नेपाल में प्रथम आम चुनाव सम्पन्न!नेपाल कांग्रेस का बहुमत: कांग्रेस और महाराज के एकमत पर देश का भविष निर्भर
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नेपाल में प्रथम आम चुनाव सम्पन्न!नेपाल कांग्रेस का बहुमत: कांग्रेस और महाराज के एकमत पर देश का भविष निर्भर

by
Jan 25, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Jan 2016 14:00:41

पाञ्चजन्य के पन्नों से
वर्ष: 12  अंक: 41   
20 अप्रैल,1959

नेपाल का प्रथम आम चुनाव समाप्त हो चुका है। भारत की सीमा से मिला हुआ 500 मील लंबे क्षेत्र का यह स्वतंत्र देश अपने इतिहास में संसदीय पंजातंत्र का प्रथम बार परीक्षण कर रहा है। गत आठ वर्षों के इतिहास में राणाशही के शासन बाद स्व. राजा त्रिभुवन तथा उनके वर्तमान पुत्र राजा महेन्द्र ने कई बार प्रजातंत्रीय शासन स्थापित करने का प्रयत्न किया। परंतु अनेकानेक राजनीतिक दल होने तथा उनके नेताओं की राजनीतिक अपरिपक्वता के कारण कोई टिकाऊ शासन स्थापित नहीं हो सका।
यहां के अधिकांश राजनीतिज्ञ महलों में बैठकर और गुटबंदी एवं षड्यंत्रों के सहारे जनता से दूर जनता की सेवा का दम भरते रहे। अपने दल को दूसरे दलों से बड़ा एवं जनता के समर्थन का दावा करते रहे। दुर्भाग्यवश विभिन्न कारणों से इन दलों की समय-समय पर सरकारें बनीं जो इस देश के लिए बहुत अमंगलकारी सिद्ध हुईं।
राजनीतिक दलों ने चुनाव की मांग की परंतु अधिकांश दलों की नीति केवल इस बहाने येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाना ही था। यह सचमुच आश्चर्यजनक ही था कि अप्रतिनिधित्वपूर्ण 'सलाहकार परिषद' ने जो विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि तथा अन्य कुछ व्यक्तियों को मिलाकर गठित की गई थी राजा महेन्द्र से कई बार प्रार्थना की कि अभी चुनाव को आगे के लिए टाल दिया जाए। बाहरी जगत को यह जानकर बड़ा अचंभा होगा कि राजा महेन्द्र ने जिन्हें कुछ लोग प्रतिगामी तथा प्रगति के रोड़े के स्वरूप में देखते हैं असेम्बली को स्थगित कर दिया और सदस्यों से कहा कि आप लोग अब अपने चुनाव क्षेत्र में जाइये क्योंकि चुनाव अपने ठीक समय पर होंगे।
जिस देश में नाममात्र की अच्छी सड़कें हों और यातायात के सीमित साधन हों उसके लिए बालिग मताधिकार के आधार पर चुनाव कराना वास्तव में कठिन कार्य है। परंतु वहां के युवक एवं शक्तिशाली राजा के निश्चय के कारण ही चुनाव समय से एवं शांति के साथ संपन्न हो सका। चुनाव में अधिकारियों द्वारा पक्षपात आदि वहां की परिस्थितियों को देखते हुए क्षम्य माना जाएगा। यद्यपि प्रतिनिधि सभा के 109 सदस्यों के चुनाव में डेढ़ मास लगा। तब भी यहां की सभी राजनीतिक संस्थाओं को मतदाताओं में चुनाव प्रचार का पूर्ण संरक्षण एवं सहयोग प्राप्त हुआ और कहीं-कहीं तो सीमा का अतिक्रमण भी हुआ।
इस चुनाव से नेपाल के राजनीतिज्ञों और जनता दोनों को सबक सीखना चाहिए। प्रजातांत्रिक महासभा जिसने 84 सीटों पर चुनाव लड़ा उसका तख्ता एकदम पलट गया बिल्कुल यही हाल नेपाली नेशनल कांग्रेस का जो पुराने दलों में से एक है हुआ। प्रजापरिषद की भी नगण्य स्थिति हो गई है। तराई कांग्रेस जो क्षेत्रीय भावनाओं के आधार पर पनपना चाहती थी उसकी पराजय उचित ही हुई है। इस प्रकार चार राजनीतिक दल- नेपाली कांग्रेस, गोरखा परिषद, संयुक्त प्रजातांत्रिक दल एवं कम्युनिस्ट पार्टी रह जाते हैं। इस चिट्ठी के लिखने तक अंतिम तीन दलों ने प्रथम दल की आधी सीटें जीती हैं।
यहां प्रमुख व्यक्त्वि वाले नेताओं की स्थिति तो और भी विचित्र है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री और प्रजा परिषद के अध्यक्ष श्री टंकप्रसाद आचार्य अपने काठमांडू के शहरी क्षेत्र में हार खानी पड़ी, यही नहीं तो जमानत से भी हाथ धोना पड़ा। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी हार का कारण भारत विरोधी विचार भी बताते हैं जो केवल आंशिक सत्य हो सकता है। लगभग इसी प्रकार का हाल उनके अन्य साथियों पशुपतिनाथ घोष आदि का हुआ है। श्री भद्रकाली मिश्र प्रजा परिषद के दूसरे गुट के प्रधान भी अपने ही गांव के क्षेत्र में साफ हो गये।

