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अंक संदर्भ : 29 जून, 2014
आवरण कथा 'प्रश्न प्रदेश उत्तर प्रदेश' से प्रतीत होता है कि राज्य में इन दिनों गुण्डाराज कायम है। कानून-व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। जिन्हें इसे रोकने की जिम्मेदारी दी गई है वे सपा नेताओं की चाटुकारिता में लगे हुए हैं। आखिर सपा के गुण्डे किस बात की खीझ जनता से उतार रहे हैं?
कुशाग्र चन्द्र, डालीगंज,लखनऊ(उ.प्र.)
० आज प्रदेश के प्रत्येक स्थान पर गुण्डे-मवालियों का बोलबाला है। वे जिसे चाहते हैं उसे प्रताडि़त करते हैं और उन पर अत्याचार करते हैं। साथ ही पुलिस प्रशासन इन मामलों पर ऐसे मौन है, जैसे वह सपा की एजेंट हो। सपा लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से बौखला गई है,जिसके चलते उसके गुण्डे ऐसा कर रहे हैं।
हरेन्द्र प्रसाद साहा, कटिहार (बिहार)
० कांग्रेस जो अपने को सपा का विरोधी बताती है वह आज उत्तर प्रदेश में हो रहे अत्याचारों पर चुप क्यों है? आज तक यही कांग्रेस और सपा केन्द्र्र में मिलकर साथ-साथ सुर मिलाकर एक दूसरे की हां में हां मिलाकर जनता को लूटते रहे और प्रदेश में अलग होने का ढोग रचाते रहे हैं।
शान्ति स्वरूप सूरी, झांसी(उ.प्र.)
० प्रदेश में आज हिन्दुओं के साथ अत्याचार हो रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण मुरादाबाद जिले की कांठ तहसील का है,जहां रमजान के दौरान मंदिर में जबरन ताला तोड़कर लाउडस्पीकर उतार दिया गया। प्रशासन का तर्क था कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी। लेकिन सवाल है कि क्या दुर्गा पूजा व शिवरात्रि पर यही पुलिस मुसलमानों की मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने का साहस दिखा पायेगी? तब क्या कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ती है? आज सपा मुसलमानांे की चाटुकारिता में लगी है।
अनूप कुमार शुक्ल
संस्कृति भवन,लखनऊ(उ.प्र.)
० प्रदेश में फैली अराजकता पर सपा नेता जो मन में आ रहा है वह बोले चले जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि उनमें तनिक भी मानवता नहीं बची है। आज प्रदेश का ऐसा कोई भी स्थान या जिला नहीं है जहां सपा के गुण्डों द्वारा आतंक न मचाया जा रहा हो। साथ ही खासकर चुन-चुन कर भाजपा के ही लोगों को प्रदेश में निशाना बनाया जा रहा है? क्या इसे लोकसभा चुनाव की हार की खीझ ही कहा जाये?
राममोहन चंद्रवंशी, टिमरनी(म.प्र.)
जो कहा वह कर दिखाया
नरेन्द्र मोदी अपनी प्रत्येक सभा में कहा करते थे कि मैं पूरे हिन्दुस्थान की 125 करोड़ जनता के विकास की बात करता हूं और सच में उन्होंने अपनी इस बात को कर दिखाया। उन्होंने जाति व मजहब से ऊपर उठकर इराक से बंधकों को लाने में सफलता हासिल की। अलकायदा से भी ज्यादा खतरनाक संगठन आईएसआईएल के हाथों से अपने नागरिकों बचाना साहस की ही बात है और देश के लोगों को संकेत है कि अब देश में जाति व मजहब के नाम पर राजनीति नहीं होगी अगर राजनीति होगी तो देश की सम्पूर्ण 125 करोड़ की जनता के हित में राजनीति और विकास की बात होगी।
अख्तर हुसैन राजा, सीतामढ़ी(बिहार)
गीदड़ भभकी
हाल में बगदादी ने भारत को धमकी देकर जिहाद के लिए इस्लाम का आह्वान किया है। असल में होता क्या है कि जब दीमक के पंख उगते हैं तो वह स्वयं रोशनी की तरफ आकर जल मरता है। तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को तहस-नहस करके हूणों के पंख उग आए थे तो वह भारत से आकर टकराये थे। भारत ने उनको इतिहास के पृष्ठों से ही मिटा दिया। अब अगर जिहादियों ने भारत की ओर आंख उठाने की कोशिश की तो उन्हें पता होना चाहिए कि केन्द्र में कोई लाचार नहीं बल्कि मजबूत सरकार है जिसके लिए केवल देशहित ही सर्वोपरि है। ऐसे में उनका क्या हाल होगा वे जान सकते हैं।
डॉ. प्रणव कुमार
बनर्जी बिलासपुर(छ.ग.)
