|
वर्ष 2016 की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं के लिए बड़ी भयानक रही। एक महीने में आधा दर्जन जघन्य अपहरण, सामूहिक बलात्कार और उनके वीडियो बनाने के समाचारों ने लोगों को हिलाकर रख दिया। इनमें से एक मामले को छोड़कर किसी में भी पुलिस नामजद मुजरिमों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। सामाजिक संगठन 'सच' के संचालक संदीप पहल कहते हैं, ''क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हर कोई चिंतित है। तमाम मामलों में नामित अभियुक्त समुदाय-विशेष से सम्बंध रखते हैं। सपा सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण नीति ने मानो पुलिस के भी हाथ बांध दिए हों। यही कारण है कि पुलिस भी इन बलात्कारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने से हिचकिचाती है। ''पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हालत कैसी है, इसकी कल्पना इस क्षेत्र से बाहर के लोग (शायद पश्चिम बंगाल को छोड़कर) नहीं कर सकते।
पहली घटना 2016 के आरंभ में मेरठ के मवाना कसबे में हुई। यहां एक युवती को घर में अकेली पाकर शादाब, मुसरिफ और मुरसलीन नामक युवक घर में घुसे तथा उसके साथ मारपीट कर सामूहिक बलात्कार कर फरार हो गए। मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हो गयी, किन्तु एक महीना बीत जाने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि थानेदार नामित अभियुक्तों में से एक का नाम निकलवाना चाहते हैं, उसके बाद ही मामले में आगे बढ़ेंगे!
दूसरा मामला जिला मुजफ्फरनगर के मीरापुर कसबे का है। यहां एक 22 वर्षीया लड़की को उसके घर के बाहर से ही अगवा कर तीन लोगों – सद्दाम, रिजवान और शाहरुख ने सामूहिक बलात्कार किया तथा उसका वीडियो बनाया। बाद में उन्होंने इसके क्लिप महिला की भावी ससुराल को भेज दिए जिससे उसकी शादी टूट गयी। थाना प्रभारी जे.एस. यादव का कहना है कि आरोपियों ने लड़की से इस बारे में किसी को न बताने की धमकी दी थी, पर उन्होंने खुद वीडियो सार्वजनिक कर दिया। मेडिकल परीक्षण में भी बलात्कार की पुष्टि हो गयी, लेकिन पुलिस की तत्परता देखिए, तीन सप्ताह बाद भी उसके हाथ खाली हैं।
तीसरा मामला मुजफ्फरनगर के छपार का है। यहां 13 जनवरी को एक 'आशा' कार्यकर्ता ने अपने सामूहिक बलात्कार का वीडियो सब जगह फैल जाने के बाद आत्महत्या कर ली। 40 वर्षीया वह महिला तीन बच्चों की मां थी, पति विकलांग है, परिवार का पालन महिला की कमाई से ही होता था। आरोपी की उम्र 20 वर्ष है और उसका नाम शाहिद है। उसने उसे अपने परिवार में प्रसव में मदद के लिए बुलाया था। उसके घर जाने पर पता चला कि प्रसव के बहाने से बुलाकर उसका अपहरण किया गया है। शाहिद ने दोस्तों के साथ मिलकर उसका सामूहिक बलात्कार किया, जिसका वीडियो भी बनाया गया। उसे व्हाट्सएप पर डाल दिया गया। यह शर्मिन्दगी महिला से बर्दाश्त नहीं हुई और उसने सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जान दे दी। जिला प्रशासन ने मात्र 30,000 रु. की राशि उसके परिवार को दी है। इसके विरोध में तथा नामजद आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर छपार के हजारों लोगों ने कई जिलों की आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन किया। शाहिद तो गिरफ्तार हो गया, पर उसके साथी फरार हैं। क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाने के लिए प्रशासन ने लखनऊ पत्र भेजा है। तीन सप्ताह बाद भी वहां से कोई आशाजनक सन्देश प्राप्त नहीं हुआ। लोगों को याद होगा कि दादरी कांड में मृतक के परिवार को दो दिन में ही सब मिलाकर लगभग 50 लाख रुपए नकद और चार फ्लैट देने की घोषणा कर दी गयी थी। केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने निजी तौर पर मृतक की दो लड़कियों का सम्पूर्ण भार, उनके विवाह होने तक, स्वयं वहन करने का सार्वजनिक ऐलान किया है। बालियान मुजफ्फरनगर से सांसद हैं।
