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10 जुलाई को संसद में स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा बजट प्रस्तुत किया गया, जिसमें इस देश की चिंन्ता और सांस्कृतिक छाप झलकती है। इसमें जहां मां गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की बात कही गई है, वहीं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं.दीनदयाल उपाध्याय, महामना मदनमोहन मालवीय, सरदार पटेल जैसी विभूतियों के नाम से नई जन कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई है। पहली बार पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की विशेष तौर पर चिन्ता की गई है, साथ ही वर्षों से अपने ही देश में विस्थापन की जिन्दगी जीने वाले कश्मीरी हिन्दुओं को वापस घाटी में बसाने के लिए भी धन आबंटित किया गया है। हिमालय के संरक्षण के साथ ही भारतीय नस्ल के पशुधन को बढ़ावा देने की भी बात इसमें है। आवरण कथा के अतिरिक्त इस बजट के विविध पहलुओं का विवेचन पाञ्चजन्य ने भारतीय वित्त सलाहकार समिति (बीवीएसएस) की विशेषज्ञ टोली के सहयोग से किया है।
-भगवती प्रकाश-
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट में पिछले तीन वषार्ें से आर्थिक मंदी, मूल्य वृद्धि व अपूरणीय घाटे से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि दर की ओर अग्रसर करने की एक सशक्त पहल की गई है। इस बजट की दूसरी प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें किसानों, हस्तशिल्पियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, महिलाओं, सैन्य बलों व अर्द्धसैन्य बलों सहित देश के प्रत्येक छोटे व बड़े वर्ग की अपेक्षाओं को पूरा करने का अधिकतम प्रयास किया गया है।
बजट में राजस्व संसाधनों की कमी के उपरान्त भी राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत पर रख कर सरकार ने आर्थिक व वित्तीय अनुशासन पर अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़तापूर्वक व्यक्त किया है। जबकि संप्रग के शासन में विगत तीन वषार्ें (2013-14, 2012-13 व 2011-12) में केन्द्र का राजकोषीय घाटा देश के सकल घरेलू उत्पाद का क्रमश: 4.़5 प्रतिशत, 4़ 9 प्रतिशत व 5़ 7 प्रतिशत रहा है। इसलिए संप्रग सरकार से विरासत में मिली ऐसी घाटे की अर्थव्यवस्था में मात्र डेढ़ माह में अचानक इससे अधिक कुछ कर लेना सहज नहीं था।
कर राहत
सामान्य मध्यम वर्ग को कभी-कभी आयकर की दरों में कटौती की अपेक्षा रहती है। वर्तमान में हमारे सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में देश का कर-राजस्व अत्यन्त न्यून होने एवं पिछले वर्ष की देयताओं को भी संप्रग सरकार द्वारा 2014-15 के लिए टाल देने से इस बार व्यय भार काफी था। ऐसी परिस्थिति में भी आयकर सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2़ 5 लाख एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2़ 5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर देने से छोटे आयकर दाताओं को पर्याप्त राहत मिली है।
'पब्लिक प्रोविडेन्ट फण्ड' में भी कर मुक्त बचत की सीमा एक लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख कर देने और कुछ अन्य कर राहतों के फलस्वरूप प्रत्यक्ष करों से होने वाली आय में सरकार को लगभग 22,200 करोड़ रुपए नहीं मिलेंगे। लेकिन इससे बचत, निवेश व आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने में सहायता ही मिलेगी। सरकार द्वारा गृह ऋण पर चुकाए जाने वाले ब्याज की आयकर से कटौती हेतु सीमा 1़ 5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर देने से जहां मध्यमवर्गीय लोगों को कर राहत मिलेगी, वहीं देश में आवास निर्माण व तत्सम्बन्धी आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
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उत्पादन में गिरावट रोकने की कोशिश
विगत चार वषार्ें से देश में उत्पादक उद्योगों की वृद्धि दर में निरन्तर गिरावट आ रही थी। वर्ष 2013-14 में उत्पादक उद्योगों की वृद्धि दर ऋणात्मक हो गई थी। उत्पादक उद्योगों में गिरावट का ऐसा दौर विगत 26 वषार्ें में पहली बार आया है। ऐसे में बजट में औद्योगिक वृद्धि को पुन: गति देने के लिए जो अप्रत्यक्ष करों में राहत दी गई है उससे अवसंरचना क्षेत्र और उत्पादक उद्योगों के क्षेत्र, दोनों में ही वृद्धि होगी। उत्पादक उद्योगों में भी लघु उद्योगों को दी गई राहत से रोजगार बढ़ाने वाले लघु उद्योग विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। किसी भी वर्ष में उत्पादन उद्योगों में नए संयंत्र व मशीनरी में 25 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली इकाइयों को 15 प्रतिशत की दर में निवेश भत्ता मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देगा। कई अन्य उद्योग श्रेणियों के लिए भी नए निवेश पर आयकर छूट दी गई है। विद्युत उत्पादन, सम्प्रेषण और वितरण के क्षेत्र में दस वर्षीय कर अवकाश आगामी 31 मार्च, 2017 तक प्रदान करने के प्रस्ताव से देश ऊर्जा सुरक्षा की ओर बढ़ेगा। कुछ मामलों में घरेलू उत्पादन संवर्द्घन के लिए आदायों में जो सीमा शुल्क छूटें दी गई हैं, उससे भी देश में कुछ और उद्योगों का विकास होने की अपेक्षा की जा सकती है। विगत वर्ष में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2012-13 के 4़ 7 प्रतिशत के स्तर के दर से घटकर 1़ 7 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इसके बावजूद सीमा शुल्क में कटौती में सावधानी की आवश्यकता है। वह सावधानी इस बजट में रखी गई है। अनेक अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि पिछले दिनों कालेधन को निर्यात आय के रूप में वापस लाने से चालू खाता घाटा में यह कमी आई है।
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पर्यटन व संस्कृति
पर्यटन पर 500 करोड़ रुपए और तीर्थ स्थानों के विकास पर 1000 करोड़ रुपए का आवंटन भी महत्वपूर्ण कदम है। मथुरा, अमृतसर, गया, कांचीपुरम आदि के लिए 200 करोड़ का प्रावधान, पुरातात्विक महत्व के स्थानों के विकास पर 1000 करोड़ का प्रावधान जैसे प्रस्ताव संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने वाले हैं। पावन नदियों के संरक्षण, इनकी शुद्घता, घाटों के विकास, 'नमामि गंगे' के अन्तर्गत एकीकृत गंगा संरक्षण पर 2037 करोड़ रुपए का प्रावधान सभी धर्मप्राण राष्ट्रवासियों के लिए प्रसन्नतादायक है। अमरनाथ, केदारनाथ आदि विभिन्न तीर्थस्थानों पर 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान भी हमारी संस्कृति के प्रति सम्मान की अच्छी पहल है। पूवार्ेत्तर के विकास के लिए मणिपुर में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना, जैविक कृषि संवर्द्धन प्रस्ताव, रेल संयोजन, अरुण प्रभा जैसे टी़ वी़ चैनल आदि प्रावधान सुदूर पूवार्ेत्तर में विकास को बढ़ावा दंेगे।
बजट में नए बन्दरगाहों व विमान पत्तनों एवं राजमागार्ें के विकास और आन्तरिक नौवहन आदि अवसंरचना परियोजनाओं पर समुचित निवेश प्रावधानों से भी निवेश व रोजागार को बढ़ावा मिलेगा।
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