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नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 18 जुलाई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. सोहन सिंह (जिनका निधन 4 जुलाई को हो गया था) को श्रद्धांजलि देने के लिए एक सभा हुई। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हम सब जानते हैं कि इस जगत में सदैव रहने के लिए कोई नहीं आया है। सबको एक दिन जाना पड़ता है। यहां तक कि अवतार रूप में इस धरती पर आए भगवान को भी जाना पड़ता है। लेकिन इस जीवन में कुछ लोग रोशनी के समान होते हैं और जब वह रोशनी हटती है तो कुछ समय के लिए आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। स्व. श्री सोहन सिंह जी का जीवन कुछ ऐसा ही था। उनके जाने से जो रिक्तता पैदा हुई है, वह उनके बताए मार्ग पर चलने से ही भरी जाएगी। उन्होंने हम सबको रास्ता दिखा दिया है और कैसे चलना है यह भी बता दिया है। उन्होंने कहा कि सत्पुरुषों की विशेषता होती है कि वे हर स्थिति में समान लगते हैं, निकट और दूर से एक जैसे ही दिखाई देते हैं। सोहन सिंह जी भी ऐसे ही थे। उन्होंने बड़ा होने के लिए कभी कुछ नहीं किया। सहज और स्वाभाविक रूप से रहे। जैसे वह रहे वैसे वह दिखे। वह सभी की चिंता करते थे। इतने गुणवान जीवन के बाद भी उन्हें कभी अहंकार नहीं आया कि मैं ही कार्यकर्ताओं को संभालने वाला हूं। उनका कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण था और उन्होंने अपने लिए कभी भी कुछ नहीं किया और संघ जीवन व उसके निर्णय को बड़ी ही कठोरता के साथ पूर्ण किया। श्री भागवत ने कहा कि संघ का प्रचारक कैसा होना चाहिए, स्नेह कैसा हो, कठोरता कैसी हो, परिश्रम कैसा हो, इन सबके उदाहरण सोहन सिंह जी में स्पष्ट रूप से प्रतीत होते थे। वे डॉ. हेडगेवार कुलोत्पन्न थे। उन्होंने स्वयंसेवकों को दृष्टि देते हुए कहा कि यहां श्रद्धा की अंजलि नहीं करना है, बल्कि उनके चरित्र को अपने जीवन में उतारना है और इस स्मृति परंपरा को हमें आगे बढ़ाना है। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा कि स्व. सोहन सिंह जी से मेरा परिचय 1953 में हुआ। उनका जीवन साधनामय था। वे स्वयं के प्रति भी बहुत कठोर थे। वे कर्म कठोर कार्यकर्ता थे। उनके द्वारा निर्मित कार्यकर्ताओं का जीवन भी उनकी तरह ही कठोर रहा। वे स्वतंत्रता पूर्व प्रचारक निकले। उस काल में प्रचारक निकलना भी चुनौतीपूर्ण था। स्थितियां अनुकूल नहीं होती थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में हजारों कर्मठ स्वयंसेवकों का निर्माण किया। राजस्थान से आए स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्री सोहन सिंह जी ने अपने हाथों अनेक स्वयंसेवकों को गढ़ा और उन्हें राष्ट्र कार्य में लगाया। संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री सुरेशचंद्र ने कहा कि आपातकाल के समय जब वे जेल में थे तो वहां भी उन्होंने लोगों को संघ से जोड़ने का कार्य किया। राजस्थान में हिन्दू गौरव से जुड़े स्थानों को उन्होंने पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाई।
उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि वह व्यक्ति निर्माण कला के मर्मज्ञ थे। व्यक्ति का निर्माण कैसे किया जाता है और कार्यकर्ता कैसे गढ़े जाते हैं, वे इसको बखूबी जानते थे। वे परिश्रम की पराकाष्ठा को पार कर देते थे।
केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वह कर्मयोगी थे। कोई भी व्यक्ति अपने पद के कारण बड़ा नहीं होता है, बल्कि अपनी कृतियों से बड़ा होता है। सोहन सिंह जी अपने कर्म से बड़े हुए थे। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के प्रान्त संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा, स्व. सोहन सिंह जी के बड़े भाई की पोती सोनिया और पोता विनय यादव भी उपस्थित थे। सभा में रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी, श्री दत्तात्रेय होसबाले, डॉ. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, अ.भा. सम्पर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार, केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के सह प्रान्त संघचालक श्री आलोक कुमार ने किया। प्रतिनिधि
हिन्दू चिन्तन से ही आएगी शान्ति
नागपुर के देवी अहिल्या मन्दिर में 17 से 19 जुलाई तक राष्ट्र सेविका समिति की त्रिदिवसीय अर्धवार्षिक बैठक आयोजित हुई। बैठक में सभी राज्यों की कार्यकर्ता बहनों ने भाग लिया और अनेक विषयों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में आगामी वर्ष को 'युवती प्रेरणा वर्ष' के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। साथ ही विकास में सभी लोगों की भागीदारी की बात भी की गई। लोगों से यह भी आह्वान किया गया कि वे अपने बच्चों को अपने राष्ट्र की आशाओं के अनुरूप गढ़ने का प्रयास करें। समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का ने कहा कि हिन्दू चिन्तन से जीवन में शान्ति आएगी और हर समस्या का समाधान मिलेगा। त्याग आधारित जीवन बिताने से शाश्वत आनंद प्राप्त होता है। उन्होंने कार्यकर्ता बहनों से कहा कि इसी दृष्टि से समिति का कार्य समर्पित भाव से करें। उन्होंने कहा कि जिस तरह योग्य दबाव एवं ऊष्णता कोयले के अन्दर छिपे हीरे को बाहर निकालता है वैसे ही त्याग एवं साधना से कार्यकर्ता के अंतर्निहित गुण उभरकर आते हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं के माध्यम से समर्थ राष्ट्र का निर्माण होता है। प्रतिनिधि
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