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पाठकों के पत्र – अब तो बाज आओ जम्मू-कश्मीर के बाशिन्दों !

by
Oct 11, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 11 Oct 2014 15:03:08

आवरण कथा 'विपदा में बचाया वीरों ने' से प्रतीत होता है कि यह वही जम्मू-कश्मीर है जहां के बाशिन्दे अभी कुछ दिन तक भारतीय सेना को ईंट और पत्थर मारते थे, आज वहीं सैनिक उनके जीवन को बचा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में आई दैवीय आपदा पर नरेन्द्र मोदी ने तत्काल प्रभाव से स्थिति को समझा और पूरी ताकत और मन से लगकर प्रदेशवासियों की रक्षा की। उन्हांेेने वह कर दिखाया जो वे लगातार अपने भाषणों में कहते आए हैं कि देश की 125 करोड़ जनता उनके लिए बराबर है। लेकिन जो लोग सदैव घाटी में आतंक की फसल बोते रहते हैं वे इस विकट घड़ी में बिलों में दुबके रहे। सवाल है कि अलगाववादी इस स्थिति में कहां छिपे रहे? क्या इन लोगों का सिर्फ एक ही मकसद है-आतंक को पालना और पोशना? अब जम्मू-कश्मीर की जनता को जवाब देना होगा कि उनका असली हिमायती कौन है, सेना या अलगाववादी ?
कृष्ण वोहरा, जेल मैदान,सिरसा(हरियाणा)
० अलगाववाद के जरिये अपनी सियासत को चमकाने में व्यस्त उमर अब्दुल्ला सरकार ने यदि राज्य के लिए बेशकीमती समय दिया होता तो केन्द्र और वाह्य मदद के लिए हाथ नहीं फैलाने पड़ते। इस संकट की घड़ी में उन सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को जीवन दिया है, जिन्हें आज तक वहां की अवाम षड्यंत्रपूर्वक आतंकियों की शह पर हटाने की मांग करती रही है। भारतीय सेना हर बार की तरह इस बार भी देश का दिल जीतने में कामयाब रही। स्वयं के प्राणों की परवाह न करते हुए उसने उनको बचाया जो आज तक उन पर ईट और पत्थरों से हमला करते आए हैं। प्राकृतिक आपदा में सेना के निर्भय प्रयास के लिए शत-शत नमन।
हरिओम जोशी,भिण्ड (म.प्र.)
० जम्मू-कश्मीर में आई प्राकृतिक आपदा पर आज सम्पूर्ण देश द्रवित है। स्वर्ग की उपमा दिये जाने वाले कश्मीर को जल प्रलय ने मानो नरक बना दिया हो। घाटी में आए इस भयावह संकट के समय देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी,भारतीय सैनिक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक मानो देवदूत बनकर आए और इस आपदा की घड़ी में पीडि़तों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। ये देवदूत वे हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर सहित देश के अधिकतर मुसलमान अपना शत्रु मानते हैं। और हद तो तब है कि जब इस संकट की घड़ी में भी शान्ति दूतों द्वारा सेना पर पत्थर बरसाये गए। इसके बावजूद केन्द्र सरकार,सेना और स्वयंसेवक पूरी तत्परता के साथ जुटे रहे।
कमल कुमार जैन,कैलाश नगर(दिल्ली)
आखिर कब बनेगा कानून
