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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा है कि समाज में व्याप्त जातिवाद के आपसी मतभेदों के कारण पूर्व काल में हमने अपना देश चांदी की तश्तरी में सजाकर बाहरी लोगों को सौंप दिया था। इस विषमता को समाज से दूर करना है तो डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों को पढ़ना होगा, उन्हें समझना होगा। उन्हें समझे बिना, जाने बिना, पढ़े बिना पूर्णता नहीं आ पाएगी। समाज के प्रत्येक क्षेत्र (राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि) में समरसता लानी होगी। सबका लक्ष्य राष्ट्र को आगे ले जाना है। इसके लिए वैचारिक मतभेद होने के बाद भी संवाद जारी रखने की आवश्यकता है। तभी संपूर्ण समाज एक साथ आगे बढे़गा। उन्होंने कहा कि भारत निर्माण की कल्पना करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समझना अत्यंत आवश्यक है। निर्माताओं ने क्या सोचा था, उनकी दिशा, दृष्टि, विचार क्या थे, उस पर विचार करना होगा। मेरा मत है कि अभी भारत निर्माण हुआ नहीं है, अभी भारत निर्माण करना बाकी है। महापुरुषों की संकल्पना के अनुसार भारत निर्माण करने के लिए उनके विचारों को समझना होगा।
श्री भागवत 13 अगस्त को नई दिल्ली स्थित चिन्मय मिशन के सभागार में बाबासाहेब आंबेडकर पर प्रकाशित चार पुस्तकों ('आत्मकथा एवं जनसंवाद', 'सामाजिक विचार एवं दर्शन', 'आर्थिक विचार एवं दर्शन' और 'राजनीति, धर्म और संविधान विचार') का लोकार्पण करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इन पुस्तकों का संकलन और सम्पादन योजना आयोग के पूर्व सदस्य और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव ने किया है। आगे श्री भागवत ने कहा कि डॉ. आंबेडकर जी का संघ से नाता काफी पुराना था। वर्ष 1939 में संघ शिक्षा वर्ग में डॉ. आंबेडकर जी अचानक आए थे। उस समय डॉ. हेडगेवार जी ने दोपहर बाद बौद्धिक वर्ग के स्थान पर भारत में 'दलित समस्या और दलितोद्धार' विषय पर बाबासाहेब का भाषण करवाया था।
डॉ. नरेंद्र जाधव ने बताया कि इन पुस्तकों में बाबासाहेब के विचार और सारगर्भित भाषण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज ने बाबासाहेब को न ठीक से समझा और न ही जाना। बाबासाहेब केवल दलित नेता नहीं थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र निर्माण और समाज की चेतना जगाने में लगाया। वह देश के पहले प्रशिक्षित अर्थशास्त्री थे। इन पुस्तकों का लोकार्पण प्रभात प्रकाशन ने किया है। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
प्रतिनिधि
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