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कर्नाटक के तुमकुर स्थित सिद्धगंगा मठ में 11 और 12 नवम्बर को सन्त सम्मेलन आयोजित हुआ। विश्व हिन्दू परिषद् की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन सिद्धगंगा मठ के डॉ. शिव कुमार स्वामी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किया। सम्मेलन में श्री मोहनराव भागवत ने हिन्दू एकता का आह्वान करते हुए कहा कि भारत वैश्विक आध्यात्मिक एकता का स्रोत है। उपस्थित सन्तों से उन्होंने आग्रह किया कि वे आध्यात्मिकता के मूल्यों पर गहन विचार-विमर्श करें और उन्हें भारत के प्रत्येक निवासी तक पहंुचाने का प्रयास करें। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में मतान्तरण की जड़ें इतनी फैल चुकी हैं कि अब विभिन्न कारावासों में भी मतान्तरण होने लगा है। इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा कि अंध जातिवाद सामाजिक बुराई है और इसे दूर करने के लिए हमें गंभीरता से काम करना होगा। सम्मेलन में श्री भागवत ने वरिष्ठ प्रचारक श्री चन्द्रशेखर द्वारा विश्व हिन्दू परिषद् पर लिखित पुस्तक का लोकार्पण किया। उद्घाटन सत्र को श्री निर्मलानन्दा स्वामी, श्री बासवमूर्ति चेन्नया स्वामी, श्री स्वर्णवल्ली स्वामी, साध्वी उमा भारती (नीलमंगला), श्री सन्तोष गुरु जी और विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पत राय ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री एम. वेंकटराम, डॉ. कल्लादका प्रभाकर भट्ट, प्रान्त कार्यवाह एन. तिप्पेस्वामी, प्रान्त प्रचारक श्री मुकुन्द और अन्य संगठनों के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन का समापन 12 नवम्बर को हुआ। ल्ल प्रतिनिधि
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