एक और दिल दहला देने वाली घटना में एक नाबालिग लड़की के साथ बागपत जिले के अम्बेटा में सामूहिक बलात्कार हुआ। इस लड़की का परिवार मुजफ्फरनगर दंगे (2013) में बेघर हुआ था तथा सरकार की ओर से सुरक्षा की गारंटी पर अम्बेटा में बसाया गया था। 14 वर्षीया किशोरी अपने खेत की ओर जा रही थी तब पूर्व ग्राम प्रधान जहीर के बेटे गुलफाम व उसके दो साथियों ने अगवा कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। वे उसे अचेत अवस्था में छोड़ गए। डॉक्टरी जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई। सर्किल अधिकारी एन.पी. सिंह ने बताया कि धारा 376बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हुआ है। मुजरिमों की गिरफ्तारी के सम्बंध में वे इतना ही कह सके कि कोशिश जारी है, लेकिन दो सप्ताह बाद भी परिणाम शून्य है।
23 जनवरी को मेरठ महानगर की बाहरी बस्ती काशी की एक नाबालिग लड़की मोदीनगर (जिला गाजियाबाद) से अपहृत कर ली गयी। अपहरणकर्ता मशकूर, मुसव्वर और हाजी लायक अली बसपा के नेता बताए जाते हैं। ये भी काशी के ही रहने वाले हैं। सर्किल अधिकारी रफीक अहमद के रुख से लगता है कि वे केवल खानापूरी कर रहे हैं। 12 दिन बाद भी लड़की का सुराग नहीं है। अहमद शायद उसे बालिग हो जाने के बाद ही बरामद करेंगे ताकि दबाव में लेकर धारा164 के अन्तर्गत बयान करा दें। ज्ञात हुआ है कि किशोरी कुछ ही दिनों में बालिग हो जाने वाली है। यह मामला मेरठ में बहुत उछल चुका है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, स्थानीय भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, महापौर, जिले के तीन भाजपाई विधायक आदि पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिदेशक समेत सभी अधिकारियों से मिल चुके हैं। स्थानीय पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता, जिसे जानकार लोग अभियुक्तों से मिलीभगत का नाम दे रहे हैं, की जानकारी केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक पहुंचा दी गयी है। काशी के लोग दो दिन बाजार बंद रखकर विरोध जता चुके हैं। वहां के लोगों का कहना है कि आरोपियों को काशी में रहने नहीं दिया जाएगा। निरंतर दिनोदिन बढ़ते तनाव के बावजूद प्रशासन हाथ पर हाथ रखे बैठा है।
आए दिन महिला सशक्तीकरण की बात करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व उनकी पार्टी इस पूरे घटनाक्रम में नदारद है। नेशनल बैंक वर्करर्स ऑर्गनाइजेशन के राजगोपाल कात्यायन कहते हैं, ''हैदराबाद पर ध्यान केन्द्रित करने वाले दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नेता अपने पड़ोस में महिलाओं के साथ हो रहे पैशाचिक व्यवहार पर खामोश हैं। क्या ऐसा तब भी होता जब बलात्कार की शिकार कोई मुसलमान महिला होती अथवा बलात्कारी हिन्दू रहे होते?'' यह प्रश्न इस क्षेत्र के लोगों के जेहन में है और यह सेकुलर होने का दम भरने वालों के लिए खतरनाक संकेत है। मेरठ से अजय मित्तल
टिप्पणियाँ