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पिछले दिनों उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के ग्राम चाई में 'चाई ग्रामोत्सव-2014' का भव्य आयोजन किया गया। देश-विदेश से सैकड़ों लोग ग्रामोत्सव का हिस्सा बनने चाई पहुंचे और पहाड़ की मीठी यादों को संजोकर अगली बार प्रतिबद्ध भाव से फिर गांव लौटने का संदेश लेकर विदा हुए। चाई पहाड़ का एक छोटा सा गांव है। जब पहाड़ से लोगों के पलायन का सिलसिला थम नहीं रहा है तब 'चाई ग्रामोत्सव' का यह उपक्रम निराशा से घिरे पहाड़ में नई आशा और संभावना का भाव जगाता है। इस आयोजन के फलस्वरूप आज बाहर देश-विदेश गए सैकड़ों लोग वापस अपने मूल गांव लौटने लगे हैं। 'चाई ग्रामोत्सव' वस्तुत: पहाड़ में गांव बचाने का अभियान है। यदि गांव बचे रहेंगे, तो ग्राम्य संस्कृति भी बची रहेगी। चाई महोत्सव की खास बात यह भी है कि आयोजन के तीन दिन यहां मांस-मदिरा का पूर्णतया निषेध रहता है और लोग प्रेमपूर्वक एक साथ एक ही रसोई में पका भोजन ग्रहण करते हैं। ग्रामोत्सव में अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक एवं रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए गए। समारोह का उद्घाटन प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ़ नन्दकिशोर ढौंडियाल 'अरुण' ने किया। इस अवसर पर उन्होंने ग्रामीण संस्कृति पर केंद्रित ग्रंथ 'चाई: एक गांव, एक संस्कृति' का लोकार्पण भी किया। विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता डॉ़ सुजाता रावत ने चाई की पहल को अभिनव एवं प्रेरक बताया। उत्सव के दौरान कलश यात्रा, ग्राम दर्शन, द्वार पूजा एवं भजन संध्या कार्यक्रम आयोजित किए गए। दूसरे दिन 'पहाड़ में कृषि एवं बागवानी-नई संभावनाएं' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में उत्तराखंड के प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ जगवीर सिंह भंडारी, उद्यान विशेषज्ञ सत्यप्रसाद बड़थ्वाल, कर्नल राजेन्द्र बड़थ्वाल ने पहाड़ में खेती व बीज बचाने की वकालत की। इसी दिन प्रख्यात लोक गायिका डॉ़ माधुरी बड़थ्वाल ने 'गढ़वाली गीत-नृत्य' विषय पर कार्यशाला आयोजित की।
ग्रामोत्सव के अंतिम दिन 'ग्राम्य विकास में आम आदमी की भूमिका' विषय पर खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष प्रेम बुड़ाकोटी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने गांव में काम करने की आवश्यकता है। समारोह में चाई की प्रसिद्ध रामलीला का मंचन किया गया। स्थानीय सांस्कृतिक दलों ने अपने भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर हवन यज्ञ एवं भंडारे का भी आयोजन किया गया। कुल मिलाकर तीन दिनों तक 'चाई महोत्सव' में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। ल्ल प्रतिनिधि
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