|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को इस्लामिक शिक्षा में देश के सबसे बड़े केंद्र दारुल उलूम देवबंद ने अपने पूरे समर्थन की घोषणा की। संस्था के रेक्टर मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी बनारसी ने देश के मुसलमानों से इस अभियान से पूरी तरह से जुड़ने की अपील भी जारी की।
संस्था के जनसंपर्क अधिकारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू ने दारुल उलूम को लिखे पत्र में स्वच्छ भारत अभियान पर सहयोग की अपेक्षा की थी। मोहतमिम (वीसी) मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी बनारसी ने उन्हें भेजे जवाब में कहा कि गंदगी एक बड़ी सामाजिक बुराई है। इससे लोगों का स्वास्थ्य ओर पर्यावरण दोनो बिगड़ते हैं। मुफ्ती नौमानी ने हैरानी जताई कि आजादी के 67 वषार्ें के दौरान कभी इस और ध्यान नहीं दिया गया। केंद्रीय मंत्री नायडू ने दारुल उलूम के उपकुलपति को लिखे पत्र में कहा था कि दारुल उलूम इस्लामिक शिक्षा, दर्शन और अध्यात्म में भारत का अनूठा विश्वविद्यालय है। इसके निर्देशों का मुस्लिम पालन करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिए यह जरूरी है कि दारुल उलूम जैसी राष्ट्रीय महत्व की संस्था इसमें सहयोग प्रदान करे और मुस्लिम समुदाय से इस अभियान से जुड़ने की अपील करे। उन्होंने यह भी लिखा कि स्वच्छता अभियान को सफल बनाने से महात्मा गांधी का स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा। नौमानी ने प्रधानमंत्री की इस पहल को सराहनीय कदम बताया। नौमानी ने मुसलमानों से स्वच्छता अभियान में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि इस्लाम में स्वच्छता और पवित्रता पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया है।
उन्होंने कुरान की एक आयत का उल्लेख करते हुए कहा कि अल्लाह पवित्रता और स्वच्छता को बहुत पसंद करता है। नौमानी ने पैगंबर मोहम्मद साहब की इस हदीस का भी उल्लेख किया कि स्वच्छता एवं पवित्रता उन पर किए जाने वाले आधे विश्वास के समान है। इस्लाम मानता है कि आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की स्वच्छता मनुष्यों का सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए। नोमानी ने कहा कि प्रधानमंत्री की तरह दारुल उलूम की भी कोशिश रहेगी कि भारत स्वच्छ बने। दारुल उलूम की इस अपील का मुसलमानों पर सकारात्मक असर हुआ। मुस्लिम समुदाय के लोग बिना संकोच इस अभियान से जुड़ने को तैयार हो गए और उन्होंने साफ-सफाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया। यह इस अभियान के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है। -सुरेंद्र सिंघल
सफाई में भी सियासत से बाज नहीं आ रही सपा
स्वच्छता अभियान के नवरत्नों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को शामिल क्या कर लिया मानों उन्हें बिजली का करंट लग गया हो। इससे बौखलाए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कह रहे हैं कि जरूरत सांप्रदायिक ताकतों की सफाई की है। ऐसा लगता है कि मोदी की बात ने सपा नेताओं की घबराहट बढ़ा दी है। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि जवाब क्या दें। ऐसे में सपा नेता और मुख्यमंत्री बिना विचार किए बगैर सफाई और सांप्रदायिका में कौन सा मेल है, बयान दे रहे हैं कि सफाई से ज्यादा जरूरत सांप्रदायिक ताकतों की सफाई की है। ऐसा लगता है कि सपा नेताओं व मुख्यमंत्री मानते हैं कि पंथनिरपेक्ष ताकतों को सफाई का समर्थन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो बात कुछ और है। प्रधानमंत्री की घोषणा से उन्हें भय है कि कहीं मुसलमान उनसे छिटक न जाए। इसलिए वे इस बात में जुटे हैं कि किसी तरह मुसलमान यह मान लें कि सपा और उसके नेता मोदी के विरोधी हैं। ये लोग यह फर्क भी भूल गए कि स्वच्छता अभियान भाजपा या संघ का नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री का अभियान है। प्रधानमंत्री का आह्वान है, जिसे देश की सवा करोड़ जनता ने देश की बागडोर सौंपी है जिसमें मुसलमान भी हैं। वाराणसी के बुनकरों ने भी इस सच को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री व भाजपा को लेकर उनके मन में अनावश्यक भ्रम था। सपा अगर मुसलमानों को वोट मानने से बाज न आई तो उसे ही इसका खामियाजा भुगतना होगा। -धीरज त्रिपाठी |
अन्य राज्य समाचार |
टिप्पणियाँ