विदेशी धरती पर दीपावली की धूम 
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विदेशी धरती पर दीपावली की धूम 

by
Nov 1, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Nov 2014 14:11:59

विदेशों में भारतवंशियों की धाक कितनी जमती जा रही है, इसका ताजा उदाहरण दीपावली के अवसर पर दिखा। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, विदेश मंत्री जॉन केरी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने दीपावली के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए और अपने-अपने देश में रहने वाले भारतवंशियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। बराक ओबामा ने भारतवंशियों के साथ व्हाइट हाउस में दीपावली मनाई। दीपावली की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं उन लोगों को बधाई देना चाहता हूं,जो दुनियाभर में दीपावली मना रहे हैं।' उल्लेखनीय है कि व्हाइट हाउस में 2009 में पहली बार दीपावली मनाई गई थी। तभी से प्रतिवर्ष वहां दीपावली मनाई जाती है। रक्षा मंत्री जॉन केरी ने पहली बार अपने मंत्रालय में दीपोत्सव का आयोजन किया। इस अवसर पर दक्षिण और मध्य एशिया के मामले देखने वाली उप विदेश मंत्री निसा देसाई बिस्वाल, अमरीका में भारतीय राजदूत एस. जयशंकर सहित अनेक नेता उपस्थित थे। हिन्दू पुरोहित नारायणचार एल. दिगलाकोटे ने पारम्परिक दीया जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की और जॉन केरी को शॉल भेंट की। उधर लंदन में प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपने कार्यालय में दीवाली के अवसर पर एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया और भारतवंशियों को सम्बोधित करते हुए कहा, 'प्रकाश का यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रिटेन के विकास में आप सबके योगदान के लिए धन्यवाद। ' सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हेसन लूंग ने दीपावली के दिन ट्वीट करके हिन्दुओं को बधाई दी और कहा कि आज हिन्दुओं का प्रकाश पर्व दीपावली है। सभी के लिए दीपावली उज्ज्वल और खुशियों से भरी हो। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा कि दीपावली का अर्थ है अंधकार को दूर भगाकर प्रकाश फैलाना।
मलेशिया में भी दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई गई। पाकिस्तान में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल ने भी पहली बार हिन्दुओं के साथ दीपावली मनाई। दीपावली का उत्सव अब वैश्विक होता जा रहा है। एक जानकारी के अनुसार नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद व टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर और फिजी में दीपावली की सार्वजनिक छुट्टी होती है। ल्ल

निजामी को मौत की सजा
बंगलादेश में युद्ध अपराधों की जांच के लिए बनाई गई विशेष अदालत ने 29 अक्तूबर को जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मतीउर्रमान निजामी को मौत की सजा सुनाई है। 71 वर्षीय निजामी को 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान हजारों लोगों की मौत में भूमिका के लिए सजा दी गई है। तीन न्यायाधीशों की संविधान पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम़ इनायतुर रहीम ने यह सजा सुनाई है। बंगलादेश में वरिष्ठ मंत्री रह चुके निजामी के विरुद्ध 16 मामलों में मुकदमा चलाया गया था। इनमें नरसंहार, हत्या, बलात्कार और संपत्ति को हानि पहुंचाने का आरोप था। ल्ल

बंगलादेश में सक्रिय हैं 30 मजहबी जिहादी गुट
एक समाचार के अनुसार बंगलादेश में इस समय मजहबी जिहादी गुटों की संख्या 30 के करीब है। ये गुट जिहादी गतिविधियों में शामिल तो हैं, इसके साथ ही इन गुटों से जुड़े कट्टरवादी बंगलादेश के गैर-मुसलमानों, विशेषकर हिन्दुओं को अपने निशाने पर रखते हैं। इन गुटों में प्रमुख हैं-हरकतुल जिहाद, जमातुल मुजाहिदीन बंगलादेश, जाग्रत मुस्लिम जनता बंगलादेश, इस्लामी बिपलबी परिषद्, शहादत-अल-हिकमा, हिजबुल तौहीद, हिज्ब-उत-तहरीर, अहले-हदित आन्दोलन, तौहिदी जनता, अल-मुजाहिद, जमाती याह्या-अल-तुरग, जिहादी पार्टी, अल-हरकत-अल इस्लामिया, बिश्व इस्लामी फ्रंट, जमात-उल-सदत, अल-जमातुल इस्लामिया, अल-महफूज-अल-इस्लामिया, इकरा इस्लामी जोट, अल्लाहर दल, अल-खिदमत-बाहिनी बंगलादेश, जमातुल फलादिया, शहादत-ए-नबुआवत, जैश-ए-मुस्तफा, तहफिजे-हरामे-परिषद्, दुरान्ता काफिला, हिजबुल मुजाहिदीन एण्ड मुस्लिम गुरिल्ला आदि। इन सभी मजहबी संगठनों का एकमात्र उद्देश्य है बंगलादेश को पूरी तरह इस्लामी राज्य में बदल देना। एक ऐसा इस्लामी देश जहां गैर-मुसलमानों के लिए कोई जगह न हो। यही कारण है कि बंगलादेश में आए दिन हिन्दुओं पर हमले होते रहते हैं। इन हमलों का एक ही मकसद है बंगलादेश से हिन्दुओं को खदेड़ना। इन जिहादी गुटों की शुरुआत करने वाले कट्टरवादियों को बंगलादेश के तत्कालीन फौजी तानाशाह जियाउर रहमान का संरक्षण प्राप्त था। रहमान वही शख्स हंै, जिन्होंने 1977 में बंगलादेश के संविधान में पांचवां संशोधन कर सेकुलर शब्द को हटा दिया था। ल्ल

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