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लखनऊ
लखनऊ स्थित विश्व संवाद केन्द्र में 23 मार्च को 'अधीश स्मृति व्याख्यानमाला समिति' के तत्वावधान में शहीद भगत सिंह के बलिदान दिवस पर 'भगत सिंह और युवा' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके मुख्य अतिथि प्रख्यात स्तम्भकार व भाजपा विधान परिषद् के सदस्य हृदय नारायण दीक्षित और मुख्य वक्ता लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के निदेशक अशोक सिन्हा थे। अध्यक्षता वैदिक गणित के राष्ट्रीय संयोजक (शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली) डॉ. कैलाश विश्वकर्मा ने की। संगोष्ठी में हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि भगत सिंह जैसा चमकता नाम दुनिया के किसी भी देश के इतिहास में ढूंढने पर नहीं मिलता। युवाओं को इतिहास बोध की जरूरत है। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व हो तो हमारा जीवन दर्शन बदल सकता है। आज संस्कार-विहीनता के कारण ही समाज में अनेक समस्याएं हैं। अशोक सिन्हा ने कहा कि भगत सिंह हमारी विरासत हैं।
युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। 24 मार्च, 1931 को भगत सिंह को फांसी दी जानी थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन कर एक रात पहले ही 23 मार्च की शाम को करीब सात बजे लाहौर की सेन्ट्रल जेल में तीनों क्रान्तिकारियों सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को फांसी दे दी गई। भगत सिंह का कहना था कि अपने विचार क्रान्तिकारी बनाओ, उस पर चर्चा करो और जीवन में उन्हें अपनाओ। डॉ. कैलाश विश्वकर्मा ने कहा कि भगत सिंह कहते थे कि तुम जो भी काम करते हो यदि वह देशहित में है तो तुम देशभक्त हो। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठजन उपस्थित थे।
देहरादून
देहरादून में भी बलिदानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता सरदार देवेन्द्र सिंह मान (चेयरमैन, दून इंटरनेशनल स्कूल) ने की। उन्होंने कहा कि आज भी भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु जैसे सच्चे देशभक्तों की आवश्यकता है, तभी देश सही दिशा में जाएगा। मुख्य अतिथि थे हरभजन सिंह द्योल। मुख्य वक्ता डॉ़ आर. के़ वर्मा ने कहा कि नई पीढ़ी को क्रांतिकारियों की गाथा बताई जानी चाहिए। विशेष अतिथि थे एस़ पी. कोचर (चेयरमैन, मधुबन होटल) व राकेश ओबराय (अध्यक्ष, गीता भवन मन्दिर)। कार्यक्रम में आम लोगों की अच्छी भागीदारी रही।
नई दिल्ली
नई दिल्ली में राष्ट्रीय सिख संगत ने बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आज हम भारतवासी स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। यह संभव हुआ है भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, क्रांतिकारियों के सम्राट वीर सावरकर, वीरांगना झांसी की रानी जैसे शहीदों और क्रांतिकारियों के कारण।
विशेष अतिथि सरदार गुरलाड सिंह ने कहा कि जो कौम अपने शहीदों को याद रखती है, उसको बड़ी से बड़ी ताकतें समाप्त नहीं कर सकतीं। समारोह को सरदार जसपाल सिंह मनचंदा, श्री स्वदेश पाल, संगत के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री अविनाश जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। प्रतिनिधि
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने की मांग
गत दिनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर स्थित कला संकाय के बाहर प्रदर्शन किया और कुलपति प्रो़ दिनेश सिंह को हटाने की मांग की। उल्लेखनीय है अभी हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा कुलपति दिनेश सिंह को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जो दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हुआ है। अभाविप ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को कुलपति के बारे में कई बार शिकायतें की थीं। अभाविप का आरोप है कि कुलपति दिनेश सिंह ने बिना मान्यता के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम थोपकर हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इसके लिए उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। ओबीसी मद में से 172 करोड़ रुपए उन्होंने लैपटॉप खरीदने के लिए खर्च किए, इसमें भी बड़े स्तर पर घोटाला होने की आशंका है। इस तरह के अनेक आरोप कुलपति पर हैं।
प्रतिनिधि
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