|
भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति, दिल्ली प्रान्त ने पिछले दिनों 'व्यक्तित्व-विकास एवं शिक्षा' विषय पर परिचर्चा आयोजित की। परिचर्चा में शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री दीनानाथ बत्रा मुख्य वक्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशिष्ट संस्कृत अध्ययन केन्द्र के उपाचार्य डॉ. सन्तोष कुमार शुक्ल विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित थे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति और भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति, दिल्ली प्रान्त के अध्यक्ष प्रो. कपिल कपूर ने परिचर्चा की अध्यक्षता की। इस अवसर पर अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन-सचिव श्री बालमुकुन्द पाण्डेय भी उपस्थित थे।
विषय-प्रवर्तन डॉ. सन्तोष कुमार शुक्ल ने किया। मुख्य वक्ता श्री दीनानाथ बत्रा ने कहा कि जो शिक्षक स्वतन्त्र चिन्तन करता है, वही वास्तव में शिक्षा देता है, जिसका आधार धर्म और ज्ञान होता है। शिक्षा जीवन को पूर्ण बनाती है। शिक्षा अहंकार को छोड़कर उदारता की ओर और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। प्रो. कपिल कपूर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारे आचार-विचार तो अच्छे हैं, पर समाज को देखें तो शिक्षा की कमी पता चलती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का ध्येय सफल व्यक्ति बनाना है, पर यह केवल आर्थिक रूप में रह गया है। उसी व्यक्ति को सफल कहा जा रहा है जो आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न है। श्री बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा का ध्येय 'सा विद्या या विमुक्तये' नष्ट हो गया है और उसके स्थान पर 'सा विद्या या नियुक्तये' हावी हो गया है। इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और भारतीय इतिहास संकलन समिति, उत्तर प्रदेश के संरक्षक श्री अनन्त रामचन्द्र गोखले को श्रद्धाञ्जलि अर्पित की गई। श्री गोखले का कुछ समय पूर्व ही निधन हुआ है।
– प्रतिनिधि
इन्हे भी पढ़े : |
||
खानवेल वनवासी आश्रम में वृक्ष पूजा
|
महाश्रमण जी का केशवकुंज में आगमन
|
कोलकाता में मनी महाराणा प्रताप की जयन्ती
|
देशभर में संघ शिक्षा वर्ग सम्पन्न
|
विहिप का 10 दिवसीय शिक्षा वर्ग
|
टिप्पणियाँ