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किसी भी खेल में सफलताएं हासिल करना एक बड़ी बात होती है और सफलताओं के बीच इतिहास रच देना एक नए युग की शुरुआत। ठीक ऐसा ही किया देश के चिर चैपिंयन लिएंडर पेस, सानिया मिर्जा और युवा सुमित नागल ने। इन तीनों ने टेनिस जगत के सबसे पुराने, सबसे प्रतिष्ठित विंबलडन ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में खिताब जीतकर न केवल इतिहास बनाया, बल्कि भारतीय टेनिस में एक नई बयार भी बहा दी। विंबलडन टेनिस हमेशा से खास रहा है। लेकिन इस बार भारत के लिए बेहद खास था। जिस विंबलडन में खेलना टेनिस खिलाडि़यों का सपना होता है, वहीं पर एक साथ तीन-तीन भारतीय खिलाड़ी अलग-अलग स्पर्धाओं में चैंपियन बनकर निकले तो इससे बड़ी सफलता और कुछ नहीं हो सकती। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और भविष्य में ऐसा कभी होगा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि विंबलडन का खिताब जीतना हर टेनिस खिलाड़ी का सपना होता है और इसमें एक-एक मैच जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। दुनियाभर के खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक देते हैं। उस स्थिति में भारतीय खिलाडि़यों ने जो सफलताएं हासिल की हैं, वैसा अमरीका, स्विट्जरलैंड, रूस या ब्रिटेन जैसे टेनिस 'पावर हाउस' भी विरले ही कर पाते हैं।
बढ़ती धमक
इस बार जहां तक भारतीय खिलाडि़यों की सफलताओं की बात है तो लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय टेनिस जगत में भारतीय परचम लहरा रहे 42 वर्षीय लिएंडर पेस ने अपने अनुभव और जीत की अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर मिश्रित युगल के रूप में 16वीं बार ग्रैंड स्लैम खिताब पर कब्जा किया। उनके लिए पांचवां विंबलडन खिताब जीतना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। दूसरी ओर, सानिया मिर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेले दम भारतीय महिला टेनिस की चुनौती पेश करती रही हैं। पर उनका लंबे समय बाद पहली बार विंबलडन महिला युगल टेनिस खिताब जीतने का सपना पूरा हुआ। इन दोनों स्टार खिलाडि़यों के अलावा राजधानी दिल्ली के नांगलोई इलाके की तंग गलियों से निकलते हुए सुमित नागल ने जूनियर वर्ग का युगल खिताब जीत इतिहास रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वास्तव में यह (एक साथ तीन विंबलडन खिताब जीतना) एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। सानिया मिर्जा ने खिताब जीतने के बाद कहा कि हर खिलाड़ी की तरह उनका भी विंबलडन खिताब जीतना एक सपना था। वह इस ऐतिहासिक घड़ी को कभी भूल नहीं पाएंगी। इस ऐतिहासिक सफलता को हासिल करने के क्रम में सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार के तीनों भारतीय चैंपियनों के नाम विंबलडन के जूनियर वर्ग का खिताब दर्ज हो गए हैं। सुमित ने जहां 2015 में जूनियर युगल खिताब जीता, वहीं लिएंडर पेस ने वर्ष 1990 में जूनियर बालक और सानिया मिर्जा ने 2002 में जूनियर बालिका वर्ग का खिताब अपने नाम किया था।
बढ़ती उम्र के साथ निखरते जा रहे हैं पेस
42 वर्षीय लिएंडर पेस उम्र बढ़ने के साथ-साथ निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। 1990 में जूनियर विंबलडन खिताब जीतकर सुर्खियों में आए पेस जूनियर स्तर पर विश्व वरीयता क्रम में पहला स्थान हासिल करने वाले पहले टेनिस खिलाड़ी बने। शुरू से ही जबरदस्त प्रतिभा के धनी और जुझारू खिलाड़ी पेस ने 'करियर' की शुरुआत एकल खिलाड़ी के रूप में की। डेविस कप में भारतीय ध्वज के तले खेलते हुए उन्होंने कई हैरतअंगेज जीत हासिल कीं। विश्व के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी आंद्रे अगासी और गोरान इवानिसेविच जैसे धुरंधरों को मात देते हुए इतिहास रचा, जबकि महानतम खिलाडि़यों में शुमार पीट संप्रास ने भी पेस की जबरदस्त तारीफ की थी। इस दौरान 1996 अटलांटा ओलंपिक में पुरुष एकल का कांस्य पदक जीत पेस ने देश के महानतम टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपना नाम स्थापित कर लिया।
वह ओलंपिक में टेनिस का इकलौता पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं। पेस को उनकी ऐतिहासिक सफलता पर 1996-97 का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया। पेस से पहले अंतरराष्ट्रीय टेनिस में भारतीय खिलाडि़यों के नाम कम ही सुर्खियों में आते हैं। रामानाथन कृष्णन, विजय व आनंद अमृतराज और रमेश कृष्णन इक्का-दुक्का ऐसे प्रदर्शन करने में सफल रहे, लेकिन शिखर पर आकर खिताब जीतने का सिलसिला लिएंडर पेस ने ही शुरू किया।
