|
गजेंद्र की मौत हादसा है, खुदकुशी है या राजनीतिक फायदे के लिए आआपा नेताओं के उकसावे में आकर उसने अपना जीवन दाव पर लगा दिया। तमाम ऐसी बातें हैं कि जिनको लेकर उसी दिन से सियासत गर्म है जिस दिन आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान गजेंद्र ने फांसी लगा ली। गजेंद्र की मौत को लेकर पाञ्चजन्य पहले भी सवाल उठा चुका है। पाञ्चजन्य ने पिछले अंक में गजेंद्र की मौत पर सवाल उठाए थे। जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है मामले की सचाई सामने आती जा रही है।अब दिल्ली पुलिस ने जो रपट सौंपी है उसमें कहा गया है कि उसकी मौत खुदकुशी नहीं बल्कि एक हादसा थी। हालांकि दिल्ली पुलिस ने उसे आत्महत्या के लिए उकसाए जाने की बात से इंकार नहीं किया है। यदि इन दोनों बातों को देखा जाए तो इसका एक सीधा सा अर्थ निकलता है कि गजेंद्र मरना नहीं चाहता था लेकिन वहां मौजूद आआपा के लोगों ने उसे उकसाया और वह उकसावे में आ भी गया।
पोस्टमार्टम में भी अटकाया था अड़ंगा
दिल्ली पुलिस जांच में एक बात और स्पष्ट हुई है कि गजेंद्र की मौत के बाद जब उसका पोस्टमार्टम होना था तो आम आदमी पार्टी के कथित नेताओं के निर्देश पर एसडीएम जामनगर हाउस ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से कहा था कि मामले की जांच के लिए न्यायिक जांच बिठा दी गई है इसलिए पोस्टमार्टम को रोक दिया जाए। जब पुलिस ने इस बात की पुष्टि के लिए कागज मांगे तो एसडीएम कागज नहीं दिखा पाए। इस वजह से पोस्टमार्टम होने में कई घंटों की देरी हुई।
चैनलों की फुटेज से भी मिले सुराग
सूत्रों के अनुसार रैली के दौरान मौके पर मौजूद न्यूज चैनलों असंपादित फुटेज से भी दिल्ली पुलिस को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। इन फुटेज की जब जांच की गई तो साफ पता चल रहा था कि गजेंद्र खुदकुशी नहीं करना चाहता था। यहां तक कि जब वह पेड़ पर चढ़कर फंदा डालने का उपक्रम कर रहा था तो आआपा नेता संजय सिंह माइक हाथ में लेकर पेड़ की तरफ देखकर भाषण दे रहे थे। जब गजेंद्र वास्तव में फंदे से लटक गया तो उनके चेहरे का रंग उड़ गया। हालांकि इसके बाद भी आआपा नेताओं ने भाषण को नहीं रोका और बाद में सफाई यह दी कि यदि रैली को संबोधित नहीं किया जाता और रैली तत्काल खत्म कर दी जाती तो भीड़ की वजह से स्थिति और भी खराब हो सकती थी। यदि आआपा के जन्म से लेकर उसके सत्ता तक पहुंचने का इतिहास देखा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि आम आदमी पार्टी हाय तौबा करने वाली राजनीति में यकीन करती है। लोगों को उकसाना, बिना वजह के धरने देना उसके नेताओं की आदत में शुमार है। यदि कोई उनका विरोध करता है तो फिर उसे पार्टी में रहने का कोई हक नहीं है।
पुलिस को मिला है एक चश्मदीद
बताया जा रहा है कि पुलिस को एक चश्मदीद गवाह भी मिला है जिसका दावा है कि रैली की भीड़ में मौजूद आआपा के कुछ लोगों ने गजेंद्र को ऐसा करने के लिए उकसाया था। इसके बाद गजेंद्र पेड़ पर चढ़ा था। उसके फोटोग्राफ देखकर व चेहरे के हावभावों से स्पष्ट था कि वह मरना नहीं चाहता था लेकिन कुछ लोगों के उकसावे में आकर उसने फंदा लगा लिया जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
एक और कारनामा
आआपा की पिछली सरकार में दिल्ली के कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती पर महिलाओं से बदसलूकी का आरोप है तो वर्तमान सरकार में कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की कानून की डिग्री ही नकली है। बिहार के तिलक माझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनकी डिग्री नकली है। बावजूद इसके वह अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं। ईमानदारी का दावा करने वाले केजरीवाल कुछ करने के लिए तैयार नहीं हैं। -प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