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मेरठ मंडल के आयुक्त भूपेन्द्र सिंह ने भी सपा की आंखों से ही सहारनपुर दंगे का सच देखा। नतीजा उनकी रपट में भी वही तथ्य सामने आए, जो उनसे पहले वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में सहारनपुर दंगे का सच जानने गए सपा नेताओं और सपाई मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल को मिले थे।
आयुक्त की रपट एक तरह से सपा प्रतिनिधिमंडल की रपट के आधार पर ही तैयार कराई गई है। आयुक्त ने जांच रपट में भाजपा सांसद राघव लखनपाल और प्रशासनिक लापरवाही की बात करते हुए सहारनुपर के लगभग एक दर्जन अिाकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। आयुक्त ने वही देखा जो सरकार देखना चाहती थी। सपा के प्रतिनिधिमंडल ने सबसे बड़ी आपत्ति कर्फ्यू लगने के बाद भाजपा सांसद के दल के साथ घूमने पर लगाई थी। आयुक्त को भी यही बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगी। सहारनपुर दंगे को लेकर दर्ज रपट में कांग्रेस के विवादास्पद नेता इमरान मसूद का नाम दर्ज है। लोग चीख-चीख कर इमरान मसूद की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन रपट में उनका नाम तक नहीं है क्योंकि मंत्रियों की रपट में भी मसूद का नाम नहीं था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि सहारनपुर दंगे का सच जानने गया सपा का प्रतिनिधिमंडल सिर्फ राजनीतिक दल का जांच दल नहीं था, वह तो मंत्रियों का प्रतिनिधिमंडल था। उन्होंने कहा कि सहारनपुर में जो कुछ भी हुआ, उसके पीछे सपा की सोची समझी साजिश थी। सपा कभी नहीं चाहेगी कि सहारनपुर ही नहीं, बल्कि किसी दंगे का सच सामनेआए। वह जानते हैं कि सच उजागर होने से उनके चेहरे बेनकाब हो जाएंगे, जो सपा की राजनीति पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैं।
असली गुनहगारों को बचाने की साजिश
85 पृष्ठों में तैयार की गई अपनी रपट में आयुक्त ने लिखा है कि सहारनपुर में गुुरुद्वारा रोड पर कुछ निर्माण कार्य गत 25 जुलाई की रात हुआ था, जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया। यह कार्य बिना मानचित्र के हो रहा था। उन्होंने विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। यह भी लिखा है कि कुतबपुर शेर थाना पुुलिस ने अवैध निर्माण नहीं रोका। एलआईयू ने भी उच्च अधिकारियों को सूचना नहीं दी और कर्फ्यू घोषित होने के बाद भी सांसद राघव लखनपाल शहर में कैसे घूमते रहे। रपट में दिए गए तथ्यों से साफ है कि पूरे मामले को घुमाने की कोशिश की गई है। दंगे के असली गुनहगारों को बचाने की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। इसी कारण कांग्रेसी नेता इमरान मसूद और सपा के एमएलसी उमर अली खां का जिक्र तक नहीं किया गया है, जबकि सिख समुदाय ने इन दोनों के खिलाफ रपट दर्ज करा रखी है और इन पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया है।
एक साल से निर्माण पर क्यों नहीं हुई आपत्ति
सहारनपुर में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता दिनेश सेठी कहते हैं कि आयुक्त जिस निर्माण को अपनी रपट में अवैध बता रहे हैं, उस पर न्यायालय ने सिख समुदाय के पक्ष में फैसला दिया था। यह निर्माण जिलाधिकारी अजय कुमार सिंह की अनुुमति व उनकी जानकारी में पिछले एक वर्ष से चल रहा था। जिस दिन दंगा कराया गया, उस दिन सिर्फ छत डाली जा रही थी, जो कि एक दिन में संभव नहीं है। इससे स्पष्ट है कि षड्यंत्र के तहत दंगा कराया गया था।
हिन्दुओं को डराने के लिए हुआ था दंगा
भाजपा के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में सहारनपुर में भाजपा की जीत को सपा व कांग्रेस ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगाई तत्व भी पचा नहीं पा रहे हैं। सहारनपुर में दंगा कराने की असली वजह हिन्दुओं में दहशत फैलाना था, लेकिन वे अपनी साजिश में सफल नहीं होंगे। – धीरज त्रिपाठी
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