|
बहादुरगढ़
बहादुरगढ़ में भी 19 अप्रैल को लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में पाञ्चजन्य के सहयोगी सम्पादक आलोक गोस्वामी मुख्य वक्ता के नाते उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने प्राचीनकाल में पूरे भारत को एकसूत्र में पिरोने और अस्पृश्यता दूर करने के लिए भारत का भ्रमण किया था। यहां तक कि तथाकथित निम्न जाति के घर भोजन भी किया था। 1890 के बाद इसी कड़ी में डॉ़ आंबेडकर भी जुड़ गए थे। डॉ़ आंबेडकर व संघ निर्माता डॉ़ हेडगेवार दोनांे की हिन्दुत्व पर सोच भी एक जैसी थी। 1939 में नागपुर में विजयादशमी के कार्यक्रम में डॉ़ आंबेडकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए थे और उसमें पूर्ण गणवेश में 600 स्वयंसेवक मौजूद थे, जिनमें 100 स्वयंसेवक वंचित समाज के थे। उस कार्यक्रम को देखकर डॉ़ आंबेडकर आश्चर्यचकित रह गए थे।
इस अवसर पर नगर संघचालक वेद राणा, डॉ़ आंबेडकर फाउण्डेशन के सदस्य रामरतन, वाल्मीकि समाज के हरिओम, रणजीत दहिया सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
पानीपत
मतलौडा (पानीपत) में 19 अप्रैल को आयोजित एक कार्यक्रम में 'पाञ्चजन्य' और 'आर्गनाइजर' के विशेषांकों का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे आजाद आर्य और मुख्य वक्ता थे संघ के कुरुक्षेत्र विभाग बौद्धिक प्रमुख नरेन्द्र। इस अवसर पर आजाद आर्य ने सामाजिक एकता, बंधुत्व व आपसी भाईचारे को मजबूत करने की आवश्यकता बताते हुए वंचित समाज को जागरूक होने के लिए प्रेरित किया। वहीं मुख्य वक्ता नरेन्द्र ने कहा कि जैसे राजनीति में सरदार पटेल सा आदर्श नहीं, आध्यात्मिकता में स्वामी विवेकानन्द जैसा दीप स्तम्भ नहीं, उसी प्रकार सामाजिक समरसता के क्षेत्र में डॉ़ आंबेडकर की किसी से तुलना नहीं की जा सकती। मंच संचालन खण्ड प्रचार प्रमुख राजेश दत्त ने किया।
आगरा
सेवा भारती एवं समरसता मंच के तत्वावधान में आगरा में डॉ़ आंबेडकर और समरसता पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। इस अवसर पर पाञ्चजन्य के डॉ़ भीमराव आंबेडकर अंक का लोकार्पण भी किया गया। इसके मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रान्त के प्रचार प्रमुख अजय मित्तल। उन्होंने कहा कि जातियांे, उपजातियों व वर्ग विशेष के बीच भेद व छुआछूत के कारण राष्ट्र का अहित हुआ है। इस दोष को दूर करने के लिए बाबासाहेब ने सतत संघर्ष किया। उनका मत था कि जो जितना जातिवादी होता है वह उतना ही कम राष्ट्रवादी होता है। प्रारंभ में अशोक अग्रवाल ने गोष्ठी की भूमिका बताते हुए कहा कि आज समरसता की आवश्यकता है। ऊंच-नीच और अस्पृश्यता का विचार हमारे शास्त्रों में नहीं है। जब-जब हम साथ हुए शुभ ही हुआ और जैसे ही विरक्त हुए कष्टों को झेला। समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह केशव शर्मा, गुरु का ताल गुरुद्वारा के बाबा हरवंश सिंह, सामाजिक समरसता मंच के संयोजक इंजीनियर आऱ बी़ सिंह, बौद्ध मत के भंते ज्ञान रत्न आदि ने भी संबोधित किया।
इन्दौर
इन्दौर में सामाजिक समरसता मंच ने डॉ. आंबेडकर की 125वीं जयन्ती पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रान्त के प्रान्त प्रचारक श्री पराग अभ्यंकर। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर समरसता के प्रणेता थे। वे पूरे देश को एकसूत्र में पिरोकर चलने वाले थे। उनका मानना था कि यदि सामाजिक समरसता होगी तो यह देश प्रगति करेगा। हम सब उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास करें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे 'डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर राष्ट्रीय सामाजिक विज्ञान संस्थान, महू' के महानिदेशक डॉ. आर.एस. कुरील। अध्यक्षता की डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक समिति के सदस्य श्री प्रकाश वानखेड़े ने। इस अवसर पर पाचञ्जन्य के आंबेडकर विशेषांक का लोकार्पण भी हुआ।
सिलीगुड़ी
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में डॉ. आंबेडकर की जयन्ती पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए। स्थानीय गंगानगर में वाल्मीकि समाज की ओर सामाजिक समरसता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के हर वर्ग के लोगों ने डॉ. आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और उनके जीवन पर प्रकाश डाला। एक दूसरा कार्यक्रम संघ के प्रान्त कार्यालय 'माधव भवन' में भी हुआ। इस अवसर पर मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख श्री अद्वैतचरण दत्त ने कहा कि डॉ. आंबेडकर और संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जीवन-पर्यन्त समाज में समरसता लाने का प्रयास करते रहे। कार्यक्रम को उत्तर बंग सामाजिक समरसता प्रमुख श्री दिलीप भक्त, क्षेत्रीय प्रचारक श्री प्रदीप जोशी आदि ने भी सम्बोधित किया।
बिजनौैर
बिजनौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में डॉ़ आंबेडकर जयंती पर प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार के संयोजक आशीष गौतम ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर ने संविधान की मूल प्रस्तावना में समाजवाद व पंथनिरपेक्ष शब्द डालने नहीं दिए औैैैर उनका विरोध किया। उनका मानना था कि हम आने वाली पीढि़यों के गले में कोई 'वाद' नहीं डालना चाहते हैं।
गोष्ठी को विष्णु कुमार, सरदार जी.एस. लांबा, अंकित कुमार, रचना पाल आदि ने भी संबोधित करते हुए डॉ़ आंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला। गोष्ठी की अध्यक्षता गणेश सिंह व संचालन जिला संपर्क प्रमुख प्रशांत महर्षि ने किया। ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