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भारतीय क्रिकेट टीम के चयन के साथ ही आईसीसी विश्व कप की उलटी गिनती एक तरह से शुरू हो गई। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को पिछले विश्व खिताब की रक्षा के लिए कमोबेश वही टीम दी गई है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने पिछली बार अपने घरेलू मैदानों पर विश्व खिताब जीतकर बादशाहत हासिल की थी, जबकि इस बार आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की उछाल लेती पिचों पर धोनी के धुरंधरों के सामने खिताब कायम रखने की चुनौती होगी। इसलिए यह लक्ष्य असंभव तो नहीं, मुश्किल जरूर है। भारतीय टीम आस्ट्रेलिया में पहले से ही टेस्ट श्रृंखला खेल रही है। इसके बाद विश्व कप की तैयारी के लिए टीम को त्रिकोणीय श्रृंखला में भी हिस्सा लेना है। आस्ट्रेलियाई माहौल व विकेटों के अनुकूल खुद को ढालने के लिहाज से यह श्रृंखला काफी महत्वपूर्ण साबित होगी क्योंकि विश्व कप के लिए टीम में शामिल किए गए 15 खिलाडि़यों को इसमें भाग लेना है। टीम के चयन के बाद हर बार की तरह इस बार भी चयनकर्ताओं ने बहस की एक गुंजाइश छोड़ दी है। विशेषकर, युवराज सिंह की संभावित वापसी के रास्ते बंद करना और अलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी के अप्रत्याशित चयन जैसे मुद्दे ऐसे हैैं जिनपर अभी कुछ दिनों तक चर्चाएं जरूर होंगी।
इन दोनों को छोड़ टीम में ऐसा कोई नाम नहीं दिखा जिस पर उंगली उठाई जा सके। लेकिन, सवाल जरूर उठेगा कि क्या राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने विश्व कप खिताब की रक्षा के लिए ईमानदारी से टीम का चयन किया है, या फिर धोनी और टीम प्रबंधन को खुश रखने का प्रयास किया गया है? कहने को युवराज और स्टुअर्ट बिन्नी दो ही ऐसे नाम हैं जिनके ईदगिर्द चर्चाएं होंगी, लेकिन एक को टीम में शामिल न करने और एक को शामिल करने के पीछे की जो कहानी है, उसी से यह सवाल पैदा होता है कि क्या भारत अपने विश्व कप खिताब को कायम रख पाएगा? क्रिकेट में भविष्यवाणी करना हमेशा खतरे से भरा होता है। लेकिन टीम संयोजन को देखते हुए यह दावा जरूर किया जा सकता है कि भारतीय टीम के लिए लक्ष्य कतई आसान साबित नहीं होगा।
भारतीय चयनकर्ताओं ने मौजूदा समय के लिहाज से एक सशक्त टीम तैयार करने की काफी कोशिश की है। टीम में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सहित विराट कोहली, सुरेश रैना, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसे धुरंधर बल्लेबाज मौजूद हैं। इसी तरह देश के शीर्ष चार तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव को शामिल किया गया है। इनमें निरंतरता की कमी है, लेकिन युवा जोश और गेंद में तेजी के लिहाज से भारत के पास मौजूद ये सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं। बहस का असली मुद्दा हरफनमौलाओं को लेकर है। टीम में हरफनमौला के रूप में रवींद्र जडेजा और स्टुअर्ट बिन्नी को शामिल किया गया है, जबकि स्पिनर के रूप में रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल को टीम में जगह दी गई है। रवींद्र जडेजा अभी कंधे की चोट से उबर रहे हैं जो अगले सप्ताह थ्रोइंग के साथ अभ्यास की शुरुआत करेंगे। जडेजा को टीम में शामिल कर चयनकर्ताओं ने एक बड़ा जुआ खेला है। विश्व कप शुरू होने में पांच हफ्ते से भी कम समय बचा है। इसी बीच जडेजा को मैच फिट होने के लिए पहले 'थ्रोइंग' का अभ्यास करना होगा, फिर गेंदबाजी व बल्लेबाजी का अभ्यास करना होगा और फिर आस्ट्रेलिया के भीषण गर्मी भरे मौसम में उछाल लेते विकेट के अनुकूल खुद को ढालने की कड़ी चुनौती उनके सामने होगी। विश्व कप जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट को देखते हुए यह तैयारी कभी भी अच्छी नहीं कही जा सकती है। यह ठीक है कि जडेजा पर कप्तान धोनी को पूरा भरोसा है। वह कई बार टीम के लिए तुरुप का इक्का भी साबित हुए हैं। लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप से एकदम अलग माहौल में क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट में एक चोटिल खिलाड़ी के साथ उतरने की कोई तुक नहीं बनती है।
चयनकर्ता अगर जडेजा की जगह बेहद अनुभवी और पिछले विश्व कप के हीरो युवराज सिंह को टीम में शामिल करते तो काफी सारी चिंताएं दूर हो जातीं। युवी इन दिनों जबरदस्त फॉर्म में चल रहे हैं। इसके अलावा उनमें किसी भी समय मैच का रुख बदलने का माद्दा है। इस स्थिति में युवी को त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए टीम में शामिल कर देखा जा सकता था कि वह अपनी फॉर्म कायम रख पाते हैं या नहीं। अगर जडेजा विश्व कप तक पूरी तरह फिट नहीं हो पाते तो युवराज टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प साबित होते क्योंकि यह सभी जानते हैं कि वह बड़ी प्रतियोगिताओं के बड़े खिलाड़ी हैं। चयनकर्ताओं ने एक तरह से टीम को संतुलित करने का एक मौका गंवा दिया। जडेजा अगर विश्व कप के लिए मैच फिट नहीं हो पाते हैं तो उनकी जिम्मेदारी अक्षर पटेल या स्टुअर्ट बिन्नी जैसे अनुभवहीन खिलाडि़यों को निभानी पड़ेगी। अक्षर अच्छे युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन विश्व कप जैसे टूर्नामेंट के लिए अनुभव काफी मायने रखता है। इसी तरह स्टुअर्ट बिन्नी को संभवत: राष्ट्रीय चयनकर्ता रोजर बिन्नी का बेटा होने का फायदा मिल गया। वह टीम प्रबंधन के अंतिम एकादश में शामिल हो पाएंगे, इसमें संशय है। इस स्थिति में देखा जाए तो चयनकर्ताओं को स्टुअर्ट को टीम में शामिल करने के लिए फॉर्म में चल रहे मुरली विजय या रॉबिन उथप्पा जैसे खिलाडि़यों की बलि चढ़ानी पड़ी। विश्व कप की तैयारी में यही एक-दो कमियां टीम पर कहीं भारी न पड़ जाएं, यह देखने की बात होगी। हालांकि पूरी संभावना है कि अंतिम एकादश में कोई विशेष रद्दोबदल नहीं होगा और धोनी के धुरंधर विश्व कप में हुंकार भरने को तैयार रहेंगे। -प्रवीण सिन्हा
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