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‘जो मांस खाता है, उसे रोका नहीं जा सकता। बहुत से हिन्दू बीफ खाते हैं। विदेश जाने वाले हिन्दू तो गोमांस खाते ही हैं। देश के अंदर भी बहुत से लोग बीफ खाते हैं। मांस खाने वाला गाय-बकरा नहीं देखता।’ बिहार में पहले चरण का मतदान 12 अक्तूबर को है। ऐसे में लालू यादव का यह बयान बिहार के चुनावी माहौल में उनके गले की फांस बनता जा रहा है। उनका यह बयान न तो उन्हें उगलते बन रहा है, न निगलते। मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के चलते मुसलमानों को लुभाने और उनके वोट पाने के लिए बड़बोले लालू ने यह बयान तो दे दिया लेकिन जैसे ही इस बात पर माहौल गरमाया वैसे ही उन्होंने बयान से पल्ला झाड़ लिया। लेकिन तब तक इस बयान ने बिहार के राजनीतिक पारे को चढ़ा दिया था। लोगों ने राज्य में कई स्थानों पर उनके पुतले फूंके तो कई स्थानों पर उनके खिलाफ प्राथमिक रपट दर्ज कराईं। मुजफ्फरपुर, बेगूसराय और दरभंगा के बेनीपुर में मुकदमें दायर हुए।
इस विषय पर लालू यादव को आड़े हाथों लेते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अपने बयान के बाद विरोधियों के निशाने पर आए लालू यादव अब बिहार की जनता को जगह-जगह दलीलें देते घूम रहे हैं और इससे पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि राज्य के राजनीतिक समर में उनका यह बयान उनके अपने गठबंधन के लोगों को ही रास नहीं आ रहा है। खुद नीतीश कुमार उनके बयान पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और मीडिया को देखते ही कन्नी काट लेते हैं। नीतीश कुमार को पता है कि इस बयान के बाद उन्हें चुनाव में नुकसान होने वाला है। ऐसे में वह और कुछ बोल कर बची-खुची प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते। लालू यादव का जाति आधारित बयान पहले से ही उन्हें असहज कर चुका है। एक के बाद एक विवाद लालू यादव का पीछा नहीं छोड़ रहा है। वहीं चुनावी सभाओं में राजनीतिक दलों के नेता उनके बेटों की पढ़ाई पर तंज कसकर उन पर भारी पढ़ रहे हैं। केन्द्रीयमंत्री राम विलास पासवान ने तो यहां तक बोल दिया कि जो अपने बेटों की पढ़ाई नहीं करा सका वह बिहार को क्या पढ़ा पाएगा। अंदरखाने से आती चुनावी खबरों की मानें तो लालू नीतीश के लिए बोझ बनते जा रहे हैं। सेकुलरिज्म का चोला ओढ़ने के कारण नीतीश कुछ बोलने से बच रहे हैं और किसी तरह अपने को रोके हुए हैं। लालू यादव ‘बीफ’ यानी गोमांस को लेकर मुसलमानों को खुश करना चाह रहे थे, लेकिन उनका यह दाव उल्टा पड़ गया। उन्हें मुसलमानों के वोट मिलेंगे यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन आम हिन्दू जनता आक्रोशित है। पाञ्चजन्य ब्यूरो
लालू यादव कृष्ण के नहीं, कंस के वशंज हैं। उनके इस बयान ने यदुवंश को कलंकित करने का काम किया है। इस समय देश और बिहार में जिस तरह से राजनीति की जा रही है वह देश के साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए ठीक नहीं है। – बाबा रामदेव, योग गुरु
लालू यादव के पास कभी एक गोशाला होती होगी, परन्तु देश में करोड़ों गोपालक और गोशालाएं हैं, उनको अपमानित करने का अधिकार किसने दिया है? अगर वे सच्चे गोपालक हैं तो क्यों कहा कि हिन्दू ‘बीफ’ खाता है? -रामकृपाल यादव, केंद्रीय राज्यमंत्री
लालू के राज में सोनपुर मेले से बड़ी संख्या में ट्रेनों में भर-भरकर हजारों पशुओं को असम सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में ले जाया जाता था। उनके बयान ने लाखों लोगों की भावनाओं को आहत किया है।
– सुशील मोदी, वरिष्ठ भाजपा नेता
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