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आलोक बंसल
इस समय बाहरी कारक आंतरिक मुद्दों को बड़े रूप में प्रभावित कर रहे हैं। आज तटीय सुरक्षा और द्वीपीय सुरक्षा जैसे गैर परंपरागत सुरक्षा क्षेत्रों पर खुली चर्चा की आवश्यकता है। आज हम एक अलग धुरी पर हैं और पूरा विश्व ही संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। निकट भविष्य में जापान और रूस जैसे देश भी जनांककीय संकट से जूझ सकते हैं।
मे.ज. (से.नि.) अता हस्नैन
सुरक्षा प्रत्येक नागरिक का उत्तरदायित्व है। समेकित सुरक्षा के मायने हैं प्रत्येक सुरक्षा प्रारूप चाहे वह सामाजिक सुरक्षा हो, मानवीय सुरक्षा हो आर्थिक सुरक्षा हो या कोई अन्य। किसी भी औसत भारतीय नागरिक की असुरक्षा एक प्रकार से राष्ट्र की संप्रभुता को चुनौती है। सूरत में प्लेग की महामारी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती थी।
मे.ज. (से.नि.) ध्रुव कटोच
हमें बाहरी पक्ष को देखने से पहले आंतरिक पक्ष को देखने की आवश्यकता है। भारतीय सैन्य उद्योग तंत्र सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण तत्व है। अशोक लीलैण्ड की तुलना में जबलपुर व्हीकल फैक्टी कम लागत मूल्य पर सैन्य वाहनों का निर्माण कर रही है। सैन्य उत्पादन उद्योग और खरीदारी के मोर्चे पर क्या यह किसी भ्रष्टाचार का संकेत है! इस पक्ष पर भी सोचने की जरूरत है।
एम.डी. नालापाट
इस्लाम का मध्य एशियाई पैटर्न स्वीकार होना चाहिए, जो कि ज्यादातर हमारे विमर्शों में चर्चा का विषय नहीं बनता है। हमें हथियार-नारको-हवाला माफियाओं के गठजोड़ पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि आतंकवाद के वित्त पोषण में इन सभी की भूमिका है।
से.नि. एडमिरल अनूप सिंह
श्रीलंका तक चीन ने समुद्र में अपनी प्रत्यक्ष-परोक्ष उपस्थिति दर्ज करा दी है। यह जयवर्धने-राजीव गांधी समझौते का भी उल्लंघन है। इसी प्रकार चीन-रूस के संबंधों पर भी नजर रखनी होगी। दिन-प्रतिदिन पाकिस्तान और चीन के बढ़ते आपसी रिश्ते भी हमारे लिए घातक सिद्ध होंगे।
अरुण कुमार
प्रत्येक मुद्दे पर पक्षकारों के मध्य आम सहमति होनी चाहिए। विस्तृत दुनिया के विचारों और भावों का समन्वय होना चाहिए। सक्रिय और सजग एजेंडे के साथ आगे बढ़ना चाहिए। समय और परिस्थिति के हिसाब से विमर्श में सही दिशा में बदलाव होना चाहिए। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थाओं को पूरी ताकत के साथ कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए!
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