सेकुलरवाद का लवादा
स्वतंत्रता के बाद से ही कांग्रेस और उसके सहयोगी सेकुलर दलों ने छल-कपट और भ्रष्टाचार की राजनीति की और इसी तुष्टीकरण के चलते समस्त देशवासियों को मूर्ख और भ्रमित करते आए है। अपने को जनता का हितैषी बताने वाली कांग्रेस ने दस साल के शासन में देश की जनता को क्या दिया ये जगजाहिर है। अभी बिहार के मुख्यमंत्री ने ऐसे ही सेकुलवाद का परिचय देते हुए घोषणा की कि जो लड़कियां प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करेंगी उन्हें 25000 की राशि दी जायेगी। लेकिन मुस्लिम लड़कियों को यह राशि द्वितीय श्रेणी में ही पास करने पर मिल जायेगी। आखिर सवाल है कि बिहार के मुख्यमंत्री किस चीज का परिचय देना चाहते हैं?
कुन्ती रानी, नया टोला( बिहार)
० केन्द्र में भाजपा की सरकार और उसमें भी नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से सेकुलर बुद्धिजीवी हतप्रभ हैं। उन्हें इस निर्णय से मूर्छा आ गई। वे सोच रहे हैं कि देश की जनता को बरगलाने के बाद भी उसने उन्हें कैसे चुन लिया। लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि देश अब मूर्ख बनने वाला नहीं है। वह अच्छा और बुरा समझता है और इसी का परिणाम है कि सत्ता में भाजपा है।
मनोहर मंजुल, प.निमाड(म.प्र.)
गरीबों के हक पर डाका
म.प्र में इन दिनों कुछ भ्रष्ट लोग खाद्यान वितरण में जमकर धंाधली कर रहे हैं,जिसके कारण गरीब परिवारों को मिलने वाला राशन नहीं मिल पाता है। म.प्र.सरकार को चाहिए कि वह ऐसी शिकायतों पर गंभीरता से विचार करे ताकि गरीबों को उनका हक मिल सके।
अरविन्द पाटिल,
तांत्याटोपे नगर,भोपाल(म.प्र.)
प्रतिरक्षा में हो आत्मनिर्भरता
देश में प्रतिरक्षा में आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी प्रौद्योगिकी के लिए नई सरकार को नए सिरे से सोचना होगा। मेरी श्री नरेन्द्र मोदी से यही आशा है कि वे पिछले लगभग 10 वर्षों से चल रही मीडियम मल्टी रोल कम्बेट क्राफ्ट की खरीद के मामले में नए सिरे से राष्ट्रहित में निर्णय लें।
ओमप्रकाश सोबती (दिल्ली)
मैली यमुना के दोषी कौन?
प्राचीन काल में नदी को सौन्दर्य,प्रेम और जीवन से जोड़कर देखा जाता था। इसलिए नदियों को जीवन रेखा कहते थे। लेकिन आज अधिकतर नदियों की हालत खराब है। दिल्ली की यमुना प्रदूषण से कराह रही है। इसकी स्वच्छता के नाम पर 2500 करोड़ रु. स्वाहा हो चुके हैं, लेकिन हकीकत सामने है। सवाल है कि इतना पैसा खर्च होने के बाद भी यह मैली क्यों है? कमी कहां रह गई? नई सरकार को चाहिए कि वह तत्काल नदियों को अपनी नीतियों में प्राथमिकता दे और उन्हें स्वच्छ बनाने के लिए कठोर कदम उठाये।
महेश चन्द्र शर्मा
किशनगंज(दिल्ली)
थोड़ा धैर्य रखिये!
नरेन्द्र मोदी की सरकार को अभी सत्ता संभाले दो महीने ही बीते हैं कि कुछ लोग अभी से ताने मारने लगे हैं। उन्हें लगता है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद सब कुछ एकदम से ठीक हो जाना चाहिए था। मेरी ऐसे लोगों को सलाह है कि मोदी जी के पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं जो वे एकदम से सबकुछ ठीक कर देंगे। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस ने अपने दस साल के शासन में देश को बिल्कुल खोखला कर दिया है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। अब इसे संभालने के लिए कुछ समय तो लगेगा ही।
परमानन्द रेड्डी, रायपुर(छ.ग.)
इन्टरनेट की महत्ता
भूमण्डलीकरण ने विश्व को एक विश्वग्राम में परिवर्तित कर दिया है। जहां सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते कदमों के साथ सारी जानकारी एक ही क्लिक मात्र से उपलब्ध होने लगी है। इसी के साथ नए प्रकार के मीडिया का भी जन्म हुआ जहां किसी भी प्रकार की कोई बाध्यता नहीं हंै।
गौरी शंकर वैश्य
आदिल नगर लखनऊ(उ.प्र.)
इस्लामी आतंक का इलाज जरूरी
आज पूरा विश्व इस्लामी आतंक को देख रहा है और ये भी देख रहा है कि कैसे इसने कहर बरपा रखा है। उनके लिए जान का कोई मोल नहीं है। बस उन्हें मारने से मतलब है। सवाल है कि क्या यही इस्लाम में लिखा है कि निद्रोषोंर् को मारो-काटो और परेशान करो?
