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मुंबई की लोकल ट्रेन में वर्ष 2006 में हुए श्रंृखलाबद्ध बम धमाकों में 30 सितम्बर को मंुबई की विशेष मकोका अदालत ने 12 में से पांच दोषियों को फांसी, जबकि अन्य 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन धमाकों में करीब 189 लोग मारे गए थे, जबकि 800 से अधिक घायल हुए थे। अदालत के फैसले से पूर्व अज्ञात फोन नंबरों से मुंबई हवाई अड्डे और ताज होटल को उड़ाने की धमकी भरी कॉल मिलने के बाद से एटीएस ने मुंबई समेत आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
मकोका की विशेष अदालत में न्यायाधीश यतिन. डी. शिंदे ने 30 सितम्बर को 11 जुलाई, 2006 में हुए बम धमाकों के आरोपियों में से कमाल अहमद अंसारी, मोहम्मद फैजल शेख, एहतेशाम सिद्दिकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि उनके साथी तनवीर अहमद अंसारी, मोहम्मद माजिद शफी, शेख आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, मुज्जम्मिल शेख, सोहेल महमूद शेख और जमीर अहमद शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने इन सभी को विस्फोटक अधिनियम,गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहंुचाने, भारतीय रेलवे अधिनियम और मकोका के तहत दोषी पाया था।
अदालत ने गत 13 सितम्बर को एक आरोपी को बरी करते हुए 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इन सभी को मकोका की धारा-3(1)(आई) के तहत दोषी पाया गया था जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है। दोषियों पर प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य होने का आरोप था। हालांकि गत 23 सितम्बर को अभियोजन पक्ष ने 12 में आठ दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष की ओर से 5500 पन्नों के बयान, हादसे में बचे लोगों, पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों सहित 188 गवाह अदालत में पेश किए थे। इनके अतिरिक्त लश्कर ए तैयबा के फरार आतंकवादी आजम चीमा सहित 13 पाकिस्तानी अभी इस मामले में फरार हैं। आरोपपत्र में 28 आरोपियों का बम धमाकों में संलिप्त होना बताया गया था। इन विस्फोटों के दौरान करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहंुचने का अनुमान लगाया गया था।
गौरतलब है कि न्यायाधीश यतिन. डी. शिंदे ने 23 सितम्बर को हुई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बम धमाकों के पीडि़तों ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अदालत के निर्णय से साफ हो गया है कि आरोपी दोषी साबित हुए हैं और उन्हें कठिन से कठिन सजा मिलनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि ये सभी फांसी की सजा के हकदार थे जिससे उन्हें दर्द का एहसास हो सके। इस संबंध में तत्कालीन एटीएस प्रमुख के. पी. रघुवंशी ने कहा कि आखिर एक लंबे अंतरात के बाद पीडि़तों को न्याय मिल सका है। यह मामला पिछले नौ वर्षों से चल रहा था जिसके बाद पांच दोषियों को फांसी की सजा दी गई है। इससे साफ है कि एटीएस ने जो तथ्य अदालत के समक्ष रखे थे उन्हें अदालत ने स्वीकार किया है। इन विस्फोटों में एक पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया था, जबकि उसके अन्य साथी फरार होने में सफल हो गए थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में 11 जुलाई की शाम 6 बजकर 23 मिनट से लेकर मात्र 11 मिनट में मुंबई से ठाणे के बीच माहिम, बोरीवली, जोगेश्वरी, खार रोड, माटु़ंगा रोड, मीरा रोड और सांताक्रुज में लोकल ट्रेनों की सात बोगियों में श्रृंखलाबद्ध आरडीएक्स विस्फोट किए गए थे। उस समय लोकल ट्रेनों में सवार लोग अपने दफ्तर से घर लौट रहे थे। भीड़ को ध्यान में रखते हुए ही शाम के समय विस्फोट किया गया था जिससे कि अधिक से अधिक लोग धमाकों की चपेट में आकर मारे जा सकें।
बमों में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों का प्रयोग किया गया था। इन बमों को प्रेशर कुकर का प्रयोग कर टाइमर के जरिये उड़ाया गया था। उस समय तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त ए. एन. राय ने कहा था कि इस विस्फोट के पीछे आईएसआई की बड़ी भूमिका है। लश्कर ए तैयबा का प्रमुख आजम चीमा इन धमाकों का मुख्य
साजिशकर्ता था। -प्रतिनिधि
* लोकल ट्रेन बम विस्फोट मामले में अदालत ने 12 दोषियों में से पांच को सुनाई फांसी की सजा, 7 को मिली उम्रकैद
* जांच में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता और लश्कर ए तैयबा प्रमुख आजम चीमा की भूमिका आई थी सामने
* इस मामले में 13 आरोपी अभी चल रहे हैं फरार
* अभियोजन पक्ष ने पेश किए अदालत में 188 गवाह
* पीडि़तों ने कहा, सभी दोषियों को मिलनी चाहिए थी फांसी की सजा
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