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इक्कीसवीं सदी की शुरुआत में योग के प्रचार-प्रसार को जो आधुनिक रंग दिया गया था, उसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं। योग के प्रचार-प्रसार में देशी और विदेशी योगाचार्यों की मेहनत रंग लाई। अनुमान के मुताबिक अब योग के बाजार का 'टर्नओवर' सदी की शुरुआत में 1 अरब डॉलर से बढ़कर 50 अरब डॉलर के पार हो चुका है! शारीरिक स्वास्थ्य से लेकर मानसिक स्वास्थ्य की प्रतिष्ठा योग से जुड़ गई और इस तरह यह पश्चिमी दुनिया में जीवनशैली की अहम जरूरत ही नहीं बना, बल्कि जिस तरह भारत में अंग्रेजी बोलना, जींस पहनना 'स्टेटस सिंबल' माना जाता है वहां योग 'स्टेटस सिंबल' और फैशन बन गया है। योग की आवश्यकता और योग के प्रति इस जागरूकता के चलते वहां योग के बाजार ने भी स्वयं को विस्तार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। योग पर ज्यादातर वेबसाइट तो पश्चिमी देशों के संस्थानों की हैं। वे योग सीख भी रहे हैं और उसे बेहतर तकनीक के साथ सीखा भी रहे हैं। आप उनके वीडियो के डेमो देखें, टेक्स्ट देखें और इसमें कोई आश्चर्य नहीं की बेहतरीन उत्पादन की लंबी सूची डॉलर के सिंबल के साथ आपको मिलेगी। प्रस्तुति : राहुल शर्मा
न्यूयार्क की एलिना ब्रोवर में पिछले 16 वर्षों से वैश्विक योगिनी के रूप में जानी जाती हैं। वे 'वीरायोगा' की संस्थापक हैं। वे योग के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों में शरीर और मस्तिष्क को नियंत्रित करने का गुर सिखा रही हैं। ध्यान के क्षेत्र में उन्हें विशेष महारत प्राप्त है। इस पर वे कई फिल्में भी बना चुकी हैं।
टिफ्फेनी क्रुक्सांक15 वर्षों से योग शिक्षिका, शारीरिक प्रशिक्षक और एक लेखिका के रूप में चर्चित हैं। वे पूर्व में एक्यूपंक्चर, खेल और दवा के क्षेत्र से भी जुड़ी रहीं। नाइक मुख्यालय में वे योग शिक्षिका और 'एक्यूपंक्चरिस्ट' हैं। जीवन को सही ढंग से जीने की दिशा में लोगों को योग के माध्यम से प्रेरित करने के लिए कई शिविर और कार्यशालाएं आयोजित की हैं। योग पर आधारित उनकी कई पुस्तकों का प्रकाशन भी हो चुका है। उनकी पहली पुस्तिका 'ऑप्टिमल हेल्थ फॉर ए वाइब्रेंट लाइफ' थी। इसमें जानकारी दी गई है कि योगाभ्यास से स्वयं को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं।
पाकिस्तान में गूंजता ऊॅंकार
बेचैनी की हालत में कभी भारत घूमने आए हैदर आज भारत के प्राचीन योग का पाकिस्तान में बढ़-चढ़ कर प्रचार कर रहे हैं। युवा अवस्था में जब वे स्वयं में चिड़चिड़ापन महसूस करते थे तो उनमें बेचैनी रहती थी और भारत आकर उनकी बेचैनी हमेशा के लिए शांत हो गई। हैदर अपने दिन की शुरुआत ऊंॅकार से करते हैं। वे नियमित सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और योगासन का प्रशिक्षण देते हैं। योग के माध्यम से वे स्वयं में सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं।
पाकिस्तान के शमशाद हैदर अब 'योगी हैदर' के नाम से मशहूर हैं। वे सेना, क्लब, स्कूल और विभिन्न संगठनांे को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस कार्य में वे पिछले 11 वर्षों से जुटे हुए हैं। हैदर 15-16 वर्ष की आयु में हरिद्वार आए थे और उसके बाद महाराष्ट्र के इगतपुरी में सत्यनारायण गोयनका विपश्यना साधना केन्द्र में उन्होंने तीन साल तक प्रशिक्षण लिया। फिर वर्ष 2004 से योग को जन-जन तक पहंुचाने का प्रण कर पाकिस्तान में योग के प्रचार में जुट गए। शुरुआत में कुछ कट्टरपंथियों ने योग पर आपत्ति जताई, लेकिन जब उन्हें दिखा कि असाध्य बीमारियां योग से दूर हो रही हैं तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।
अमरीका
