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गत दिनों हैदराबाद में विश्व हिन्दू परिषद् के प्रन्यासी मण्डल और प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक आयोजित हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी, विश्व हिन्दू परिषद् के कार्याध्यक्ष डॉ़ प्रवीण तोगडि़या, अध्यक्ष श्री जी़ राघव रेड्डी, कार्याध्यक्ष श्री अशोकराव चौगुले आदि ने दीप प्रज्वलित कर बैठक का प्रारंभ किया। विश्व हिन्दू परिषद् की वर्तमान कार्यकारिणी को तीन वर्ष पूर्ण हुए। इसलिए इस बैठक में विश्व हिन्दू परिषद् के वरिष्ठ अधिकारी श्री बालकृष्ण नाईक की देखरेख में नई कार्यकारिणी का गठन भी हुआ। उनके कुशल मार्गदर्शन में अध्यक्ष के लिए श्री राघव रेड्डी (हैदराबाद) का चयन सर्वसम्मति से किया गया। इसके बाद उन्होंने अपनी कार्यकारिणी की घोषणा की।
इस अवसर पर श्री भैयाजी जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अब समाज के विघटन का समय समाप्त हो गया है। अब हम उत्थान की ओर चल पड़े हैं। समाज में सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। समाज अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हिन्दू संगठनों की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है। भारत को हम श्रेष्ठ राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हमें इस काम के लिए आवश्यक सामर्थ्य को जुटाना है। उन्होंने आह्वान किया कि हम सब इस काम के लिए उपयुक्त साधन बनें। बैठक में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। -प्रतिनिधि
विहिप की नई टोली
कार्यकारी अध्यक्ष-डॉ. प्रवीण तोगडि़या, कार्यकारी अध्यक्ष (विदेश)- श्री अशोकराव चौगुले, महामंत्री- श्री चम्पत राय, संगठन महामंत्री- श्री दिनेशचन्द्र, सह संगठन महामंत्री- श्री विनायकराव देशपाण्डे, संयुक्त महामंत्री- डॉ. सुरेन्द्र जैन, स्वामी विज्ञानानन्द, श्री श्याम गुप्त और श्री वाई. राघवुलू, कोषाध्यक्ष- श्री रमेश मोदी। उपाध्यक्ष- श्री बालकृष्ण नाईक, श्री हुकुमचंद सांवला, श्री ओमप्रकाश सिंहल, श्री सुभाष कपूर, डॉ. महेश मेहता, राजमाता चन्द्रकांता देवी, श्री के.वी. मदनन, श्री जगन्नाथ शाही, श्रीमती मीना ताई भट्ट, श्री जीवेश्वर मिश्र और श्री वी.एच. गोपची।
अधिवक्ता परिषद् की राष्ट्रीय बैठक सम्पन्न
पटना में गत दिनों अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् की तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिषद् की बैठक आयोजित हुई। इसमें पूरे देश से लगभग 300 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रतिनिधियों ने 'न्याय प्रदायी प्रणाली का सशक्तिकरण' विषय पर विचार-विमर्श किया। न्यायपालिका से संबंधित विषयों पर 11 सत्रों में चर्चा हुई। इस संदर्भ में दो प्रस्ताव भी पारित किए गए। पहला प्रस्ताव सवार्ेच्च न्यायालय द्वारा 2002 में न्यायाधीशों की क्षमता पर व्यक्त की गई टिप्पणी से संबंधित था। 2002 में सवार्ेच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने पर बल दिया था। दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों का औसत अनुपात 10़ 5 है जिसे सवार्ेच्च न्यायालय ने बढ़ाकर 50 न्यायाधीश करने की बात कही थी। विभिन्न न्यायालयों में 31 दिसंबर, 2011 तक 3 करोड़ 13 लाख 69 हजार 568 मामले लंबित हैं। जबकि इस तारीख तक 3947 न्यायिक पदाधिकारियों के पद रिक्त थे। अधिवक्ता परिषद् का ऐसा मानना है कि अधिवक्ता न्यायालय के अभिन्न अंग हैं। इनके कारण न्याय प्रक्रिया में शीघ्रता आती है, परंतु उनका सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है। दूसरे प्रस्ताव में हाल ही में असम में उग्रवादियों द्वारा मारे गए वनवासियों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की गई है और उनकी हत्या को बर्बर करार दिया गया है। साथ ही उस घटना की न्यायिक जांच कराने तथा उग्रवादियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्त्ति एस़ एऩ झा ने विनायक दीक्षित द्वारा संपादित 'न्याय प्रवाह तथा न्यायपुंज' नामक स्मारिका का लोकार्पण भी किया। समापन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य, क्षेत्र प्रचारक स्वांत रंजन, समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
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