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आस्तीन के….

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Dec 14, 2015, 12:00 am IST
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दिंनाक: 14 Dec 2015 15:01:32

अभी तक पांच जासूस गिरफ्तार, सेना से जुड़े अहम दस्तावेज करा रहे थे आईएसआई को मुहैया
राजौरी में सीमा सुरक्षा बल का हवलदार और सिलीगुड़ी यूनिट में तैनात जवान भी गिरफ्तार

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई सीमा पार से भारत में जासूस छोड़कर सेना व सीमा सुरक्षा बल में घुसपैठ करने की साजिश रच रही है। सीमा सुरक्षा बल और सेना में तैनात ये 'सुरक्षाकर्मी' देश से गद्दारी कर न केवल दुश्मन को सेना से जुड़े अहम दस्तावेज मुहैया करवा रहे थे, बल्कि पल-पल सेना की गतिविधियां उन तक पहंुचा रहे थे। पुख्ता सूचना मिलने पर ही पाकिस्तान की ओर से लगातार भारत की चौकियांे पर सटीक निशाना लगाकर गोलीबारी करवाई जा रही थी। दिल्ली पुलिस के 'इंटर स्टेट सेल' (आईएससी) ने आईएसआई को सूचना मुहैया करवाने वाले पांच लोगों का पर्दाफाश किया है। इनमें शामिल सीमा सुरक्षा बल और सेना के जवान रुपयों के लालच में अपने देश की सुरक्षा को सेंध लगा रहे थे। इनके विरुद्ध गोपनीय दस्तावेज अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन सभी को 10 दिसम्बर को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, इससे पहले ये पुलिस रिमांड पर चल रहे थे।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा पिछले कुछ माह से आईएसआई को सेना और दूसरी अहम सूचनाएं मुहैया करवाने वाले जासूसों पर निगरानी रख रही थी। अपराध शाखा की आईएससी के सहायक पुलिस आयुक्त के. पी. एस. मल्होत्रा की देखरेख में निरीक्षक पी. सी. यादव और संजीव यादव की टीम ने गत 26 नवम्बर को जम्मू से भोपाल जा रहे साजिश के सूत्रधार कफेतुल्लाह खान उर्फ मास्टर राजा को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से सेना के कुछ दस्तावेज, पासपोर्ट और पाकिस्तान दूतावास के एक अधिकारी के नाम लिखा पत्र बरामद किया गया। आईएसआई के लिए काम करने वाले मुस्लिम युवाओं की संख्या बढ़ाने के मकसद से ही वह भोपाल में आयोजित होने वाले दो दिवसीय 'इज्तिमा' में शामिल होने जा रहा था, लेकिन पुलिस की सतर्कता के चलते पकड़ा गया। भोपाल पहंुचे मुस्लिम युवकों की संख्या पता करने और उन्हें अपने संपर्क में लाने के लिए आईएसआई द्वारा उसे काम सौंपा गया था। इससे पूछताछ के बाद पुलिस ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सीमा सुरक्षा बल के मुख्यालय के खुफिया विभाग में तैनात हवलदार अब्दुल रशीद को गिरफ्तार किया। उससे भी सेना से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए। अब्दुल से पूछताछ के बाद सेना के पूर्व हवलदार मुनव्वर अहमद मीर, मास्टर साबर और सेनाकर्मी फरीद खान को गिरफ्तार कर लिया गया। फरीद अभी सिलीगुड़ी में तैनात है, जो कि सितम्बर माह तक जम्मू-कश्मीर में तैनात था। पुलिस के मुताबिक कफेतुल्लाह राजौरी के मांजकोट स्थित गांव कलाली का रहने वाला है। उसका वर्ष 1992 में सीमा सुरक्षा बल में चयन हुआ था, लेकिन वह 1993 में जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस में नौकरी मिलने पर वहां भर्ती हो गया। 1995 में वह मांजकोट के उच्च माध्यमिक स्कूल में पुस्तकालय सहायक के पद पर नौकरी करने लगा। उसके दो भाई वर्ष 1965 में पाकिस्तान जाकर बस गए थे जिसमें से एक की मौत हो चुकी है। वर्ष 2013 में भी वह अपने भाई से मिलने अक्तूबर से दिसम्बर के बीच पाकिस्तान के गुजरांवाला गया था। वहां कफेतुल्लाह आईएसआई के फैजल नामक एजेंट के संपर्क में आ गया और फिर रुपयों के लालच में उनके लिए काम करने लगा। आईएसआई ने उसे कहा था कि केवल सेना व सीमा सुरक्षा बल के जवान या पूर्व जवानों से सूचनाएं एकत्रित कर उन्हें पहंुचानी हैं। इसके पीछे सेना, दूसरे सुरक्षा बलों और वायुसेना के ऑपरेशन से जुड़ी अहम जानकारियां प्राप्त करना था। इसके लिए उसने अपने मामा के लड़के अब्दुल रशीद उर्फ खान से संपर्क किया और उसे आईएसआई को सीमा सुरक्षा बल की अहम जानकारियां मुहैया कराने के लिए तैयार कर लिया। अब्दुल भी मांजकोट, राजौरी का निवासी है और सीमा सुरक्षा बल के राजौरी स्थित मुख्यालय में वर्ष 2012 से खुफिया विभाग में तैनात था। उसके पास 70 किलोमीटर क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल की गतिविधियों का जिम्मा था। वह 1990 में सीमा सुरक्षा बल में तैनात हुआ था और गुजरात व पश्चिम बंगाल में भी रह चुका था। 1998 में उसकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में हो गई। वह फेसबुक, वाट्सएप और वाइबर के माध्यम से विभाग की अहम जानकारियां पहले कफेतुल्लाह और बाद में रोजाना आईएसआई को मुहैया कराने लगा। अब्दुल कुल सुरक्षाकर्मियों की संख्या, सीमा वाले क्षेत्र में बल की तैनाती, नक्शे, हथियार और योजनाओं की जानकारी आईएसआई से साझा करता था जिसे गत 29 नवम्बर को राजौरी से गिरफ्तार किया गया। अब्दुल रशीद का चाचा पाकिस्तान में है जिससे वर्ष 2014 में उसके पिता मिलने गए थे। इस मामले में पुलिस ने गत 4 दिसम्बर को सेना से  सेवानिवृत्त हवलदार मुनव्वर अहमद मीर को गिरफ्तार किया। वह 1995 में सेना में भर्ती हुआ और 2011 में जम्मूू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी, राष्ट्रीय रायफल्स से सेवानिवृत्त हुआ था। वह एक पीडीपी विधायक का मित्र बताया जा रहा है।

