उर्दू पत्र द्वारा गोवध का खुला प्रचार
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वर्ष: 9 अंक: 12 26 सितम्बर,1955
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विरुद्ध विद्रोह
सरकारी बाढ़-पीडि़त योजना के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार
लखनऊ। रामपुर से प्रकाशित होने वाले उर्दू पत्र 'नाजिम' के सम्पादक तथा प्रकाशक को सजा हो गई है। स्मरण रहे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पत्र पर गत वर्ष की बकरीद के अवसर से मुकदमा चल रहा था जब कि उसने मुसलमानों को खुल्लमखुल्ला गोहत्या के लिए उभाड़ा था।
इतना ही नहीं तो जिस समय प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री डा. सम्पूर्णानन्द ने कार्यभार संभाला था उस समय भी उक्त पत्र ने मुख्यमंत्री की खुलेआम इस आधार पर निन्दा की थी कि वे हिन्दुत्व के पक्षपाती तथा मुसलमानों के कट्टर विरोधी हैं।
यहां ध्यान देने की बात यह है कि 'नाजिम'जमात इस्लामी नामक मुस्लिम संस्था का घोर समर्थक है। रामपुर जमाते इस्लामी का गढ़ है। और मौ. मदूदी उसके नेता- सर्वेसर्वा हैं जिसके सम्बन्ध में 'पाञ्चजन्य'में समय-समय पर पर्याप्त मात्रा में लिखा जा चुका है। जहां तक जमाते-इस्लामी का सम्बन्ध है वह भारत तथा पाकिस्तान दोनों में कार्य करती है और शरियत के आधार पर स्थापित शुद्ध इस्लामी राज्य तथा न्याय व्यवस्था को ही उपयुक्त समझती है। भारतीय संविधान न्याय व्यवस्था,राष्ट्र के प्रति उसे न केवल आस्था ही नहीं है वरण् घोर द्रोह भी है जिसका वह भारत में सर्वत्र खुलकर प्रचार करती है।
जानकार क्षेत्रों का यह भी कहना है कि सरकार इस प्रकार साम्प्रदायिकता फैलाने वाले कुछ अन्य उर्दू पत्रों पर भी केस चलाने का विचार रखती है।
युवक कांग्रेस तथा उ.प्र. कांग्रेस में फूट
उ.प्र. कांग्रेस कमेटी ने युवक कांग्रेस के संयोजक श्री कपिल वर्मा को अपदस्थ कर दिया है। स्मरण रहे उक्त महानुभाव गत चार वर्षों से युवक कांग्रेस में कार्य कर रहे थे। उ.प्र. कांग्रेस कमेटी ने उनपर आरोप लगाया है कि वे संस्था (यु.कां.)का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए कर रहे थे।…
रीवा। विगत कुछ दिनों से देश के अन्यान्य स्थानों में होने वाली गुण्डागिरी एवं मुस्लिम-परस्ती के समान विन्ध्यप्रदेश के प्रमुख नगर सतना में भी गुण्डागिरी प्रत्यक्ष रूप से सम्मुख आ रही है। अभी हाल ही में यहां के एक धनी-मानी एवं पूंजीपति मुसलमान युवक ने प्रयाग नगर से एक हिन्दू लड़की को भगाकर अपने अधिकार में रखने का दुस्साहस किया। इस बात को लेकर यहां के हिन्दुओं मे तीव्र प्रतिक्रिया हुई। इस मामले को भारतीय जनसंघ के अतिरिक्त सभी राजनैतिक दलों ने पार्टीबन्दी का रूप देना चाहा किन्तु उनके कार्यकर्ताओं में भी इसके कारण दो मत हो गए।…
