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नाम : डगलस यूटल अब जय यूटल, न्यूयॉर्क अमरीका
क्या हैं : गायक एवं गीतकार
संस्कृति सूत्र : अध्यात्म में पगी संगीत की कीर्तन शैली
परिवर्तन का क्षण : बंगाल के घुमक्कड़ संगीतकारों से मिलन
बचपन से संगीत प्रेमी डगलस यूटल 19 वर्ष की उम्र में अली अकबर खां के संपर्क में आए और उनसे संगीत शिक्षा लेने के लिए न्यूयार्क से कैलिफोर्निया चले गए। अली अकबर खां से सरोद सीखने के बाद वह भारत आए। यहां वे बंगाल के घुमक्कड़ 'बाउल' संगीतकारों से बहुत प्रभावित हुए। जय उन्हीं के साथ रहने लगे और संगीत की भाषा में उनसे बात करने लगे। भारत यात्राओं के दौरान वे नीम करौली बाबा सहित कई हिन्दू और बौद्ध संतों के संपर्क में आए। वह कीर्तन के परमभक्त हो गए और संगीत का यह तरीका उनकी संगीत और आध्यात्मिक यात्रा का मुख्य वाहक बन गया।
जब जय अमरीका लौटे तो उनके संगीत का कायाकल्प हो चुका था। तमाम बैंड्स के साथ काम करते हुए भी उन्होंने भारतीय संगीत सीखना जारी रखा। वह अमरीका भर में कीर्तन मंडलियों का नेतृत्व भी करने लगे। जय की विशिष्ट आवाज और भारतीय संगीत के मेल ने एक नई ही ध्वनि निर्मित की। 2003 से उन्होंने अपने कीर्तन रिकार्ड करना शुरू कर दिया। आज विश्व भर में कीर्तनों और योग कार्यक्रमों में उनकी मुख्य भूमिका दिखती है। अध्यात्मिक अनुभव कराने वाले उनके संगीत के चाहने वाले लाखों हैं।
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