न्यूयार्क के हेडी क्रिस्टोफर स्ट्रॉला की योग शिक्षिका हैं, इनको 'अपसाइड डाउन गर्ल' के नाम से जाना जाता है। योग के प्रति उनका लगाव दूसरे लोगों को योग की शिक्षा देने के लिए हमेशा रहता है। योग में 'हीलिंग पावर'में उनकी कला का अद्भुत नमूना माना जाता है। उनके योग प्रशिक्षण से रीढ़ के दर्द से जूझ रहे लोगों को भी काफी राहत मिली है। डॉक्टरों द्वारा जिन लोगों को रीढ़ के दर्द के कारण ऑपरेशन की सलाह दी गई, वे लोग योग के माध्यम से स्वस्थ हो गए और उनका ऑपरेशन टल गया। उनके छात्र-छात्राएं योग के माध्यम से तंदुरुस्त हो रहे हैं।
चीन
चीन में भारत के योग गुरु बाबा रामदेव के समकक्ष कहे जाने वाले योग गुरु मोहन भंडारी चीन ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, उनकी डीवीडी और पुस्तकें अन्तरराष्ट्रीय बाजार में खूब बिक रही हैं। चीन के विभिन्न शहरों में उनके सात योग केन्द्र हैं। वे कहते हैं कि योग एक 'हीलिंग इंडस्ट्री और थेरेपी' है। उनका मत है कि विज्ञान में कोई पीएच. डी. करनी है तो वह अमरीका जाता है। कला में मान्यता हासिल करने के लिए यूरोप जाता है। उसी तरह योग सीखने व सिखाने वालों के लिए भारत में आकर योग सीखना एक प्रमाणपत्र और विश्वस्त मान्यता प्राप्त केन्द्र की तरह है। भंडारी चीन में 'योजिक योगा' के सह संस्थापक हैं, जो कि चीन में प्रचलित योग केन्द्र है। वर्ष 2004 में उन्होंने चीनी भाषा में योग पर एक पुस्तक भी प्रकाशित की है।
जापान
जापान के हिकारु हशिमोतो 23 वर्ष की आयु से ही योग का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने जापान की प्राचीन विधा शिंतो, हठयोग और धर्मयोग के मेल से शिंतो योग की कला विकसित की है और आज पूरे जापान में अकेले उनके 700 से अधिक केन्द्र हैं।
वे कहते हैं कि लोगों के जुनून से ऐसा कर पाना संभव हुआ है और भविष्य में योग केन्द्रों और प्रशिक्षुओं की संख्या मंे और अधिक वृद्धि होगी। उन्होंने 1993 में 'जापान फिटनेस योगा एसोसिएशन' की स्थापना की। वहां पर वे धर्मयोग और हठयोग पर आधारित योग का प्रशिक्षण देते हैं। वे सांस्कृतिक केन्द्र, क्लब और स्कूल में योग का प्रशिक्षण देते हैं। उनसे योग सीखने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इस संकल्प से पूर्व इतिहास को खंगाला गया तो भिन्न-भिन्न पंथ और संस्कृति के लोग भी इसका अनुसरण करते दिखाई दिए। बेशक आज योग दिवस को लेकर मीडिया में रोजाना रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं, लेकिन खास बात यह है कि भारत की प्राचीन संस्कृति की गूंज आज पूरे विश्व में योग के माध्यम से सुनाई दे रही है। पड़ोसी देश पाकिस्तान की ही बात करें तो वहां कभी योग का विरोध करने वाले आज खुद योग की राह पर चलकर दूसरे लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं। विदेशों में असाध्य बीमारियों को योग के माध्यम से ठीक किए जाने पर शोध कार्य चल रहे हैं। समूचा विश्व भारत के ऋषियों की देन को आज स्वीकार कर रहा है। चाहे जापान हो, चीन हो या फिर अमरीका, सभी देशों में योग लोगों की दिनचर्या बन चुका है। स्कूल, कॉलेज और संस्थाएं लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। हमारे देश की संस्कृति का अनुसरण विदेश में हो रहा है। इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु हरिद्वार और ऋषिकेश पहंुच रहे हैं। यहां से योग का ज्ञान प्राप्त कर फिर अपने देश में योग की अलख जगा रहे हैं। विदेशों में छात्र योग विषय पर शोध कर रहे हैं। योग पर शोध के बाद पुस्तकों के आए दिन लेख प्रकाशन हो रहे हैं और लेखक तथा शोधार्थी लाखों-करोड़ों का कारोबार भी कर रहे हैं।
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