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16 फरवरी को कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कानपुर प्रान्त द्वारा राष्ट्र रक्षा संगम आयोजित किया गया। संगम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि संघ के विशाल कार्यक्रमों को लोग 'शक्ति प्रदर्शन' का नाम देते हैंं, पर जिसके पास शक्ति होती है, उसे उसके प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। संघ के पास अपनी शक्ति है, जिसके द्वारा संघ आगे बढ़ रहा है। ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि आत्मदर्शन, अनुशासन एवं आत्म-संयम होता है। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया में कभी भी पीछे नहीं था। हम बलवान और प्रतिभावान थे, किन्तु मुट्ठीभर लोगों ने हमें पदाक्रांत किया। जब तक स्वाथार्ें से ऊपर उठकर हम बंधुभाव से समाज नहीं बनाएंगे, तब तक संविधान हमारी रक्षा नहीं कर सकता। सम्पूर्ण समाज को एक करना और गुण सम्पन्न बनाना आज की मूलभूत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सबको साथ लेकर चलती है। इसी संस्कृति को हिन्दू संस्कृति कहते हैंं। हम सबको अपनी विविधताओं, विशेषताओं को बनाए रखते हुए एक साथ खड़ा होना होगा तभी अपना देश दुनिया में अपनी धाक जमा सकता है। कठिन परिस्थिति को पार करने के लिए जो करना चाहिए, उसे पहले खुद करो, फिर दूसरे को सिखाओ। आज अपने आपकोे ही ठीक करना सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंदर से शक्ति-सम्पन्न हो जाओ, कोई आपको सताने का प्रयास नहीं करेगा।
श्री भागवत ने कहा कि संघ में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है। अपने शारीरिक कद के अनुसार सभी खड़े होते हैं, चाहे जाति कोई भी हो, पैसा कितना भी हो, नियम मानना होता है। इसी का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। व्यक्ति परिवर्तन के लिए प्रयास होना चाहिए। यह काम हम जितनी तत्परता से करेंगे, भारत को परम वैभव उतनी ही जल्दी प्राप्त होगा। कार्यक्रम के मंच पर डॉ़ ईश्वर चन्द्र गुप्त, श्री वीरेन्द्र पराक्रमादित्य और श्री अर्जुन दास खत्री उपस्थित थे। इस अवसर पर संघ और अन्य संगठनों के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यतकर्ता उपस्थित थे।
– प्रतिनिधि
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