सबसे पहले पाञ्चजन्य का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिसने 22 सितम्बर के अंक 'झारखंड-बंगाल सीमा बनी गोतस्करी का राजमार्ग' में गोतस्करी से संबंधित स्पष्ट जानकारी पाठकों के समझ रखी। आज देश के विभिन्न हिस्सों में गोतस्करी की घटनाएं लगातार प्रकाश में आ रही हैं। कुछ प्रान्तों में तो इस पर कड़ा कानून है,कुछ प्रान्तों में लचर और देश के सात राज्य ऐसे हैं, जहां गोवध पर कोई भी कानून नहीं है। आज पूर्ण बहुमत के साथ केन्द्र में भाजपा की सरकार है। करोड़ों हिन्दुओं ने इस सरकार को सनानत मान बिन्दुओं की रक्षा के लिए चुना है। लेकिन सवाल है कि आखिर कब तक देश की जनता गोहत्या होते देखती रहेगी? आखिर इस पर कब कड़ा कानून बनेगा? मोदी जी से निवेदन है कि जल्द से जल्द कठोर कानून संसद में पास हो ताकि गोमाता की रक्षा हो सके।
-सुधीर कुमार, पंसारी बाजार,जगाधरी(हरियाणा)
० देश के अनेक प्रदेशों से होते हुए झारखंड के रास्ते बंगाल से व यहां से बंगलादेश को हजारों गोवंश प्रतिदिन पहुंच रहा है। पाञ्चजन्य की संचेतना व हिन्दुनिष्ठ संगठन के कार्यकर्ताओं का ह्दय से धन्यवाद जो दिन-रात लगकर अपने प्राणों की परवाह किए बिना गोरक्षा के कार्य में लगे हुए हैं। गोपालन,गोमूत्र एवं गोबर से उत्पन्न होने वाली खाद की अपार संभावनाओं के बाद भी देश में गोहत्या आज षड्यंत्रपूर्ण तरीके से हो रही है। अपने को शान्तिदूत कहने वाले लोग इस कार्य में अधिकाधिक लिप्त हैं।
-प्रशान्त पाण्डेय, बरबर ,जिला-लखीमपुरखीरी (उ.प्र.)
सीधा विरोध, स्पष्ट संकेत
भारत सरकार द्वारा चीनी राष्ट्रपति के सामने सीमा पर अतिक्रमण को लेकर स्पष्ट विरोध प्रकट करने से विश्व में भारत की मजबूत एवं दृढ़ विदेशनीति का स्पष्ट संदेश गया है। व्यापारिक साझेदारी के साथ-साथ देश की सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा को प्राथमिकता देकर भारत ने भविष्य में चीन के साथ कूटनीतिक एवं आर्थिक संबधों के नए मापदण्ड तय कर दिये हैं। वर्तमान सरकार की राष्ट्रवादी सोच को देखते हुए चीन को अब भारतीय हितों को प्रभावित करने से पहले सौ बार सोचना होगा। क्योंकि अब मूक बाधिरों की सरकार नहीं रही। देश का निजाम बदल चुका है, यह उसे पता होना चाहिए।
विक्रम सिंह, वीपीओ-घरौंडा,करनाल (हरियाणा)
हिन्दूहित सर्वोच्च
विश्व हिन्दू परिषद की स्वर्णजयंती पर पाञ्चजन्य ने पाठकों को बताया कि कैसे विहिप संकल्पबद्ध होकर हिन्दूहित के कार्य में रात-दिन लगी हुई है। विहिप की स्थापना और उसके आदर्शों का गठन करने में अनेक प्रतिष्ठित महानुभावों के योगदान का वर्णन पढ़कर उनके प्रति आदरपूर्ण भाव से मस्तक झुक जाता है।
-अरविंद महीधर, कस्तूरबा रोड(महाराष्ट्र)
प्रदूषित इकाइयां बंद हों !
आज हमारे देश में गंगा शुद्धीकरण का अभियान चल रहा है। लेकिन सच यह है कि गंगा जितने भी शहरों से निकलती है उन शहरों का जितना भी प्रदूषित जल है वह गंगा में ही डाला जाता है। मेरा सुझाव है कि सरकार पहले इस ओर ध्यान दे और जहां से इस प्रकार की गंदगी सीधे गंगा में गिरती हो उस पर तत्काल रोक लगाये, तभी गंगा का शुद्धीकरण संभव है।
प्रदीप चतुर्वेदी, अंटा जिला-शाहजहांपुर(उ.प्र.)
