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प्रदेश में गाय का पालन समाज का हर वर्ग करता रहा है। गांवों में हर घर में पशुपालन किया जाता है। समाज का कोई भी वर्ग गाय पर क्रूरता को स्वीकार नहीं करता और वषार्ें से यह मांग हो रही थी कि गाय के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा दिया जाए। विधानसभा में गो सरंक्षण-संवर्द्धन बिल को सर्व सम्मति से पारित करने के लिए मैं सभी दलों का आभारी हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि देश की प्रगति और किसानों के आर्थिक विकास के लिए गो संरक्षण संवर्द्धन को पूरी तरह सफल बनाया जाएगा और गाय की उन्नत किस्मों के लिए सरकार योजना बनाएगी।
– मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा
गोपालन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने कदम बढ़ाया है जिसकी प्रदेश में सराहना हो रही है। लोगों का मानना है कि यदि यह पूरी तरह कारगर साबित हुआ तो प्रदेश में किसान ही नहीं कृषि से जुड़ा हर वर्ग का जनमानस लाभान्वित होगा, सरकार ने वषार्ें से लंबित इस योजना को अमल में लाकर लोगों की भावना का आदर किया है।
समाज के हर वर्ग व सभी राजनीतिक, धार्मिक एवं समाजसेवी संगठनों ने भी सराहा है। वैसे भी हरियाणा हरित क्रांति में देश में अग्रणी माना जाता रहा है और इसका देश की कृषि पैदावार में मुख्य स्थान है। यहां के किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी खेती-बाड़ी का मुख्य हिस्सा मानते हैं। किसान के लगभग हर घर में किसी न किसी पशु का पालन होता है और वे बच्चों को घर का दूध पिलाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। प्रदेश में यह भी भावना है कि यदि किसी कारणवश मां का दूध उपलब्ध न हो सके तो गाय का दूध उस कमी की आपूर्ति ही नहीं करता, बल्कि बच्चे के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर रहता है। यही कारण है कि यहां किसान गाय को श्वेत क्रांति का मुख्य माध्यम मानते हैं। लगातार हो रही गो तस्करी एवं गो धन की अनदेखी से किसान ही नहीं प्रदेश में हर वर्ग में रोष पनप रहा था और बार-बार गाय को बचाने की गुहार लगाई जा रही थी, इसके चलते कई बार जनता ने गो तस्करों के वाहनों को रोका और गोवंश को मुक्त कराकर वाहनों पर अपना आक्रोश प्रकट किया।
गोहत्या पर सख्त कानून
हरियाणा विधानसभा के जारी सत्र में गोवंश संरक्षण व संवर्द्धन 2015 के बिल को सर्व सम्मति से पारित किया गया है। सभी राजनीतिक दलों ने गाय के संरक्षण व संवर्द्धन को जनहित में बताया है और कहा कि यदि गो पालन को बढ़ावा दिया जाएगा तो किसान ही खुशहाल नहीं होगा, प्रदेश की प्रगति में भी नया आयाम हासिल होगा। इस विधेयक में गो हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ गो तस्करी को गैर जमानती अपराध भी माना है। इसके अनुसार गो हत्या करने वाले को 3 से 10 साल की सजा और 30 हजार से एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। गो तस्करी करने वाले के लिए 3 से 7 साल की सजा और 30 से 70 हजार रुपए तक का जुर्माना एवं गोमांस बेचने वाले को 3 से 5 साल तक की सजा और 30 से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना किया जाएगा। विधेयक में गोहत्या करना, विकलांग करना, हत्या करवाना या हत्या के लिए प्रस्तुत करना भी अपराध की श्रेणी में शामिल है। दूसरे प्रदेशों मेें गाय निर्यात के लिए अनुमति पत्र अनिवार्य होगा, साथ ही मृत पशुओं का चर्म उतारने वालों के लिए भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। गायों का निर्यात प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। पशु तस्करी में प्रयुक्त वाहनों की नीलामी के लिए कानून में प्रावधान किए गए हैं। इन वाहनों को छोड़ा नहीं जाएगा।
गाय के संरक्षण के लिए ऐसे संस्थान स्थापित किए जाएं जो बेसहारा गायों की देखभाल कर सकें व उन्हें संरक्षित कर सकें। गाय के दूध व अन्य पदाथार्ें की जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशाला बनाने की योजना भी है। गाय के संरक्षण में लगे संस्थानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और नई योजना से प्रजाति को सुरक्षित रखा जाएगा। देखें तो पूरे देश के 29 राज्यों में से 24 राज्यों में अब गो हत्या पर प्रतिबंध लग गया है, लेकिन प्रतिबंध के बावजूद भी गो तस्करी व गोहत्या पूरी तरह बंद नहीं हो पाई है और अवैध कत्लखाने धड़ल्ले से चल रहे हैं। यही नहीं गो मांस की बिक्री भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हो रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान में गायों की हत्या के मामले तो सामने नहीं आए हैं, लेकिन यहां गो तस्करी पर काबू नहीं पाया जा सका है।
घट रहा है गोवंश
पशुगणना के अनुसार देश में गोवंश की संख्या में वर्ष 2007 के मुकाबले वर्ष 2012 में 4.1 फीसद की कमी आई है। इसमें भी देसी गोवंश की संख्या में करीब 9 फीसद की कमी आई है। इस दौरान नर भैंसों की संख्या में 18 फीसद की कमी दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार बीते चार साल में भारत में 'बीफ' यानी गोवंश और भैंस के मांस की खपत में करीब 10 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011 में 'बीफ' की खपत 20़ 4 लाख टन थी, जो वर्ष 2014 में बढ़कर 22़5 लाख टन हो गई है। भारत में पिछले वर्ष 19़5 लाख टन 'बीफ' का निर्यात किया गया है।
किसान विजयपाल सिंह चौहान, राजेश सैनी बीड़ रायतखाना, सुरेंद्र सैनी लाड़वा, धर्मपाल बड़थल का कहना है कि यह दुर्भाग्य ही है कि ऋषि-मुनियों की पावन स्थली भारत को विश्व में दूग्ध उत्पादन एवं पशुपालन में अग्रणी होना चाहिए था, लेकिन 'बीफ' निर्यात में विश्व में दूसरे पायदान पर बना है, जो उत्साहवर्धक नहीं है और इसका जिम्मा देश में अब तक ज्यादा समय तक सत्ता में रहे राजनैतिक दलों पर है। उधर विश्व हिन्दू परिषद ने सरकार के इस कदम को सराहा है, कुरुक्षेत्र विभाग के मंत्री सुरेश जोशी ने कहा कि हिन्दू धर्म में गाय का स्थान माता की तरह माना गया है। गाय का दूध ही नहीं इसके पंचगव्य जनमानस के लिए उपयोगी हैं। ऐसे में गो पर क्रूरता कभी भी स्वीकार्य नहीं है।
विश्व हिन्दू परिषद गो संरक्षण संवर्द्धन के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में सरकार ने नेक काम किया है और उन्हें उम्मीद है कि गो हत्या, गो तस्करी को रोकने में प्रशासन पूरी पारदर्शिता से काम करेगा। पशुपालन एवं डेरी उद्योग मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि यह विधेयक पारित होने से प्रदेश में श्वेत क्रांति का नया आयाम स्थापित होगा और भविष्य में हरियाणा में वह पुरानी कहावत 'देसों में देस हरियाणा जित दूध दही का खाणा' भी सार्थक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में अच्छी नस्ल की गायों को बढ़ावा दिया जाएगा और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भी योजना बनाई जाएगी।
प्रस्तुति: डॉ. गणेश दत्त वत्स
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