बी.आर. ठाकुर
इंदौर(म.प्र.)
दिखी भारतीयता
नरेन्द्र मोदी के सरकार में आने के बाद ऐसा लग रहा है कि जैसे अब जाकर देश के वीर पुत्र के हाथों भारत का शासन आया है। उसका असर भी दिखाई देने लगा है। उन्होंने विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरियों को वापस बसाने व कश्मीर जाने का आग्रह किया है- वह भी पूरी सुरक्षा और मुआवजे के साथ। आज तक सभी सरकारें कश्मीरी पंडितों के साथ धोखा करती आई हैं। उन्हें केन्द्र या राज्य सरकार ने कभी बसाने की चेष्टा नहीं की। आखिर क्या कारण है कि आज तक कश्मीरी पंडितों को उनके घरों में नहीं बसाया गया? मोदी जी का यह कदम लाखों कश्मीरी पंडितों के साथ पूरे भारत के लिए गौरव की बात है।
उदय कमल मिश्र
सीधी(म.प्र.)
समाजसेवा के नाम पर ढोंग
आज समाजसेवा के नाम पर कुछ एन.जी.ओ ढोंग रचा रहे हैं। बल्कि उनकी हकीकत कुछ और ही है। आज देश में ऐसे एन.जी.ओ का एक गुट है जो विदेशों के पैसों से पलता और उनकी ही हां में हां मिलाता है। ऐसे एन.जी.ओ देश के विकास और राजनैतिक स्थिरता को भंग करने का हरदम प्रयास करते हैं ,उन्हें जैसे ही लगता है कि जिनके पैसों पर हम पल रहे हैं उनका हित नहीं हो रहा है तो वे हुड़दंग मचाने लगते हैं और उनकी यही हकीकत है।
हर्षित कुमार
नोएडा(उ.प्र.)
अब समय हिन्दी का
देश में स्वतंत्रता के बाद से ही अंग्रेजी की मानसिकता के गुलाम लोगों ने देश की भाषा और संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने का दुष्चक्र प्रारम्भ कर दिया। उन लोगों ने हिन्दी के लिए ऐसा माहौल तैयार कर दिया कि उसे बोलने में लोगों को अपने आप में हीनभावना महसूस होने लगी। लोग अपने आप को हिन्दी में क्षेत्र का या हिन्दी बोलने से कतराने लगे। लेकिन सच तो यह है कि देश की अधिकतर आबादी हिन्दी बोलने वालों की ही है। आज नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी पर जोर देकर न केवल भाषा को जीवित करने का प्रयास किया है बल्कि खोई हुई संस्कृति को उसका गौरव दिलाने के लिए एक नींव रखी है।
डॉ.अमलोक चन्द्र जैन
मन्दसौर(म.प्र.)
सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी हैं भाषाएं
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसमें किसी को भी किंचित मात्र संदेह नहीं होना चाहिए। वास्तविकता में आजादी के बाद से हिन्दी षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उपेक्षा का शिकार होती चली आई है। साथ ही जिस समाज को इसका प्रतिकार करना चाहिए था वह भी उन लोगों की हां में हां मिलाते चला आया जो देश की भाषाओं और संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास करते रहे हैं। आज दिखाई देता है कि समाज हिन्दी की दुर्दशा का रोना रोता है, लेकिन असल में कहीं न कहीं हिन्दी की दुर्दशा के लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं क्योंकि आज तक हम किसी न किसी कारण और उसमें विकास की चाहत को देखते हुए उसके पीछे-पीछे भाग रहे हैं। दूसरा हिन्दी को जब भी बढ़ाने की बात होती है तो कुछ राज्यों को दर्द होने लगता है बल्कि उनको हिन्दी को बढ़ाने का समर्थन करना चाहिए,क्योंकि अकेली हिन्दी ही नहीं सभी क्षेत्रीय भाषाएं भारतीय जनमानस की संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी हैं। ये भारतीय जीवनमूल्यों और संस्कारों की वाहक हैं। आज जरूरत है कि हिन्दी को उसका उचित स्थान मिले और उसका खोया गौरव उसे पुन:प्राप्त हो।
-जोगिन्दर ठाकुर
ग्राम व पो.भल्याणी,कुल्लू (उत्तराखंड)
सब हैं भयकम्पित
अमित शाह को मिल गया, ऐसा गुरुतर भार
पर कंधे मजबूत हैं, वो भी हैं तैयार।
वो भी हैं तैयार, नमो रथ तेज चलेगा
सभी राज्यों में अब भगवा फहराएगा।
कह 'प्रशांत' हैं बीजेपी वाले अति हर्षित
मगर विरोधी दल वाले सब हैं भयकम्पित॥
-प्रशांत
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