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जनजातियों के कल्याण नीति दृष्टिपत्र का लोकार्पण

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Mar 28, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Mar 2016 13:00:39

नई दिल्ली। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा 21 मार्च को भारत की जनजातियों के लिए तैयार किए गए नीति दृष्टिपत्र – 2015 का लोकार्पण नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हॉल में हुआ। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने नीति दृष्टिपत्र का लोकार्पण करते हुए कहा कि नीति दृष्टिपत्र- 2015 को जमीन से जुड़े लोगों ने बनाया है और यह जिनके हाथों में जाना चाहिए, उनके हाथों में जा रहा है। अर्थात् शासन के लोग इसे लेने यहां खुद आये हुए हैं। इससे मालूम होता है कि मौजूदा केंद्र सरकार इस देश के वनवासी बहन-भाइयों के विकास और उत्थान के लिए कितनी सजग, तत्पर एवं दृढ़ संकल्पित है। इस दृष्टिपत्र-2015 के जरिए इस देश के 10 करोड़ वनवासियों के सामाजिक उत्थान की प्रक्रिया के युग की शुरुआत हो गई है। इसमें वनवासियों के लिए सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के विभिन्न पहलुओं के महत्व को समझाते हुए उनकी स्थितियों को सुधारने के लिए विस्तार से सुझाव दिए गए और सिफारिशें की गई हैं। इसमें राष्ट्रीय जनजाति नीति, वन अधिकार कानून, संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची तथा राज्यपालों की भूमिका, पंचायत कानून, विस्थापन और पुनर्वास आदि अनेक विषयों को पुरजोर तरीके से शामिल किया गया है। इस नीति दृष्टिपत्र का उद्देश्य तभी सार्थक हो पायेगा जब वनवासी समाज समान रूप से भारतीय मुख्यधारा का एक अमूल्य तथा गौरवशाली भाग बनते हुए देश के विकास में बराबरी का सहभागी बनेगा।

अ.भा. वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव ने कहा कि जनजातियां भारतीय समाज का अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग है। प्राकृतिक रूप से विशिष्ट वातावरण में रहने के कारण उनकी अपनी सामुदायिक, सांस्कृतिक, भाषागत, तकनीकी एवं आर्थिक विशेषताएं विकसित हुईं। इन्हें सम्मान और मान्यता मिले, यह आवश्यक है। वनवासी कल्याण आश्रम जनजातियों के प्रति ऐसी ही दृष्टि रखता है।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री जुएल ओराम ने कहा कि भारत की जनजातियों की निर्धनता, पलायन, कुपोषण संसाधनों व अवसरों को नकारने का अंत इस नीति दृष्टिपत्र-2015 से होगा। उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह नीति दृष्टिपत्र नए युग का शुभारंभ है। इस अवसर पर अन्य विशिष्ट अतिथियों के साथ अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के महामंत्री चंद्रकांत देव एवं विष्णुकांत, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री शांतिस्वरूप बंसल एवं महामन्त्री श्री राकेश गोयल भी उपस्थित थे।    

ल्ल इंविसंके

'सेवा के संस्कार में समस्याओं का निदान'

उदयपुर। जन-जन में सेवा भाव के जागरण से समाज की सभी कुरीतियों का स्थायी उन्मूलन संभव है। सेवा के आचरण से व्यक्ति के चित्त में संस्कार रोपण, स्वावलंबन तथा स्वावलंबी व्यक्तियों से समाज में समरसता का निर्माण होता है। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने सेवा भारती चिकित्सालय के द्वितीय चरण के लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किए। यह आयोजन   मल्लाह तलाई स्थित चिकित्सालय परिसर में किया गया।

मानसमर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने इस कार्य को आशीर्वाद देते हुए सेवा भारती चिकित्सालय के प्रयास की सराहना की।

मुख्य अतिथि राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने सेवा भारती चिकित्सालय को ऐसे प्रयत्नों के लिए बधाई देते हुए झालावाड़ का उदाहरण दिया जहां जल स्वावलंबन कार्यक्रम जनसहभागिता से पूरे हो रहे हैं तथा भूमिगत जलस्तर में 7 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्घि हुई है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान के गृह मंत्री श्री गुलाब चन्द कटारिया ने की । पी आई इंडस्ट्रीज के चेयरमेन एवं प्रबंध निदेशक श्री सलिल सिंघल विशिष्ट अतिथि थे।

कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के अ.भा. अधिकारी श्री सुरेश चन्द्र, गुणवन्त सिंह कोठारी, लघु उद्योग भारती के प्रकाश चन्द्र, क्षेत्रीय प्रचारक श्री दुर्गादास, हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी श्री सुनील मुद्गल, पेसेफिक समूह के सचिव श्री राहुल अग्रवाल, मिराज ग्रुप के श्री मदन पालीवाल, वोल्केम इंडिया के श्री अरविन्द सिंघल, श्री गोविन्द अग्रवाल, श्री जमनालाल पालीवाल, श्री कनकराज लोढ़ा, श्री तेजराज गोलछा, श्री रमेश मूथा, श्री के जी गट्टानी तथा श्री विनोद अग्रवाल उपस्थित रहे।

सेवा भारती चिकित्सालय के निदेशक यशवंत पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत किया तो चिकित्सालय के अध्यक्ष डॉ. मधुसूदन शर्मा ने समस्त अतिथियों का आभार

व्यक्त किया।    प्रतिनिधि

 

अच्छे स्वास्थ्य, उन्नत शिक्षा व समरसता का संदेश

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 11 से 13 मार्च तक नागौर में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के विषय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार, प्रांत कार्यवाह श्री भारत भूषण एवं प्रचार प्रमुख श्री राजीव तुली ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए विस्तृत जानकारी दी। श्री आलोक कुमार ने प्रतिनिधि सभा में रखे प्रतिवेदन और पारित हुए प्रस्तावों के बारे में बताया कि सभा में तीन प्रस्ताव पारित किये गये जिनमें पहला, प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा एवं सस्ती व सुलभ चिकित्सा की आवश्यकता, दूसरा सर्वसुलभ गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा और तीसरा दैनन्दिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार प्रमुख थे।

दिल्ली प्रान्त के प्रतिवेदन के बारे में श्री आलोक कुमार ने बताया कि 2010 से संघ शाखाओं की वृद्घि का अभियान शुरू हुआ था। उस समय दिल्ली में 1,400 शाखाएं थीं जो बढ़कर वर्तमान में 1,898 हैं। उल्लेखनीय है कि मात्र एक वर्ष में संघ शाखाएं 1,780 से बढ़कर 1898 हो गईं।

दिल्ली की 265 सेवा बस्तियों में संघ, सेवा भारती एवं बाकी संगठनों के 1,100 सेवा कार्य चल रहे हैं। वनवासी बंधुओं के लिए सेवाधाम का विद्यालय काम कर रहा है और वनवासी कल्याण आश्रम एक छात्रावास भी चला रहा है।

दिल्ली में 'स्ट्रीट चिल्ड्रन' के लिए शिक्षण का काम चल रहा है और अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए मातृछाया के दो केन्द्र भी हैं। इस साल आयु वर्ग 15-40 वर्ष के युवा कार्यकर्ता संघ शिक्षण करने गए, इन कार्यकर्ताओं की संख्या 2,812 है। दिल्ली में 40 आईटी मिलन केन्द्र चलते हैं, जिसमें इंजीनियरों सहित विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर इस मिलन में आते हैं। 'ज्वाइन आऱएस़एस' के माध्यम से लगभग 8,000 बंधुओं ने संघ से जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई।

5 मार्च, 2016 को रा.स्व.संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूजनीय श्री गुरुजी के जन्मदिवस पर संघ ने निर्णय किया कि कार्नियल अंधता को दिल्ली में 3 से 5 वर्ष के भीतर समाप्त किया जाएगा। इसके लिए 3 से 10 अप्रैल तक संघ के कार्यकर्ता प्रत्येक घर में नेत्रदान का संकल्प करवाने और जनजागरण के लिए जाएंगे।

इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र

 

राजस्थान। रा.स्व. संध राजस्थान क्षेत्र द्वारा विश्व संवाद केन्द्र उदयपुर में पत्रकार वार्ता की गई जिसे क्षत्रीय संघचालक डॉ भगवती प्रकाश शर्मा ने सम्बोधित किया।

उन्होंने बताया कि राज्य में संघ शाखाओं की संख्या बढी है, स्वयंसेवकों के प्रयत्नों से सेवा कायार्े के माध्यम से सामाजिक समरसता भी बढ़ रही है। अभी प्रत्येक खण्ड (तहसील) तक संघ कार्य है । 4-5 गावों को मिलाकर बनने वाली मण्डल इकाई के जरिये लगभग आधे मण्डलों में शाखा लगती है।

कर्नाटक। रा.स्व.संघ बंगलूरू प्रांत के क्षेत्रीय संघचालक वी.नागराज ने एक प्रेस व्यक्तव्य में कहा कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देश के प्रत्येक प्रांत, प्रत्येक क्षेत्र और एक-एक जन से जुड़े विषयों पर गहन चर्चा हुई और इन बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के समाधान का रास्ता खोजने के लिए संबंधित सरकारों और प्रशासन से आग्रह किया गया।

ओडिशा। रा.स्व.संघ ओडिशा पूर्व प्रांत के संघचालक श्री समीर कुमार मोहंती ने कहा कि देश में आसानी से प्राप्त होने वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा के साथ ही समरसता वाले समाज पर प्रतिनिधि सभा में चर्चा होना अच्छा रहा। शिक्षा की गुणवत्ता और युवाओं की इसमें भागीदारी सरकार और समाज को तय करनी है। प्रतिनिधि सभा ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों से आग्रह कर मांग की है कि वे स्रोतों के लिए पर्याप्त धन वितरण करें और सभी शैक्षणिक संस्थानों विशेषकर ग्रामीण जनजातीय और अल्पविकसित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा खड़ा करें व इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति करें। यह जरूरी है कि देश के नागरिकों को स्वस्थ जीवन शैली, पोषक आहार, योग और स्वच्छता से भरपूर स्वास्थ्य उपलब्ध हो। वहीं आम आदमी को आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करवाना भी जरूरी है।

मध्य प्रदेश। रा.स्व.संघ के प्रांत संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री और सह प्रांत कार्यवाह श्री विनीत नवाथे ने प्रतिनिधि सभा के विमर्श की जानकारी पत्रकारों को देते हुए बताया कि मालवा प्रांत में पिछले एक वर्ष में 247 संघ शाखाओं की बढ़ोतरी हुई।

प्रतिनिधि

'संतों के जीवन से सीख ग्रहण करें'

देहरादून। राष्ट्रीय समरसता मंच की ओर से राजधानी में दो दिवसीय कार्यशाला मंे विभेद मुक्त, शोषण मुक्त तथा समता-समरसता युक्त समाज के निर्माण पर जोर दिया गया। इसमें कहा गया कि सहभोज के माध्यम से विभेद मुक्त समाज की पहल अपने घर से करें वहीं जाति बिरादरी, ऊंच-नीच की भावना को मन से निकालें। जलस्रोत, श्मशान और मंदिर के मामले में किसी से कोई भेदभाव न किया जाए। सामाजिक समरसता प्रमुख मधुभाई कुलकर्णी ने लोगों को सुझाव दिया कि वे संत रविदास, रामानुज, एकनाथ, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर आदि के जीवन से सीख लें।

प्रतिनिधि

 

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