|
इन्दौर में 24 से 26 अक्तूबर को वैचारिक कुम्भ का आयोजन हुआ। यह आयोजन मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, सांची बौद्घ-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और फर स्टडी ऑफ रिलीजन एण्ड सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस वर्ष तृतीय सम्मेलन हुआ और इसे सिंहस्थ की वैचारिक पूर्वपीठिका के तौर पर देखा जा सकता है। आगामी 12, 13 एवं 14 मई को उज्जैन में विशाल वैचारिक महाकुंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में प्रारम्भ होगा। जिसमें मानव-कल्याण का सिंहस्थ घोषणा-पत्र भी जारी होगा। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, तिब्बत के प्रशासनिक प्रमुख श्री लोबसांग सांगे, लोकसभा अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा महासचिव राम माधव, अमरीकी वैदिक शिक्षण संस्थान के निदेशक पद्मश्री वेदाचार्य डेविड फ्राउली, म.प्र. सरकार के प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव, प्रो. गजनेश्वर शास्त्री, केन्द्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. गेशे सेमटेन, न्यू एज इस्लाम दिल्ली के संस्थापक संपादक सुल्तान शाहीन, श्रीलंका सरकार के महानगर एवं शहरी विकास मंत्री श्री पताली चम्पिका रानावाका, दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो़ एस़ आऱ भट्ट और महाबोधि सोयायटी श्रीलंका के अध्यक्ष श्री बनागला उपातिस्सा नायक थैरो विशेषरूप से उपस्थित रहे।
सिंहस्थ-2016 के पूर्व इंदौर में शुरू हुए तीन दिवसीय धर्म और आध्यात्मिक वैश्विक समागम का शुभारम्भ करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि परस्पर सहयोग की भावना से आपसी संघर्ष समाप्त हो जाते हैं। समागम की अवधारणा मानव कल्याण पर आधारित है। सभी धमोंर् की यही मान्यता रहती है कि सभी लोग सुखी एवं आनंद से रहें। हमें जीवन की समग्रता के लिये परस्पर सहमति, परस्पर स्वावलंबन और सहयोग की भावना के साथ रहना चाहिए। श्री जोशी ने कहा कि कर्त्तव्यों का पालन ही धर्म है। हमें सभी की मान्यताओं एवं उपासना पद्घतियों का आदर करना चाहिये।
लोकसभा अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि सिंहस्थ-2016 के पूर्व विचारों का यह महाकुंभ सराहनीय प्रयास है। इससे सिंहस्थ सही मायने में सार्थक होगा। हमारी परम्परा में नदियों एवं वृक्षों की पूजा का विशेष महत्व है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उपासना पद्घति अलग-अलग होने के बावजूद सभी धर्मों का मूल एक है। इन समस्याओं का समाधान धर्म में निहित है। सिंहस्थ धर्म का महाकुंभ है। इस महाकुंभ को विश्व की समस्याओं का समाधान ढूंढने का भी माध्यम बनाया जा रहा है।
भूटान के विदेशमंत्री लोम्को दोम्चो दोर्जी ने कहा कि हिन्दुत्व कई धमोंर् का मूल आधार है। धर्म, व्यक्ति को शांति प्रदान करने का जरिया है। इस समागम में वैचारिक रूप से जो अमृत निकलकर आयेगा, वह मानव कल्याण के लिये निश्चय ही फलदायी होगा। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में धर्म की जो प्रस्तुति दी थी, वास्तव में वही सभी धमोंर् का मूल है।
तिब्बत के प्रशासनिक प्रमुख श्री लोबसांग सांगे ने कहा कि धर्म का उद्देश्य करुणामय संसार की रचना करना है। हिन्दू धर्म वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करता है। बौद्घ धर्म भी सर्वे भवन्तु सुखिन: में विश्वास करता है। धर्म हमें साहस, ज्ञान, विवेक, शुद्घता, दयालुता और कर्त्तव्य की शिक्षा देता है।
सम्मेलन में अनेक अकादमिक सत्र हुए जिनमें शोध-पत्रों की प्रस्तुति की गई। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि पश्चिम के प्रच्छन्न भोगवाद, आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद, हिंसा आदि से बड़ी समस्या है। केन्द्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. गेशे सेमटेन ने कहा कि विश्व के सभी धमोंर् का सार जीव-जन्तु के प्रति दया अभिव्यक्त करना है। सभी धर्म कर्मकाण्ड की विविधता के बावजूद भी मानव-कल्याण में विश्वास करते हैं।
अमरीकी वैदिक शिक्षण संस्थान के निदेशक पद्मश्री वेदाचार्य डेविड फ्राउली ने कहा कि सभी धमोंर् की शिक्षा, शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल होनी चाहिए। वैदिक दर्शन सबसे प्राचीन होते हुए भी आज भी प्रासंगिक है। मानव कल्याण के लिए धर्म का अनुसरण जरूरी है। सभी धर्म शरीर और आत्मा के उन्नयन में विश्वास करते हैं।
न्यू एज इस्लाम दिल्ली के संस्थापक संपादक श्री सुल्तान शाहीन ने कहा कि इस्लाम सामाजिक समानता और विश्व शांति में विश्वास करता है। विश्व में विवाद का मुख्य कारण धर्म के प्रति संकीर्ण मनोवृत्ति है।
श्रीलंका सरकार के महानगर एवं शहरी विकास मंत्री श्री पताली चम्पिका रानावाका ने कहा कि आध्यात्मिक प्रगति के बिना भौतिक प्रगति अधूरी है। धर्म-धम्म सम्मेलन के समापन सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा कि समाज में धर्माचरण से ही अपराधों में कमी आयेगी। समाज में धर्म का प्रचार-प्रसार, विस्तार और पोषण जरूरी है। सम्मेलन में अमरीका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, स्पेन, ब्रिटेन, सिंगापुर, थाइलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नेपाल, श्रीलंका, बंगलादेश एवं इस्रायल का प्रतिनिधित्व हुआ। मध्यप्रदेश के सभी जिलों से लगभग 120 धर्म विद्वान और धर्मगुरु भी उपस्थित रहे।
ल्ल अनिल सौमित्र
टिप्पणियाँ