सत्ता की सान पर किसान
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सत्ता की सान पर किसान

by
Apr 25, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Apr 2015 12:58:31

दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक किसान की संदिग्ध स्थितियों में आत्महत्या भीतर तक हिला देने वाली खबर है। दुर्घटना के चंद पलों में ही सोशल मीडिया पर प्रश्न और त्वरित प्रतिक्रियाओं की जैसी बौछार हुई वह बताता है कि लोग भीतर तक भरे बैठे हैं। एक लावा है बदहाली और बेबसी के विरुद्ध जो बुरी तरह खदबदा रहा है, एक घाव है जो हरदम हरा रहता है, जरा रगड़… और टीस के साथ मुट्ठियां भिंच जाती हैं।
क्या है यह गुस्सा? क्यों पनपा है? क्या इस गुस्से में भी कुछ लोग अपना हित साध लेना चाहते हैं? संवेदनशील मुद्दे को सियासी धार लगाई जा रही है, किसान सत्ता की सान पर हैं। गजेन्द्र की मृत्यु दु:खद है। इसकी पड़ताल अभी बाकी है लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने खेती-किसानी और इसे लेकर बरते जाने वाले राजनैतिक रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, किसानों की बदहाली सिर्फ चंद बेमौसमी छींटों की उपज नहीं है। यह लंबी दर्दनाक कहानी स्वतंत्र भारत के विसंगतिपूर्ण विकास ढांचे की चुगली करती है। किसान विकास की कहानी में भागीदार कहां है? उसका शेयर, बैंक बैलेंस कहां है? सब जिसका दिया खाते हैं वह अन्नदाता क्रेडिट कार्ड, कर्ज माफी, बिजली और सिंचाई जैसे मुद्दों पर किस खूंटे से बंधा बैठा है?
सर्राफा और सेंसेक्स चाहे जितने कुलांचे भरें लेकिन भारतीय राजनीति में वोटबैंक की दृष्टि से सबसे बड़े हिस्सेदार की हालत यह है कि आज उसके पास मवेशियों के लिए भूसे और बच्चों के लिए दूध का भी टोटा है।
इंडिया भले ही चेतन भगत के 'ए नाइट एट अ कॉल सेंटर' पर पहुंच गया हो, लेकिन भारत का अधिकतर कृषक वर्ग आज भी मुंशी प्रेमचंद के 'गोदान' का ही चक्कर काट रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकास कायार्ें की विसंगतियों, बिजली, पानी पर लगातार बढ़ते औद्योगिक कब्जे और हर पीढ़ी के बाद घटकर आधी रह जाने वाली जोत ने किसान की कमर तोड़कर रख दी। जिसकी आय कर मुक्त थी वह आय से ही विमुक्त हो गया।
जंतर-मंतर की घटना पर सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी को भी लपेटना चाहती है। मगर किसानों की दुर्दशा का मुद्दा ऐसा है जिससे कांग्रेस सिर्फ विपक्ष में होने की सफाई देकर नहीं बच सकती। ऐसा नहीं है कि 11 माह पहले किसान मालामाल थे और सिर्फ इस बार के ओलों से सब बर्बाद हो गया। जैसे ही कुछ पार्टियों के प्रवक्ता यह बताने का प्रयास करते हैं, शासकीय असंवेदनशीलताओं की दशकों पुरानी कहानियां उघड़ने लगती हैं। किसान राजनीति का बंधक रहा और भारत की राजनीति कुनबा-कांग्रेस की बंधक रही यह सर्वज्ञात तथ्य है। मुंह दिखाकर चली जाने वाली सस्ती बिजली, कभी न मिलने वाले 'आसान कर्ज' और चुनावी खुनक में दिए गए कर्ज माफी के झुनझुनों से बहलाया जाता भोला किसान पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हीं राजनीतिज्ञों के हाथों ठगा गया जिन्हें हाल के आम चुनाव में उसने अपने आंगन से बुहार दिया है।
राजधानी की घटना पर कांग्रेसी बयान के बाद आम आदमी पार्टी का जिक्र जरूरी हो जाता है। किसानों को जमीन अधिग्रहण के नाम पर बेजा डराने वाले लोग इस मुहिम में केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चाबंदी करते हैं तो उनकी नीयत पर शक होता है। जिस राज्य में 'फार्म हाउस' की कतार में इक्का-दुक्का खेत और नामभर के किसान बचे हों वहां किसान रैली का आयोजन? राजस्थान तक से किसानों का दौड़े चले आना? जंतर-मंतर पर ऐसा क्या किया जाने वाला था? किसान की आत्महत्या के दौरान भाषणबाजी में मशगूल नेताओं ने अपनी नीयत पर शक करने की वजह खुद दी है। और अंत में बात भाजपा की। आजादी के बाद पहली बार किसानों के लिए फसल मुआवजे में भारी वृद्धि और नुकसान के मापदंड को नरम करने वाले दल से नि:संदेह कृषक भारत को भारी उम्मीदें हैं। औद्योगीकरण के सफर में किसानों को साथ लेकर चलने, गांवों के साथ स्मार्ट शहर बसाने और किसान परिवारों को अन्यान्य रोजगार के अवसर देने की बातें ठीक हैं, लेकिन विरोधियों की रची धुंध में सच खो न जाए इस बात को समझना और उसे लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। विरोधियों के पास अपना तर्क न हो सिर्फ इसलिए आपका सच जीत जाएगा यह सोचना गलत है। किसान का हित सोचने वाले को उसके साथ बैठ, दु:ख में दृढ़ता से उसके साथ बने रहकर अपनी विश्वसनीयता साबित करनी होगी।
बुरे वक्त का मारा हर जगह ठोकर खाता है। जंतर-मंतर पर इस देश के किसान ने अपने आड़े वक्त में ठोकर खाई है, लेकिन ठोकरें सिखाती हैं। एक किसान की मौत सत्ता के रंगे सियारों का सच उजागर करने की वजह बनी है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies