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म्यांमार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे श्री रामप्रकाश धीर की स्मृति में 28 जून को नई दिल्ली के झंडेवाला स्थित संघ कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने स्व. धीर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने वहां हिंदू और बौद्ध समाज के साथ एकात्मभाव विकसित करने का कार्य किया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। संघ की योजना से वे म्यांमार गए थे। उस समय वहां की परिस्थितियों में उन्होंने काम खड़ा किया। म्यांमार का अधिकांश भाग पहाड़ी है। इस कारण एक से दूसरी जगह जाने में तब भी असुविधा होती थी और आज भी होती है। इस तरह के देश में रहना और संघ कार्य बढ़ाना कोई आसान काम नहीं है। डॉ. ़कृष्ण गोपाल ने कहा कि प्रचारक जीवन के जिस संकल्प को लेकर धीर जी वहां गये थे, उसका अंतिम सांस तक उन्होंने निर्वाह किया। वहां के सारे समाज में उन्होंने अनुकूलता उत्पन्न की। वैदिक परम्परा को मानने वाले अनेक लोग वहां खड़े कर दिए।
श्री श्याम परांडे ने म्यांमार में उनके कार्य के बारे में बताया कि हिन्दू बौद्ध में एक आपसी सहमति बनाने का श्रेय श्री धीर जी को है। उन्होंने महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन पर एक प्रदर्शनी बनाई थी। तब म्यांमार की सरकार ने उनकी पूरी तरह से मदद की, संरक्षण दिया और यह आग्रह किया कि यह प्रदर्शनी म्यांमार के सभी शहरों में लगाई जाए। यह प्रदर्शनी वहां पर खूब लोकप्रिय हुई। बाद में वह थाईलैंड में भी लगाई गई। वहां भी यह लोकप्रिय हुई। इस तरह वहां हिन्दुओं और बौद्धों के बीच आपसी सहमति बऩी। श्रद्धांजलि सभा के समापन पर दो मिनट का मौन रखा गया। बाद में शांति मंत्र का उच्चारण किया गया। प्रतिनिधि
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