स्वप्न हुआ साकार
एक लंबे समय के बाद केन्द्र में एक ऐसी सरकार आई है, जिसका प्रमुख ध्येय देशहित ही है। देश के करोड़ों लोगों का सपना था कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें,आज यह सपना साकार हो गया है।
-आशीष कुमार चौधरी, लहेरिया सरायं,दरभंगा(बिहार)
गहराता विवाद
आज साईं विवाद गहराता चला जा रहा है। प्राचीनकाल से सनातन धर्म में विकृति लाने के प्रयास समय-समय पर किए गए। लेकिन सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन धर्मावलम्बियों ने कर्म,विचार एवं प्राणों की आहुति देकर इसको बचाया। आज साईं विवाद को लेकर कुछ इसी प्रकार तूल दिया जा रहा है, जबकि इस विवाद का समाधान पूर्ण रूप से श्रीमद्भगवद गीता में है। इस विवाद का एक ही समाधान है कि हम सनातन व्यवस्था का पालन करें और उसके अध्ययन से जो निकलकर आता है उसको मानें, क्योंकि अनादि काल से हम इन्हीं ग्रन्थों को मानते चले आ रहे हैं । जिनपर विवाद करके अपने को कलंकित न करें।
उदय कमल मिश्र,सीधी(म.प्र.)
० सहारनपुर में मुसलमानों द्वारा किया गया दंगा तुष्टीकरण की राजनीति का एक उदाहरण है। एक तरफ सपा सरकार मुसलमानों पर नरम रवैया रखती है पर वहीं दूसरी ओर हिन्दुओं के साथ दुश्मनी का। मुसलमानों के त्योहार पर मंदिरों के लाउडस्पीकरों को बंद कराया जाता है। लेकिन क्या हिन्दुओं के त्योहार में भी यह सरकार मस्जिदों की अजान बंद करायेगी? क्या उन पर ऐसा प्रतिबंध लगेगा? सवाल है कि क्या मुसलमानों के लिए कानून अलग हैं ? क्या उन पर कानून लागू नहीं होते? यह सवाल उस देश में है, जहां 100 करोड़ की आबादी हिन्दू है।
बी.एल.सचदेवा,आईएनए बाजार (नई दिल्ली)
संकल्प भारत के कायाकल्प का
गंगा को प्रदूषण से और कृषि को जहर मुक्त करने की चुनौती एक सिक्के के दो पहलू के समान है। आज भारत के लिए ये दो समस्याएं प्रमुख रूप से हैं। जहां गंगा अपनी दुर्दशा पर कराह रही है तो दूसरी ओर जो कृषि हो रही है वह विषयुक्त हो रही है। अगर जल्द ही इन क्षेत्रों में कार्य कर लिया गया तो भारत की दिशा कुछ और ही होगी। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं।
राममोहन चंद्रवंशी, विट्ठल नगर, (म.प्र.)
संघ कार्य से बौखलाए माकपाई
केरल के कुन्नुर में माकपा के हिंसक कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकताओं की हत्या यह दर्शाता है कि वे संघ कार्य से कितने भयभीत और हतोत्साहित हैं। केरल में संघ के बढ़ते प्रभाव से बौखलाए माकपा के कार्यकर्ता आज संघ के कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बना रहे हैं। वे समझते हैं कि ऐसा करने से इन क्षेत्रों में संघ का कार्य रुक जायेगा, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि संघ के कार्यकर्ता इन घटनाओं से डरने वाले नहीं हैं। संघ का कार्य इन घटनाओं से और बढ़ेगा। गृह मंत्रालय को चाहिए कि इन घटनाओं पर तत्काल प्रभाव से कड़ी कार्रवाई करे और ऐसे लोगों को कठोर दंड दिलाने में मदद करे।
दीपक कुमार, करनाल(हरियाणा)

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