इसके बाद चौथे आरोपी मास्टर साबर को गत 5 दिसम्बर को राजौरी से  गिरफ्तार किया गया। वह अभी राजौरी तहसील के चुनाव कार्यालय में कार्यरत है। पुलिस से बचने के लिए उसने अपने घर के बाहर ताला लगा दिया था और अंदर ही छिपा हुआ था। पुलिस ने जब शक होने पर ताला तोड़ा तो वह घर की छत से 30 फुट नीचे कूद गया जिसे पुलिसकर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर गिरफ्तार कर लिया। इस पूरे गिरोह में साबर आईटी विशेषज्ञ था। कफेतुल्लाह और अब्दुल रशीद ज्यादा सामग्री वाट्सएप के जरिये भेजने में कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने इस काम के लिए साबर को चुना। वह मेल से फोटो, नक्शे और अन्य अहम जानकारी देने में माहिर है। उसके परिवार में भाई और पत्नी शिक्षक हैं। पुलिस ने गत 6 दिसम्बर को पांचवें आरोपी के रूप में फरीद खान को गिरफ्तार किया। वह सेना में सिपाही है और अभी सिलीगुड़ी यूनिट में तैनात है और सितम्बर तक जम्मू-कश्मीर में रहा था। वह पहले मुनव्वर के संपर्क में भी रह चुका था और उसी के जरिये इन सभी से जुड़ा था। सूत्रों के अनुसार एक सीडी और पैनड्राइव में सेना से जुड़ी अहम जानकारियां उसने आईएसआई को मुहैया करवाई गई हैं, जो कि महत्वपूर्ण डाटा बताया जा रहा है। पुलिस ने सेना की सिलीगुड़ी यूनिट में तैनात जोगिंदर से भी उसकी भूमिका संदिग्ध होने पर पूछताछ की है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। कफेतुल्लाह की पृष्ठभूमि पहले से ही आपराधिक रही है। वह एक बच्चे के अपहरण मामले में जेल जा चुका है। वहीं साबर एक बार नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी और फर्जी लैटरहेड का इस्तेमाल करने पर जेल गया था। इनसे सीमा सुरक्षा बल, सेना, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, आईबी और रॉ द्वारा पूछताछ की जा चुकी है। सेना से जुड़े अहम दस्तावेजों को लेकर सभी का आमना-सामना भी कराया गया। आईटी विशेषज्ञ कागजों को डाटा भी खंगाल रहे हैं।
 पुख्ता जानकारी देते थे
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को ये पांचों लोग खुफिया जानकारी मुहैया कराते थे। दरअसल अब्दुल को पूरी जानकारी रहती थी कि सीमा सुरक्षा बल की ओर से कहां पर पोस्ट और 'डमी' पोस्ट तैयार की गई हैं। यह जानकारी मिलने पर पाकिस्तानी सेना केवल असली पोस्ट पर हमला करती थी और डमी पोस्ट पर कभी भी हमला नहीं किया जाता था। इनका पर्दाफाश होने के बाद सेना और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों को पता चला कि अब्दुल और उसके सहयोगियों द्वारा गुप्त सूचनाएं पाकिस्तान को मुहैया कराने से ऐसा हो रहा था। इनके लिए अहम दस्तावेज 'ओआरबीएटी' (ऑर्डर ऑफ बैटल) था। सेना में युद्ध की स्थिति में कौन सी टुकड़ी आगे, पीछे या उसकी क्या गतिविधि रहेगी और उसका संचालन कौन अधिकारी करेगा, ये सब सूचनाएं दी जा रही थीं। विशेषतौर पर सेना की तैनाती, संख्याबल, हथियारों की स्थिति और बंकरों का ठिकाना अहम रूप से बताना होता था। साथ ही युद्धाभ्यास से जुड़ी जानकारी या कोई नई तकनीक शुरू होने पर विशेष जानकारी भेजनी होती थी। इसी आधार पर दुश्मन हमारी सेना की रणनीति से भलीभांति परिचित हो चुका था। इन लोगों को आईएसआई को 'लेजर वॉल सिक्युरिटी सिस्टम' की जानकारी देनी थी। इस सिस्टम में सीमा वाले क्षेत्र में यदि कोई प्रवेश करता है तो तुरंत अलार्म बज जाता है। यह जानकारी ये लोग अभी मुहैया कराने वाले थे।
सऊदी अरब से खातों में आती थी रकम
पुलिस ने जांच में पाया है कि पांचों आरोपियों के खातों में आईएसआई द्वारा सऊदी अरब से रकम जमा करवाई जाती थी। यह रकम एचडीएफसी बैंक, जे एंड के बैंक और एसबीआई में जमा करवाई जाती थी। पिछले एक साल में सभी के खातों में 50 हजार रुपए से अधिक की रकम जमा कराई जा चुकी थी। इसके अलावा पाकिस्तान जाने वालों के माध्यम से भी इन्हें रकम पहंुचाई जाती थी।
कफेतुल्लाह देता था आतंकवादियों को पनाह
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि कफेतुल्लाह वर्ष 1995 से वर्ष 2002 तक पाकिस्तान की सीमा से भारत में चोरी-छिपे प्रवेश करने वाले आतंकवादियों को संरक्षण देता था। जिस समय आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में चरम पर था, उस समय वह उन सभी को अपने घर ठहराता था। आमतौर पर रोजाना 10 से 20 लोगों को भारत की सीमा में प्रवेश कराता था। उसका भाई भी सेना में तैनात है।
सोशल मीडिया का करते थे बखूबी इस्तेमाल
ये सभी लोग अपने फोन पर वाट्सएप और वाइबर डाउनलोड कर बातचीत करते थे और फोटो-नक्शे भेजकर उस 'एप' को मोबाइल फोन से हटा देते थे।