अंतरराष्ट्रीय टेनिस के एकल वर्ग में पीट संप्रास, इवानोविच, आंद्रे अगासी जैसे धुरंधरों के बढ़ते दबदबे को देखते हुए लिएंडर पेस ने खुद को सिर्फ युगल मुकाबलों तक सीमित कर लिया। उनका यह फैसला बेहद कारगर साबित हुआ और 1999 में उन्होंने फ्रेंच ओपन और विंबलडन का पुरुष एकल खिताब सहित विंबलडन का मिश्रित युगल खिताब जीत तहलका मचा दिया। पेस की इस सफलता के बाद पहली बार विश्व टेनिस के युगल वर्ग में भारतीय चुनौती को सम्मानजनक नजरिये से देखा जाने लगा। इसके बाद पेस ने पुरुष युगल में महेश भूपति के साथ विश्व वरीयता क्रम में पहला स्थान हासिल कर इतिहास रचा। लेकिन पेस-भूपति की जोड़ी लंबे समय तक नहीं खिंच सकी और दोनों ने अलग-अलग जोड़ीदारों के साथ खेलना शुरू कर दिया। हालांकि भारतीय टेनिस के लिए पेस-भूपति का अलग होना अच्छी बात नहीं थी, लेकिन अहम् के टकराव के कारण भूपति ने अलग रास्ता चुनना पसंद किया।
1992 से 2012 तक लगातार ओलंपिक खेलों में भाग लेते हुए लिएंडर पेस ने एक और इतिहास रच दिया। वह भारत और दुनिया के इकलौते ऐसे टेनिस खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लगातार छह ओलंपिक खेलों में भाग लिया है। यही नहीं, लिएंडर पेस महानतम टेनिस खिलाडि़यों में शुमार रड लेवर के अलावा दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने तीन अलग-अलग दशकों में विंबलडन खिताब जीता है।
इस बार मार्टिना हिंगिस के साथ महज 40 मिनट में फाइनल मुकाबला जीत मिश्रित युगल खिताब अपने नाम करने के बाद लिएंडर पेस ने कहा 'विश्व के सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खेलना और इस तरह से खिताब अपने नाम करना वाकई विशेष उपलब्धि है।' हिंगिस के साथ इस वर्ष का दूसरा (आस्ट्रेलियन ओपन भी जीता था) ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के बाद पेस का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो पद्मश्री (2001) से सम्मानित पेस अगले साल रियो डी जेनेरियो ओलंपिक में सानिया मिर्जा के साथ पदकों के सबसे तगड़े दावेदार के रूप में भाग लेते नजर आएंगे।
महत्वपूर्ण पल
स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ महिला युगल खिताब जीतने के बाद सानिया मिर्जा की खुशी का ठिकाना नहीं था। हिंगिस के साथ इसी साल मार्च में जोड़ी बनाने के बाद सानिया ने लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए विंबलडन के अलावा तीन एटीपी खिताब जीते हैं। सानिया ने स्वदेश वापसी के बाद कहा, 'मैं बेहद खुश हूं। विंबलडन खिताब जीतना एक बड़ी उपलब्धि होती है। पहली बार विंबलडन का सीनियर वर्ग का खिताब जीतने से बड़ी और कोई बात नहीं हो सकती है। मैं बेहद गौरवांन्वित हूं।' -प्रवीण सिन्हा
नांगलोई की गली से विंबलडन के 'कोर्ट' तक
दिल्ली के युवा खिलाड़ी सुमित नागल ने कड़ी मेहनत और जबरदस्त प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए नांगलोई की तंग गलियों से होते हुए विंबलडन जूनियर युगल चैंपियन तक का सफर तय किया है। अत्याधुनिक सुविधाओं और समुचित प्रशिक्षण के अभाव के बावजूद एक स्कूल अध्यापक के लाडले सुमित ने बचपन से ही कुछ अलग करने की ठान ली थी। वह आमतौर पर एकल मुकाबले खेलते हैं। लेकिन विंबलडन के जूनियर वर्ग में एकल हार जाने के बाद उन्होंने युगल मुकाबले पर ध्यान केंद्रित किया और वियतनाम के नाम ली के साथ युगल मुकाबला जीत खुद को लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा जैसे महान खिलाडि़यों की कतार में शामिल कर लिया।
स्पेन के राफेल नडाल को अपना आदर्श मानने वाले सुमित ने कहा वह और कड़ी मेहनत करते हुए सीनियर स्तर पर ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने की हरसंभव कोशिश करेंगे। हालांकि उन्हें इस बात का आभास है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर करने के लिए विदेशी दौरों और प्रशिक्षण की खासी जरूरत पड़ती है। लेकिन वह अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास करने को तैयार हैं।
पेस की उपलब्धियां
ओलंपिक में कांस्य पदक और पांच स्वर्ण सहित सात एशियाई खेलों के पदक जीते
पुरुष युगल -आस्ट्रेलियन ओपन – 2012
फ्रेंच ओपन -1999, 2001, 2009
विंबलडन – 1999
यू एस ओपन – 2006, 2009, 2013
मिश्रित युगल -आस्ट्रेलियन ओपन – 2003, 2010, 2015
विंबलडन – 1999, 2003, 2010, 2015
यू एस ओपन – 2008
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