कम्युनिस्टों के प्रोत्साहन पर केरल में मुस्लिम साम्प्रदायिकता जोरों पर
हिन्दुओं को परंपरागत जुलूस निकालने के लिए सत्याग्रह करना पड़ा
(विशेष प्रतिनिधि)
त्रिवेन्द्रम। केरल का कम्युनिस्ट शासन अब खुले रूप में मुस्लिम साम्प्रदायिकता को उभाड़ने लगा है, इसके प्रत्यक्ष प्रमाण सामने आए हैं। गुरुवयुर के निकट मथाला में एक विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। भगवान् की दिव्य मूर्ति के साथ जब एक धार्मिक जुलूस मंदिर की ओर अग्रसर हो रहा था, एक पुलिस दस्ते ने जुलूस को रोक लिया तथा मूर्ति को जबरदस्ती थाने ले जाया गया।
पुलिस  ने इस समस्त कार्यवाही का कारण यह बताया कि निकट में सड़क के किनारे मस्जिद है और यदि जुलूस निकाला गया तो झगड़ा होने की आशंका है। गतवर्ष भी इस प्रकार बहाना बनाकर हिन्दुओं के धार्मिक उत्सव में बाधा उपस्थित की गई थी, 144 धारा लगाकर जुलूस को निकलने से रोक दिया गया था। ऐसी परिस्थिति में जनता में भावना व्याप्त होना स्वाभाविक है कि मुसलमानों को उकसाकर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का हनन किया जा
रहा है।
सत्याग्रह
इस अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए एक समर समिति का गठन किया गया। उपासना का मौलिक अधिकार सुरक्षित रखने के लिए जन आन्दोलन छेड़ दिया गया। रोज सत्याग्रह होने लगा, बड़े-बड़े जुलूस निकाले जाने लगे, बड़ी-बड़ी जनसभाओं का आयोजन होने लगा तथा आन्दोलनकारी गिरफ्तार किए जाने लगे। 100 से भी अधिक सत्याग्रही गिरफ्तार हो जाने के पश्चात् भी सत्याग्रह में किसी प्रकार की कमी नहीं आई। यहां तक कि महिलाओं ने भी सत्याग्रह में हमें सोत्साह भाग लिया। सत्याग्रहियों की मांगें अत्यंत सरल थीं कि संविधान द्वारा प्राप्त उपासना का अधिकार सुरक्षित रहे।
समझौते के प्रयास
शासन की ओर से अनेक बार समझौते के प्रयास भी किए गए। एक बार केरल के कानून मंत्री श्री वी.आर.कृष्ण  अय्यर ने समर समिति, जनसंघ व मुसलमानों की एक बैठक आयोजित की। किंतु किसी प्रकार का समझौता नहीं हो सका। मंत्री महोदय का सुझाव था कि जब नमाज का वक्त हो, उसको छोड़कर जुलूस निकाल लिया जाए। समर समिति तथा जनंसघ इस प्रकार की कोई भी शर्त मानने को तैयार नहीं हुए। इस पर कम्युनिस्टों द्वारा एक जुलूस निकाला गया जिसमें अधिकांश भाग लेने वाले मुसलमान थे। जुलूस एक सार्वजनिक सभा के रूप में परिणत हुआ। सभा में जनसंघ नेताओं को बुरा-भला कहा गया और सरेआम मुसलमानों को उभारा।
किंतु कम्युनिस्टों के प्रयासों का हिन्दू जनता पर किसी भी प्रकार कोई असर नहीं हुआ, यह समर समिति के आह्वान पर हिन्दू नर-नारियों द्वारा किए गए विशाल जन-प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया। बाद में प्रदर्शनकारी एक विशाल जनसभा के रूप में परिणत हुए। केरल के प्रदेश जनसंघ के उपाध्यक्ष कैप्टेन टी. बालकृष्ण मेनन ने सभी की अध्यक्षता की। जनसंघ के संगठन मंत्री श्री पी. परमेश्वर ने सभा में  भाषण देते हुए समर समिति का दृष्टिकोण स्पष्ट किया तथा कम्युनिस्टों की चालों का पर्दाफाश किया। आपने मुसलमानों को आगाह किया कि वे कम्युनिस्टों के हाथों में न खेलें।
आपने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि एक बार मौलिक अधिकार का प्रश्न तय हो गया तो सारे मामले का मैत्रीपूर्ण हल निकलने में देर नहीं लगेगी। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कम्युनिस्ट मुसलमानों को भड़का रहे हैं कि वे अपनी अनुचित जिद्द पर अड़े रहें। वैसे सामान्य मुसलमान इस मत का है कि हिन्दुओं का परम्परागत अधिकार बने रहने में ही हिन्दू व मुसलमान दोनों का कल्याण है। 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies