|
इतिहास में भारतरत्न ड़ॉ. भीमराव आंबेडकर प्रखर राष्ट्रभक्त, सुविज्ञ, विधिवेत्ता और कुशल समाजचेता व्यक्तित्व से सम्पन्न विभूति हैं। धर्म, दर्शन, राजनीति, कानून और अर्थनीति की गहरी समझ रखने वाले बाबासाहेब अद्वितीय एवं अप्रतिम हैं। देश, समाज की चिन्ता के साथ संस्कृति और भाषा के विषय में मुखर रहने वाले डॉ. साहेब ने हिन्दू धर्म को दुनिया का श्रेष्ठ धर्म एवं उदारवादी जीवन पद्धति का संवाहक बताया। बाबासाहेब का दृढ़ विश्वास था कि सामाजिक समरसता के माध्यम से अपनी परम्परा और जीवन मूल्यों को समयानुकूल बनाकर हिन्दू धर्म और मजबूत होगा। वे आजीवन वंचितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को सामाजिक और अर्थिक रूप से सशक्त एवं स्वावलम्बी बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहे। सामाजिक समरसता के अग्रणी सूत्रधार रहे बाबा साहेब की 125वीं जयन्ती पर प्रस्तुत है पाञ्चजन्य का यह विशेष आयोजन।
व्यक्ति केवल रोटी के लिए ही नहीं जीवित रहता। सम्पत्ति किसी भी दृष्टि से मनुष्य की सभी बुराइयों को समाप्त नहीं कर सकती। मनुष्य एक सांस्कृतिक प्राणी है तथा उसके पास एक विकसित मस्तिष्क है। इस मस्तिष्क के लिए विचार रूपी खुराक बहुत आवश्यक है। धर्म व्यक्ति में आशा का संचार करता है तथा उसे क्रियाशील बनाता है।
टिप्पणियाँ