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उपलब्धि-अमरीका में अमरीकी कांग्रेस की सबसे कम उम्र की पहली हिन्दू सदस्यभारत से नाता-भारत -भारत-अमरीका के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में सहयेागभविष्य का सपना-80 करोड़ से भी ज्यादा हिन्दुओं की धार्मिक आस्था के बारे में अमरीका में चेतना जगाना
तन अमरीका, मन वृंदावन
वेहवाई आर्मी नेशनल गार्ड की कंपनी कमांडर तुलसी हैं। पश्चिम एशिया में दो बार स्वेच्छा से सेवाएं दे चुकी हैं और अब अमरीका में अमरीकी कांग्रेस(संसद) में पहुंचने वाली पहली हिन्दू महिला हैं। वे सिर्फ नाम से ही तुलसी नहीं हैं बल्कि मन-वचन और जीवन से भी तुलसी सरीखी हैं। प्रतिनिधि सभा में चुने जाने के बाद उन्हांेने कहा था कि सनातन धर्म में आस्था होने के कारण वे भगवान कृष्ण की पवित्र भूमि वृंदावन के दर्शन करना चाहती हैं। हिन्दू मां और ईसाई (कैथोलिक) पिता की संतान 33 वर्ष की उम्र में तुलसी ने अपने परिश्रम से युवक-युवतियों के सामने आदर्श गढ़ा है। उनका भारत संबंधी ज्ञान सभी को अभिभूत कर देता है। पूरी तरह से भारतीय मूल्यों और संस्कारों से उनका सरोकार है। भारतीय दर्शन, हिन्दू जीवन मूल्यों के प्रति उनकी आस्था कमाल की है। चुनाव से पहले अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि 'मैं हिन्दू रीति-रिवाजों का पालन करती हूं,हिन्दुओं और भारतीय अमरीकियों के लिए उनकी चिंताएं मेरे हृदय के करीब हैं।'
तुलसी अमरीका में जब भारत का पक्ष रखती हैं तो ऐसा लगता ही नहीं है कि वे अमरीकी कांग्रेस की सदस्या हैं बल्कि लगता है कि जैसे भारत की बेटी अमरीका की संसद में भारत के हित की चिंता करने को मौजूद है। तुलसी गबार्ड ने अमरीकी हाउस ॲाफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए निर्वाचित होकर एक इतिहास रच दिया। उन्होंने अमरीका की हवाई सीट से यह चुनाव जीता। इराक युद्ध में हिस्सा ले चुकीं गबार्ड के जीतने से अमरीका में रह रहे हिन्दुओं में एक उम्मीद जगी है। अमरीका में रह रहे हिन्दुओं का मानना है कि अब उनके साथ धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। तुलसी भगवान श्रीकृण पर बहुत आस्था रखती हैं और श्रीमद्भगवद्गीता को वे अपना पथ प्रदर्शक मानती हैं। वे कहती हैं कि मैंने इसका अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला है यह अमूल्य ग्रन्थ है जो बताता है कि असल मायने में हम तभी खुश रह सकते हैं जब हम अपने जीवन को भगवान और मानवता की सेवा में समर्पित करें।
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