राहुल शर्मा

कोलकाता से तीन आईएसआई एजेंट पकड़े
कोलकाता के खिदिरपुर से पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए कार्य करने एवं सेना से जुड़े अहम दस्तावेजों को पाकिस्तान के साझा करने  के आरोप में 3 एजेंटों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान मोहम्मद जहांगीर, अशफाक अंसारी और इरशाद अंसारी के रूप में की गई। इनसे पांच लाख रुपए के जाली नोट भी बरामद किए गए हैं। इरशाद अंसारी तृणमूल की श्रमिक संस्था का  प्रभावी नेता बताया जा रहा है। इरशाद अंसारी का बेटा अशफाक अंसारी भी इसमें शामिल है। अशफाक दो बार बंगलादेश भी जा चुका है और इरशाद द्वारा दिए गए दस्तावेजों को आईएसआई एजेंट को देकर लौटा है। गत 27 नवम्बर को उ. प्र. एसटीएफ ने मेरठ में पाकिस्तानी नागरिक व आईएसआई एजेंट मोहम्मद एजाज उर्फ कलाम को गिरफ्तार किया था। खुफिया विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गत 28 नवम्बर को कोलकाता में पकड़े गए तीनों एजेंट कलाम के साथ मिलकर कार्य करते थे। वह उनके द्वारा सौंपे गए कार्यों को अंजाम देता था। कोलकाता में एजाज के रहने का पूरा इंतजाम कोलकाता में पकड़े गए इरशाद ने किया था। उसके उपचार के लिए भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड व राशन कार्ड जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी इन तीनों ने मुहैया कराए थे। कलाम करीब डेढ़ साल तक बन्दरगाह के आसपास वाले इलाके में रहा और वहां पर उसे इरशाद, मोहम्मद जहांगीर और अशफाक अंसारी ने तटरक्षक और जल सेना से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज एवं गुप्त सूचनाएं उपलब्ध कराई थीं।
भारत एवं बंगलादेश के खुफिया विभाग एवं पुलिस का मानना है कि बंगलादेश में सिमी  को स्थापित करने व उन्हें रकम पहुंचाने का कार्य सारदा चिट फंड के जरिये होता था। इसी के जरिये इन आतंकवादियों को नकदी मिलती थी। खुफिया विभाग की ही एक अन्य शाखा इस पूरे में कहती  है कि 'इंडियन नेशनल तृणमूल टे्रड यूनियन कांग्रेस' के प्रभावी सदस्य होने कारण स्थानीय पुलिस अधिकारियों का इरशाद के साथ करीबी संबंध था। इस घटना के बारे में जब राज्यमंत्री फरहाद हाकिम से बात की तो उनका जवाब था कि वह इस समय अरब में हैं। कोलकाता की गतिविधियों के बारे में उन्होंने कोई भी जानकारी होने से मना कर दिया। वहीं तृणमूल के महासचिव तथा राज्य के शिक्षामंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय ने पार्टी को घिरता देख, कहा 'जिन भी लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनसे सरकार का कोई संबंध नहीं है। इनमें से किसी को भी क्षेत्रीय सदस्यता नहीं दी गई।' पकड़ा गया आरोपी पहले सीपीएम उसके बाद कांग्रेस और तृणमूल की छात्र शाखा परिषद में आया, जबकि राज्य की विपक्षी दलों ने पकड़े गए आईएसआई एजेंटों को सत्ताधारी दल का पूरा संरक्षण देने और शह देने का आरोप लगाया है। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा कहते हैं कि 'राज्य में आईएसआई और जमात के बहुत से लोग तृणमूल में हैं। सत्ता की शह पर ही यहां ये फलफूल रहे हैं।'    बासुदेब पाल

