किसानों के हित का कदमदाने-दाने का सही दाम
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

किसानों के हित का कदमदाने-दाने का सही दाम

by
Mar 21, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 21 Mar 2016 11:03:47

देश में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों की यह आज मान्यता है कि राष्ट्रीय कृषि बाजार से किसानों का हित सधेगा। इंतजार है भारत सरकार द्वारा रास्ते की अड़चनें दूर कर इसे सुगम बनाने का

 हर्षवर्धन त्रिपाठी
 दिल्ली, मुंबई या फिर देश के दूसरे बड़े शहरों के लोगों को यह बात टीवी पर देखने के बाद भी शायद ही समझ में आती हो। पिछले साल सितंबर महीने में पंजाब के जालंधर शहर में किसानों ने आलू सड़क पर बिखेर दिए थे। उसी समय प्याज 60 रुपए प्रति किलो से ज्यादा के भाव पर बिक रहा था। इससे देश में हर साल सब्जियों की महंगाई के समय बढ़ने वाला हल्ला उठ खड़ा हुआ कि शहरी भारत महंगाई से मरा जा रहा है। प्याज के महंगा होने की चर्चा के बीच जालंधर के किसानों की सड़कों पर आलू बिखेर देने की हरकत ज्यादा देर टिक नहीं सकी। दरअसल जब प्याज 60 रुपए किलो से ज्यादा के भाव पर बिक रहा था उसी समय जालंधर के किसानों को मजबूरी में आलू 200 रुपए प्रति क्विंटल पर बेचना पड़ रहा था। यानी एक किलो आलू सिर्फ दो रुपए में मिल रहा था। इससे किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा था। आलू की सही कीमत दिलाने की मांग के साथ ही जालंधर के किसान आलू सड़क पर फेंक रहे थे। इससे पहले अप्रैल के महीने में ऐसी ही समस्या से जूझ रहे ओडिशा के किसान जिलाधिकारी के दफ्तर पर आलू से भरे बोरे लेकर गए थे। उन्हें आलू की लागत तक नहीं मिल रही थी।
सवाल उठता है कि भारतीयों की थाली में सबसे जरूरी सब्जी आलू का इतना बुरा हाल क्यों हो रहा था? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि पिछले साल उसी सितंबर महीने में दिल्ली, मुंबई या दूसरे बड़े शहरों में आलू की कीमत 10 रुपए किलो से ज्यादा थी। सचाई यही है कि देश के हर हिस्से में अलग-अलग फसलों को लेकर किसान इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं।
 किसान को सही कीमत तो छोडि़ए, वह उपज की लागत भी नहीं निकाल पाता। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार चाहती है कि किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिले। उन्हें मजबूरी में फसल सड़कों पर न फेंकनी पड़े। यह तभी संभव है कि जब पूरे देश का बाजार किसान को उसकी अपनी जगह पर बैठे-बैठे उपलब्ध हो सके। इसे ध्यान में रखते हुए ही केंद्र सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार को जल्द से जल्द लागू कर देना चाहती है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी एक ऐसी राष्ट्रीय मंडी जिसमें तकनीक के प्रयोग से जालंधर में आलू उगाने वाला किसान सीधे मुंबई के किसी आलू कारोबारी को अपनी आलूू की फसल भेज सके। इसी तरह बिहार के पूर्णिया का मक्का किसान उसे सीधे किसी बड़े कारोबारी को बेच सके। योजना हालांकि दूर की कौड़ी लगती है, मगर राष्ट्रीय कृषि बाजार को लागू किया जा सकता है, इसका भरोसा कर्नाटक की एकीकृत बाजार प्रणाली ने दिया है। कर्नाटक में सभी मंडियों को ऑनलाइन करने का काम राष्ट्रीय 'ई-मार्केट्स सर्विसेज' के जिम्मे है।
'राष्ट्रीय ई-मार्केट्स सर्विसेज' कर्नाटक सरकार और 'नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज' की बराबर की साझेदारी से बनी कंपनी है। यही कंपनी एकीकृत बाजार प्रणाली लागू कर रही है और योजना का आधार है। इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसे 2018 तक लागू कर दिया जाएगा। इससे 2017-18 के वित्तीय वर्ष में देश की सभी मंडियां 'इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म' के जरिये एक दूसरे से जुड़ जाएंगी। अभी किसान अपने नजदीक की मंडी में जाकर वहां आए सभी किसान-कारोबारियों से किसी भी तरह की खरीद-बिक्री कर सकता है। उसी प्रकार देश के हर हिस्से के किसान आपस में एक-दूसरे से और देशभर के कारोबारियों से सीधे जुड़ जाएंगे। इस प्रकार एक ऑनलाइन मंडी तैयार हो जाएगी। अभी देश में कुल 585 मंडियां हैं।
केंद्र की योजना इसे तीन चरणों में पूरा करने की है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में 250, 2016-17 में 200 और अन्य 135 मंडियों को 2017-18 में ऑनलाइन मंडी बनाने के लिए ई प्लेटफार्म से जोड़कर ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इस योजना को भारत सरकारके कृषि विभाग के लघु कृषक विकास संघ के जरिये लागू किया जाएगा। सरकार राज्यों की मंडियों में ऑनलाइन मंडी तैयार करने के लिए सॉफ्टवेयर मुफ्त में लगाएगी। 585 मंडियों में ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार करने के लिए केंद्र सरकार हर राज्य को अधिकतम 30 लाख रुपए तक की मदद देगी। इसमें मंडी में ही जमीन के परीक्षण की सुविधा रहेगी। इसके अतिरिक्त बड़ी निजी मंडियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा, लेकिन इन मंडियों को सरकार से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी। राज्यों को राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना से जोड़ने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह स्वयं 23 राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों की टीम लेकर पिछले साल 10 और 11 जुलाई को कर्नाटक के हुबली पहुंचे थे।
हुबली की एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) मंडी देश की आधुनिकतम मंडियों में से एक है। कर्नाटक राज्य की 150 में से 100 से ज्यादा मंडियां एकीकृत बाजार प्रणाली के जरिये पहले ही एक दूसरे से जुड़ चुकी हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार की झलक कर्नाटक की इन 100 से ज्यादा मंडियों में आसानी से देखी जा सकती है। क्या सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार लागू होने के बाद निश्चित तौर पर 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा कर सकेगी? क्योंकि 2017-18 के वित्तीय वर्ष में ही सरकार देश की सभी 585 मंडियों को एक साथ जोड़ देगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार कर्नाटक की एकीकृत बाजार प्रणाली को लागू करने वाली कंपनी आरईएमएस के सीईओ मनोज राजन बताते हैं, ''ऑनलाइन मंडी होने से किसानों को लाभ मिल रहा है। कर्नाटक की तिप्तुर मंडी में कोपरा का अधिकतम भाव 6,000 रुपये क्विंटल तक जाता था। ऑनलाइन होने के बाद उसी मंडी में कोपरा का भाव 13 से 14000 रुपए क्विंटल तक पहुंच गया।'' मूंग की दाल के भाव 35 फीसद तक बढ़ गए। बेल्लारी में मूंगफली का भाव 25 फीसद बढ़ गया। कर्नाटक में ऑनलाइन मंडियों में कारोबार तेजी से बढ़ा है। कर्नाटक की 155 मुख्य मंडियों और 354 छोटी मंडियों में कारोबार 31,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। यहां 92 उत्पादों का कारोबार किया जाता है। यहां 31,473 कारोबारी हैं, जो सरकारी मंडियों में सूचीबद्ध हैं और 17,149 कमीशन एजेंट हैं। कुल मिलाकर राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना खेती से जुड़े हर शेयरधारक के लिए लाभकारी दिख रही है।  
(लेखक आर्थिक पत्रकार हैं और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में सलाहकार संपादक के पद पर कार्यरत हैं) 

 

ऐसे काम करेगा राष्ट्रीय ृषि बाजार

कर्नाटक में 100 मंडियों को ऑनलाइन जोड़कर एक प्लेटफार्म पर लाया जा चुका है। आमतौर पर कारोबारी को हर मंडी में कारोबार के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेना होता है, लेकिन कर्नाटक में कोई भी कारोबारी केवल एक लाइसेंस से ऑनलाइन सभी 100 मंडियों में कारोबार कर सकता है। यहां राज्य सरकार ने गोदामों को भी उपमंडियों का दर्जा दे दिया है। इससे किसान अपने खेत के निकट किसी भी गोदाम में अपनी उपज रख कर सीधे वहीं से बेच सकता है।
केंद्र सरकार के प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि बाजार के एक बार लागू होने पर किसान-कारोबारियों के लिए हर राज्य एक मंडी की तरह हो जाएगा। देश में किसान, कारोबारी कहीं से, कहीं के लिए खरीद-बिक्री कर सकता है, क्योंकि ऑनलाइन होने पर सभी राज्य एक दूसरे से जुड़ जाएंगे।
उसे खरीदने-बेचने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए लाइसेंस लेना होगा, जो कि  राज्यों के आधार पर मिलेगा। मंडियों के आपस में ऑनलाइन जुड़ जाने से किसानों के जीवन में सार्थक बदलाव आएगा। अभी देश के किसी भी हिस्से में रहने वाला किसान अपनी फसल बेचने आस-पास की मंडी में ही पहंुचता है। कर्नाटक के किसी भी जिले का किसान अब सीधे दिल्ली या दूसरे किसी राज्य में अपनी फसल बेच पाएगा। उदाहरण के लिए दिल्ली में चने का एक कारोबारी अगर चना खरीदना चाहता है तो कंप्यूटर पर केवल एक बार क्लिक करने से वह देशभर की मंडियों में मौजूद हर गुणवत्ता के चने का पूरा स्टॉक देख सकता है और उसके लिए बोली भी लगा सकता है।  जाहिर है, इससे जहां एक ओर किसान को अपनी फसल के लिए बेहतर भाव मिलेगा, वहीं सरकार को भी देश के अलग-अलग हिस्सों में मांग और आपूर्ति के लिहाज से संतुलन बिठाने में  सुविधा होगी।
राष्ट्रीय ई-मार्केट्स सर्विसेज ने जिस तरह कर्नाटक ने एकीकृत बाजार प्रणाली लागू की है, उससे यह देशभर के लिए एक मॉडल बन गया है। दूसरे राज्य भी इसे जल्द से जल्द लागू करना चाह रहे हैं। मनोज राजन का दावा है कि राज्य चाहें तो सिर्फ 6 महीने में उनके राज्य में भी यही बाजार काम करने लगेगा।
राह नहीं आसान
राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना पूरे देश में लागू होने पर मुश्किलें बढ़ जाएंगी। बीकानेर अनाज मंडी के पूर्व चेयरमैन पुखराज चोपड़ा कहते हैं ''राष्ट्रीय कृषि बाजार एक अच्छी योजना है, लेकिन इस योजना को जल्दी में लागू किया जा रहा है। इसके बुरे परिणामों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इससे स्थानीय किसानों और व्यापारियों के बीच वैमनस्य बढ़ेगा।'' अभी व्यापारी किसान को हर तरह की मदद इसी भरोसे देता है कि किसान की उपज उसी के पास आएगी। लेकिन, जब किसान दूसरे राज्य की किसी मंडी के ज्यादा भाव के भरोसे स्थानीय व्यापारी के पास नहीं जाएगा तो दोनों के बीच के रिश्ते खराब होंगे। चोपड़ा कहते हैं, ''हर राज्य की मंडी चलाने के नियम अलग हैं और किसी उपज को एक राज्य से दूसरे में ले जाने के लिए हर राज्य का मंडी शुल्क चुकाना पड़ेगा। कई राज्यों को पार करके जाना है तो ये मुश्किल और बढ़ जाएगी।'' विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भंडारण की सीमा है। कानूनों से कुछ मुश्किलें हैं जिन्हें सुलझाए बिना यह योजना ठीक से लागू नहीं हो सकती है। अभी तक बुनियादी ढांचा ही तैयार नहीं है। जीएसटी का लागू न होना सबसे बड़ी बाधा पैदा करेगा।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies