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उपलब्धि-राजनीतिक तंत्र के अध्ययन में विशिष्ट योगदान
भारत से नाता-भारतीय संस्कृति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
भविष्य का सपना-शिक्षा और समाज जागरण का अभियान जन-जन तक पहुंचाना
राजनेता भी, वैज्ञानिक भी
भीखू छोटालाल पारेख का जन्म 1935 में गुजरात के अमलसाड़ नामक गांव में हुआ था। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली थे और 15 वर्ष की अवस्था में ही बम्बई विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया था। इसके पश्चात उच्च शिक्षा विदेश में प्राप्त की। पारेख ब्रिटेन के हल विश्वविद्यालय में राजनीतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रहे और उन्होंने महात्मा गांधी के राजनीतिक दर्शन पर दो पुस्तकें भी लिखीं।
अपने पिता की स्मृति में पारेख ने चेरिटेबल फाउंडेशन की स्थापना की और हल विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति की एक पीठ स्थापित की। इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन के लिए एक फेलोशिप भी प्रारम्भ की। अपनी सामाजिक सक्रियता और उदारवादी मूल्यों के कारण उन्होंने विश्वभर में भारत को समझने और यहां की संस्कृति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लॉर्ड पारेख ने राष्ट्रमण्डल अध्ययन संस्थान के ट्रस्टी के रूप में ऐनी फ्रैंक ट्रस्ट और गांधी फाउंडेशन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वे 1981 से 1984 तक बड़ौदा विश्वविद्यालय गुजरात के कुलपति भी रहे। आज लॉर्ड भीखू पारेख ब्रिटेन के जाने-माने राजनेता और वैज्ञानिक हैं। वे ब्रिटिश एकेडेमी ऑफ सोशल स्टडीज के अध्यक्ष हैं। वे ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ लार्ड्स के सदस्य हैं। उन्होंने ब्रिटेन और भारत के राजनीतिक तंत्र के अध्ययन में विशिष्ट योगदान दिया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के सेण्टर फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस में सेंटीनियल प्रोफेसरशिप के साथ लॉर्ड भीखू पारेख ब्रिटिश कोलंबिया, कॉन्कोर्डिया, मैकगिल, हार्वर्ड, पोंपेयू, फाब्रा विश्वविद्यालयों सहित बार्सिलोना, पेन्सिलवानिया और वियना के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज' में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। 1999 में बीबीसी ने उन्हें एशिया लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान दिया।
लॉर्ड भीखू पारेख भारतीय सनातन मूल्यों, यहां के विशिष्ट दर्शन और शिक्षा के ठोस प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध दिखाई पढ़ते है। 2001 में पदम भूषण से सम्मानित किया है। ल्ल
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