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नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच हुई दोस्ती और बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर केन्द्रीय कृषि मंत्री और बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता राधामोहन सिंह से अरुण कुमार सिंह ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-
हाल ही में दो घोर विरोधी लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बीच दोस्ती हुई है। इस दोस्ती में मजबूती कितनी है?
मजबूती नहीं, यह दोस्ती मजबूरी की है। बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की आंतरिक लहर इस कदर है कि बिहार के क्षेत्रीय क्षत्रपों में बेचैनी है। इसी बेचैनी के कारण भाजपा विरोधी सभी लोग एक साथ आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि वहां भाजपा विरोधी नेताओं की 'मिक्स वेज' बन रही है। आपको पता होना चाहिए कि डर से भेड़-बकरियां एक साथ हो जाती हैं। उसी डर के माहौल में उनके बीच कोई शेर जाता है तो भगदड़ मच जाती है। ऐसी ही भगदड़ मची है भाजपा विरोधी नेताओं के बीच। बिहार में भाजपा और प्रधानमंत्री जी की इतनी लोकप्रियता है कि मुझे नहीं लगता है कि वहां के भाजपा विरोधी नेता भाजपा का सामना कर पाएंगे।
लोगों का कहना है कि बिहार में एक बार फिर से 'जंगलराज' लौट आया है। आपका क्या कहना है?
निश्चित रूप से 'जंगलराज' लौट आया है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार 'जंगलराज' के प्रतीक बन गए हैं। जब तक बिहार सरकार में भाजपा रही तब तक अपराध का 'ग्राफ' नीचे रहा और बिहार की विकास दर 16 प्रतिशत तक चली गई थी। 2013 में बिहार सरकार से भाजपा बाहर हो गई। इसके बाद ही वहां एक बार फिर से अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है और इन दो वर्ष में विकास दर 8 प्रतिशत पर आ गई है। मुझे याद है लालू प्रसाद के शासन के बाद 2005 में जब हम लोग सरकार में आए थे तो अपराध कम हो गया था। सात साल तक अपराध नियंत्रण में रहा। भाजपा के अलग होने के बाद 2013 में 5205 और 2014 में 6500 अपहरण की घटनाएं हुईं। नीतीश कुमार का यह दो साल का शासनकाल 'जंगलराज' की तरह हो गया है। विकास की योजनाएं ठप हो गई हैं। भ्रष्टाचार बढ़ गया है और कानून का राज खत्म हो गया है। मुझे नहीं लगता है कि बिहार की जनता यह सब बर्दाश्त करेगी। आगामी विधानसभा चुनाव के बाद निश्चित रूप से भाजपा की सरकार बनेगी।
चुनाव की दृष्टि से अब तक भाजपा ने किस प्रकार की तैयारियां की हैं?
भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। भाजपा एक जाति, एक बिरादरी, एक नेता या एक परिवार की पार्टी नहीं है। हमारे यहां ऐसी बात नहीं है कि एक चुनाव खत्म हुआ और जब तक दूसरे चुनाव की घोषणा नहीं होगी तब तक तैयारी नहीं करेंगे। होता यह है कि एक चुनाव समाप्त होते ही हम लोग दूसरे चुनाव की तैयारी करने लगते हैं। भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। जब भी चुनाव की घोषणा होगी हम लोग कमर कस कर मैदान में उतर जाएंगे।
आपको लगता है कि बिहार के मतदाता पिछले लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा गठबंधन को समर्थन देंगे?
इस बार भी लोग विकास के नाम पर वोट करेंगे। भ्रष्टाचारी और आपराधिक चरित्र को लोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस मामले में बिहार के मतदाता बहुत ही जागरूक हैं।
लोगों का कहना है कि बिहार भाजपा में नीतीश कुमार जैसा कोई चेहरा नहीं है। शायद इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़े। क्या ऐसा है?
नीतीश और लालू एक साथ हुए हैं। इनमें से लालू तो सजायाफ्ता हैं और नीतीश को लोग देख रहे हैं कि उनके शासनकाल में बिहार का क्या हाल हो रहा है। हमारे यहां तो कोई सजायाफ्ता नहीं है और न ही भाजपा किसी एक व्यक्ति की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है। भाजपा में एक से बढ़कर एक योग्य नेता हैं और जनता के सामने हैं। इसलिए हमारे यहां नेतृत्व का कोई संकट नहीं है, संकट तो दूसरी ओर ही है।
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