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आज शायद ही कोई विदेशी अखबार या खबरिया टेलीविजन चैनल होगा, शायद ही सोशल मीडिया का कोई अंग होगा जिसमें इराक में खूनी दरिंदगी का खुला खेल रच रही आईएसआईएस की हत्यारी जमात की करतूतें न दिखाई जा रही हों। भारत के ज्यादातर अखबारों के लिए तो हॉलीवुड कलाकार रोबिन विलियम्स की कथित आत्महत्या की खबर या शाहरुख के कोलकाता की महिला हवलदार के साथ नाचने की खबर कहीं ज्यादा अहमियत रखती दिखाई दी। भारत के सेकुलर मीडिया को कोई फर्क नहीं पड़ता अगर इराक में आईएसआईएस के हत्यारे सदियों से वहां बसे एक अल्पसंख्यक समूह यजीदी के तकरीबन 600 लोगों को एक ही दिन में ढेर कर दें, उनके गले रेत कर उसका जश्न मनाएं या उनकी बहन-बेटियों को हत्यारी जमात के सदस्यों के सामने हाथ बांध कर छोड़ दें। यही हुआ है इराक में 9 और 10 अगस्त को। नरसंहार रचा जा रहा है यजीदियों, कुर्दों का। लोग घर-बार छोड़कर भागे जा रहे हैं,भोर के धुंधलके में भूखी-प्यासी महिलाएं अपने दुधमुंहे बच्चों को सीने से चिपटाए किसी सुरक्षित जगह, किसी ओट की तलाश में भागी जा रही हैं, वे ये भी नहीं जानतीं कि उनके शौहर मार दिए गए हैं या बंधक बनाए गए हैं। आईएसआईएस के नकाबपोश स्वयंभू खलीफा के फरमान पर मानवता की हत्या कर रहे हैं और दुनिया का सभ्य समाज उनका प्रतिकार करने के तरीकों पर जिरह में उलझा है। ये यजीदी शिव-पुत्र कार्तिकेय को अपना आराध्य मानते हैं और अनेक हिन्दू प्रतीक इनके पूज्य हैं। आईएसआईएस इसीलिए उनको नेस्तोनाबूद करने पर तुला है। उन्हें साफ कह दिया गया है कि 'इस्लाम कबूलो या मरो' और कितनी ही यजीदी महिलाओं और पुरुषों ने मौत को गले लगाया है।
आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कथित 'इस्लामिक स्टेट' को आतंकवादी गुट की बजाय आतंकवादी फौज बताते हुए कहा कि ये सिर्फ एक आतंकवादी गलियारा बनाने पर नहीं तुले हैं बल्कि एक आतंकवादी देश बनाना चाहते हैं। एबट ने आस्ट्रेलिया के अखबारों में छपी हत्यारों की बर्बरता दर्शाने वाली फोटो को देखने के बाद एक इंटरव्यू में ये कहा था। उस फोटो में आस्ट्रेलिया से पिछले साल भागकर सीरिया के राका शहर में इस्लामिक स्टेट के हत्यारों से जा मिले एक आस्ट्रेलियाई खालिद शरूफ ने अपने करीब सात साल के बेटे को सीरिया के एक मारे गए सैनिक के कटे सिर को बालों से थामे दिखाया है। शरूफ ने वह फोटो ट्विटर पर पोस्ट की थी,जिस पर उसने लिखा था-'ये है मेरा बेटा'। एबट ने कहा कि इससे पता चलता है कि ये आईएसआईएस कितना खतरनाक संगठन है जिसने इराक और सीरिया के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे कितने ही फोटो आस्ट्रेलिया के अखबारों में छपे हैं। माना जाता है कि करीब 150 आस्ट्रेलियाई मुस्लिम इराक और सीरिया में हत्यारी जमात से जुड़े हुए हैं। एबट इन्हें केवल मध्य पूर्व के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक मानते हैं। खबर है कि आस्ट्रेलिया इराक में पीडि़तों के लिए राहत सामग्री पहंुचाने के काम में आ जुटा है। -आलोक गोस्वामी
सत्ता बदल का दौर
इराक में राष्ट्रपति फोआद मासोम ने वहां की संसद के उपाध्यक्ष हैदर अल अबादी का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर घोषित कर दिया और 30 दिन के भीतर सरकार बना लेने की चिट्ठी पकड़ा दी। इससे बगदाद की सड़कों पर निवर्तमान प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के समर्थक झुण्ड बनाकर नारेबाजी करने लगे। उन्हें शिकायत है कि मलिकी को गलत तरीके से हटाया गया है। 11 अगस्त को वहां की एक बड़ी अदालत ने भी मलिकी के दल को संसद में सबसे बड़ा दल बताते हुए कहा था कि उन्हें सरकार बनाने से रोकना गलत होगा। लेकिन इधर राष्ट्रपति ने प्रमुख शिया नेताओं द्वारा चुने गए अबादी को न्योता देकर मानो बगावती तेवरों को हवा दे दी। नारे लगाते हुए लोगों के हुजूम देर रात तक सड़कों पर मंडराते रहे और सबसे बड़ी अदालत में इस कदम के खिलाफ अपील करने की तैयारी करने लगे। बगदाद दोहरे संकट में फंसा है। एक तरफ आईएसआईएस के हत्यारे राजधानी पर गिद्ध दृष्टि जमाए हैं तो दूसरी तरफ राजनीतिक नेतृत्व असमंजस में है। हालात जल्दी सुधरें तो कैसे।
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