उक्त लड़की अभी नाबालिग है किन्तु उसे रखने का साहस करने वाला मुसलमान गुण्डा अपने पैसों के बल पर यहां के सभी सरकारी एवं गैरसरकारी अधिकारियों को अपने वश में किए हुए है। कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ता तथा पुलिस के कोतवाल और एस.पी. आदि उसके साथ में बैठकर चाय पीने का दुस्साहस करते हैं। जनसंघ के मंत्री श्री हुकुम चन्द्र जैन ने हजारों मुसलमानों के बीच से उस लड़की को छुड़ाकर पुलिस के हवाले किया, इसके बावजूद भी उसकी रक्षा हो सकी या नहीं इस में संदेह ही दिखाई पड़ता है। सुना जाता है कि यहां के मंत्रिमण्डल के एक मंत्री की गुण्डों को विशेष सहायता प्राप्त है।
इन्हीं सब कारणों से भारतीय जनसंघ ने पूरे विन्ध्य प्रदेश में ता.22-9-55 को 'गुण्डा विरोधी दिवस' मनाने का निश्चय किया है। नगर के प्राय: सभी प्रतिष्ठित लोग आये दिन होने वाली घटनाओं को सुन और जानकर अपनी बहू-बेटियों को बाहर निकलने देने में बड़े सतर्क हो रहे हैं।…
पिछले दिनों प्रदेश के लिए अति महत्वपूर्ण पं. जवाहरलाल नेहरू का त्रिदिवसीय दौरा था। गत आम निर्वाचनों के पश्चात् उनका यहां पहली बार ही आगमन हुआ था। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र में उनके दर्शन की उत्कण्ठा होना और उनके मुख से देश और प्रान्त की विभिन्न समस्याओं पर कुछ सुनने की इच्छा होना स्वाभाविक ही था। परन्तु पंडित जी के त्रिदिवसीय दौरे का जो विवरण प्राप्त हुआ है उससे यही निष्कर्ष निकलता है कि लोगों की इच्छा पूरी नहीं हुई क्योंकि गोआ,गोहत्या बन्दी,हिन्दू कोड बिल और प्रदेश के भविष्य के संबंध में जो भी विश्लेषणात्मक विवेचन उनसे सुनने की अपेक्षा थी वह पूरी नहीं हुई।…
इतना ही नहीं तो सदा की भांति अपनी तुनकमिजाजी का परिचय पण्डित जी ने यहां भी दिया जिसका फल रीवा में सभी मंच के व्यवस्थापकों व पन्ना में पुलिस वालों को भोगना पड़ा। जरा सी असावधानी पर उन्हें भांति-भांति क ी गालियां सुननी पड़ीं। रीवा के राजनिवास के कर्मचारियों को भी थोड़ी सी असावधानी पर ही श्रीमती इन्दिरा गांधी की फटकार सहनी पड़ी क्योंकि भूल से नहाने की बाल्टी में एक मामूली कपड़ा पानी ढकने के लिए रखा रह गया था।
दिशाबोध
विघटनकारी शक्तियां
आज देश में विघटनकारी शक्तियां कार्य कर रही हंै और विदेशी शक्तियां उनसे लाभ उठाने के लिए सिद्ध हैं। असम में हुए भाषाई झगड़ों के पीछे विदेशी शक्तियों का हाथ रहा है। हरिजनों पर होने वाले अत्याचारों के संबंध में जो भड़काऊ समाचार छपते हैं,उनके पीछे भी विदेशी-वितरण-संस्थाओं का हाथ दिखाई देता है। विदेशी शक्तियां अच्छी तरह से जानती हैं कि हिंदू समाज को तोड़ने से भी यहां पर उनका प्रभुत्व रह सकता है। हिंदू मुसलमान के झगड़ों का वृत्त देते समय जाति के नामों का उल्लेख करने पर रोक है,परंतु सवर्ण हिंदू विरुद्ध हरिजन,ब्राह्मण विरुद्ध अब्राह्मण विवाद के भड़कीले समाचार दिए जाते हैं। मुझे संदेह है कि इस प्रकार समाज की एकता को आघात पहंुचाने वाले विक्षोभक समाचारों के प्रचार के पीछे विदेशी शक्तियों की चाल काम कर रही है और भारत में उन विदेशी ताकतों के प्रभाव के कारण ही अभी तक इस दिशा में कोई रोकथाम नहीं की गई है। -श्रीगुरुजी समग्र खण्ड: 3 पृष्ठ 90
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