई पार्टी के औचित्य के संबंध में भी प्रश्न उठाया गया है, जिसमें सरकारी उदारता-कोष का 1,625 रुपया खर्च किया गया।
पार्टी देने का स्थान- रिपोर्ट में एक और भी संकेत किया गया है कि यद्यपि हैदराबाद हाउस में इसी कार्य के लिए व्यवस्था की गई है कि सरकार द्वारा अभ्यागतों का वहां स्वागत किया जाए, तथापि वास्तविक स्थिति यह है कि अधिकांश अभ्यागतों का स्वागत सत्कार अधिकारियों के निवास स्थान पर किया जाता है। इस स्वागत सत्कारों के निमित्त 9 रुपए से लेकर 50 रुपए तक प्रति व्यक्ति व्यय वसूल किया जाता है। रिपोर्ट में मांग की गई है कि अनेक प्रकार के स्वागत समारोहों को बन्द किया जाना चाहिए। केवल हैदराबाद हाउस का ही इस कार्य के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक विदेश में दूतावास स्थापित करने के विचार से 1950 में एक इमारत 9,800 रुपए साल के हिसाब से 15 साल के पट्टे पर ली गई है। किन्तु इमारत अभी तक खाली पड़ी है। गत वर्ष मार्च मास तक उस पर 68,133 रुपया खर्च किया जा चुका है और आगामी 14 वर्ष तक लिए उसकी जिम्मेदारी अभी भारत सरकार की ओर है। मरम्मत कराई, कर तथा बीमा आदि के खर्च अलग रहे।
भारतीय सीमा पर पाक सेना का भारी जमाव
उपविदेश मंत्री द्वारा रहस्योद्घाटन
नई दिल्ली। डॉ. गिडवानी के प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में वैदेशिक विभाग के उपमंत्री श्री चंदा ने बताया कि भारत को इस बात का पूरा पता है कि फिरोजपुर इलाके में सीमा के निकट पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों का पुलिस कर्मचारियों के वेश में काफी भारी जमाव मौजूद है। भारत को यह भी जानकारी है कि पाकिस्तान की ओर से वहां हमारी नहर के निकट एक ऊंची टेकड़ी बनाई गई है।
डॉ. गिडवानी ने पूछा कि इन लोगों को वहां से हटाने के वास्ते क्या कदम उठाए गए हैं? इस पर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने उत्तर दिया कि सीमा के दोनों ओर सेनाएं मौजूद हैं। कोई भी यह नहीं चाहता कि सीमा के उस पार सेना पड़ी रही और न कोई वहां से सेनाएं हटाने को ही तैयार है।
श्री चंदा ने डॉ. गिडवानी को बताया कि भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि पाकिस्तान का यह आरोप कि फिरोजपुर के निकट भारतीय सेना का जमाव मौजूद है- सर्वथा निराधार है, बल्कि पाकिस्तान पर यह आरोप लगाया गया है कि सीमा पर उसकी फौजों का भारी जमाव मौजूद है।
दिशाबोध
नहीं चाहिए शान्ति नष्ट करने वाला विकास
मनुष्य को केन्द्र-बिन्दु मानने के बाद साध्य-साधन-विवेक दिखाई देने लगता है। एक और बात ध्यान में रखनी चाहिए कि मनुष्य का विकास केवल आर्थिक विकास नहीं, अपितु सर्वागीण विकास है। उसी के लिए शरीर के साथ मन, बुद्धि एवं आत्मा का भी विचार करना चाहिए। आर्थिक विकास के कारण मन की शांति नष्ट होती हो, बुद्धि विकृत होती हो तो ऐसा विकास किसी काम का नहीं। विज्ञान की खोज एवं तकनीकी प्रगति के कारण अनेक राष्ट्रों में आर्थिक समृद्धि आयी है। किन्तु उसी में से प्रचण्ड नगरीकरण, प्रगति से वंचित नगरीय जन-जीवन, अत्यधिक तनाव में जीने वाले श्रमिकों एवं कर्मचारियों की भी वृद्धि हुई है। फ्रांस में विश्वविद्यालय के युवकों ने इस भयानक मानसिक तनाव से ऊब कर पेरिस में एक मोर्चा निकाला था जिसका नारा था- 'तकनीकी विशेषज्ञ मुर्दाबाद!'
—पं. दीनदयाल उपाध्याय (पं. दीनदयाल उपाध्याय विचार-दर्शन, खण्ड-4, पृष्ठ संख्या-17)
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