मुनव्वर सेना से सेवानिवृत्त था और वहां की अहम जानकारियां उसने आईएसआई को दीं।

अब्दुल रशीद बीएसएफ में हवलदार है और खुफिया विभाग में तैनात था। वह सुरक्षाकर्मियों की संख्या, हथियार और नक्शे आईएसआई को मुहैया करवाता था।

साबर आईटी विशेषज्ञ था और पाकिस्तान मेल और वाट्सएप से डाटा भेजता था।

कफेतुल्लाह आईएसआई से जुड़ने वाला पहला शख्स था और पाकिस्तान भी जा चुका था। इसकी गिरफ्तारी के बाद ही जासूसी करने वालों का पर्दाफाश हो सका।

फरीद सेना की सिलीगुड़ी यूनिट में तैनात है जिसने पैन ड्राइव व सीडी से महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान भेजी।

मेरठ से गिरफ्तार हुआ एजेंट एजाज
उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मेरठ छावनी क्षेत्र से 27 नवम्बर को पाकिस्तानी जासूस मो. एजाज उर्फ कलाम को गिरफ्तार किया। इससे मिली जानकारी के आधार पर ही कोलकाता से तीनों एजेंटों को गिरफ्तार किया गया।
उ. प्र. एसटीएफ के पुलिस महानिरीक्षक सुजीत पांडे के मुताबिक एसटीएफ को ऐसी सूचनांए मिल रही थीं कि पाकिस्तान के जासूस भारतीय सेना की जासूसी कर गुप्त सूचनाएं और प्रतिबंधित एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को उपलब्ध कराने में सक्रिय हैं। इसी कम्र में यूपी एसटीएफ को गत 27 नवम्बर को कलाम की गिरफ्तारी के रूप में बड़ी सफलता मिली।
गिरफ्तार एजाज के पास से पाकिस्तानी पहचान पत्र की फोटो कॉपी, एक मोबाइल फोन, सिम कार्ड, लैपटॉप, पैन ड्राइव, पश्चिमी बंगाल में बना उसका फर्जी पहचानपत्र और बरेली के पते पर बना फर्जी आधार कार्ड, भारतीय सेना की गुप्त सूचनाएं, प्रतिबंधित महत्व के दस्तावेज, नेपाल और सऊदी अरब की मुद्रा बरामद हुई है। वह बंगलादेश से पश्चिम बंगाल के जरिये भारत में घुसा था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक एजाज ने छह माह पूर्व बरेली के छावनी क्षेत्र में वीडियोग्राफी करने वाले शख्स मोहम्मद आसिफ से मित्रता कर ली थी। उसके जरिये वह छावनी क्षेत्र में सक्रिय हो गया। सैन्य अधिकारियों के यहां आयोजित होने वाले समारोह में वीडियोग्राफी करने के बहाने उसने सेना के महत्वपूर्ण भवनों की रिकार्डिंग कर पाकिस्तान भेजी थी।      सुुरेंद्र सिंघल

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