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बाल चौपाल : योग का जादू ऐसा कि 100 पदक झटक लिए

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Feb 22, 2016, 12:00 am IST
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दिंनाक: 22 Feb 2016 12:51:00

 

उत्तर प्रदेश निवासी दसवीं का छात्र समरजीत तेवतिया विश्व भर में योग कला का डंका बजा रहा है। तीन वर्ष पहले उसने योग सीखना शुरू किया था। वह अब तक विभिन्न प्रतियोगिताओं में करीब 100 पदक अपने नाम कर चुका है। पिछले दिनों 18 से 21 दिसंबर के बीच उसने मलेशिया में स्वर्ण व कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है।

अभी वह जून में वियतनाम में होने वाली योग प्रतियोगिता की तैयारी में जुटा है. अभी तक 14 से कम आयु वर्ग में योग चैंपियनशिप में भाग लेने वाला समरजीत अब वियतनाम में एशियन योग फाउंडेशन की तरफ से होने वाली प्रतियोगिता के17 से कम आयु वर्ग में भाग लेगा।

गाजियाबाद के 'गुरुकल द स्कूल' का छात्र समरजीत पिलखुआ में अपने परिवार के साथ रहता है। उसके पिता सुदेश तेवतिया एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। तीन वर्ष पहले उसके पिता सुदेश को स्कूल में बुलाया गया जहां उनसे समरजीत की शरारतों की शिकायत की गई। इस पर उन्होंने स्कूल प्रशासन से कहा कि यदि ऐसा है तो आप अपने स्कूल में किसी स्पोर्ट्स में समरजीत को लगाएं ताकि उसका शरारातों पर ध्यान न जाए। उसी वर्ष स्कूल में योग का शिक्षण शुरू हुआ तो समरजीत ने योग की कक्षाओं में जाना शुरू कर दिया। योग की कक्षा में जाने से उसमें आश्चर्यजनक रूप से बदलाव आया। वह कठिन से कठिन योगासन को भी बड़े आराम से कर देता। समरजीत की प्रतिभा को देखते हुए 2012 में ही उसका चयन जिला स्तर की योग प्रतियोगिता के लिए हो गया। वहां से उसका चयन राज्य स्तर पर हुआ लेकिन राज्य स्तर पर उसे कोई स्थान नहीं मिला। लेकिन इसके बावजूद समरजीत ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से योग का अभ्यास शुरू कर दिया। इसके बाद उसने जिला एवं राज्य स्तर पर हुई अनगिनत प्रतियोगिताओं में पदक जीते।

समरजीत की लगन रंग लाई और उसे 2013 में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। समरजीत ने इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद एशियन योग फेडरेशन की तरफ से समरजीत बैंकाक गया और वहां पर एक स्वर्ण व दो रजत पदक अपने नाम किए। उसे सबसे बड़ी उपलब्धि 2015 में मलेशिया में मिली। 18 से 21 दिसंबर तक मलेशिया योग फेडरेशन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उसने दो स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीता। समरजीत कहता है, ''मैं पढ़ाई पूरी करने के बाद योग कला को पूरे विश्व में फैलाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया योग और इसके फायदों को समझे। इसलिए मैं योग शिक्षक के तौर पर कैरियर बनाना चाहता हूं।'' वहीं उसके पिता सुदेश का कहना है, ''योग में इतने पदक जीतने के बाद भी समरजीत को अब तक किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली है।'' योग प्रतियोगिताओं में भेजने में जो भी खर्च होता है, उसे वे खुद वहन करते हैं। वे जिला अधिकारी से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार तक को इस संबंध में लिख चुके हैं लेकिन योग के नाम पर उन्हें कोई प्रायोजक नहीं मिल पा रहा। फिलहाल वे समरजीत से वियतनाम में होने वाली योग प्रतियोगिता की तैयारी करवा रहे हैं। आदित्य भारद्वाज

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