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आप भाग्यशाली हैं अगर उत्तर प्रदेश में नहीं रहते। यहां रहनेवालों के लिए यह अराजक प्रदेश है। अपराध से त्रस्त और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसती जनता, लेकिन बदायूं ने जो कलंक का टीका उसके माथे पर लगाया है मौजूदा राज्य व्यवस्था के चलते उसे धो पाना आसान नहीं लगता। दो बालिकाओं के साथ बर्बर बर्ताव कर उनको फांसी पर लटकाए जाने की घटना मात्र अपराध भर नहीं है, यह व्यवस्था के ऐसे पतन का संकेत है जहां अपराधियों का दु:स्साहस शासन की क्षमता और उससे भी बढ़कर नीयत पर सवाल उठाने लगता है।
जब चारों तरफ अराजकता क ा ऐसा माहौल हो, आम जन आहत हो, नारी क ा सम्मान सुरक्षित ना हो तब क्या करना, क्या ना करना- इसे भारतीय संस्कृति में स्पष्टता से बताया गया है।
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रामचरितमानस का एक प्रसंग है- जब भगवान श्रीराम बाली का वध करते हैं तो धूर्त बाली मर्यादापुरुषोत्तम को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। श्रीराम जो जवाब देते हैं उसका रामचरितमानस में गोस्वामी जी ने बहुत सुंदर उल्लेख किया है-
अनुज वधू, भगिनी, सुता, सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।।
श्रीराम ने इस तरह साफ कर दिया कि समाज में नारियों का स्थान सबसे ऊपर है और उन पर अत्याचार करने वालों को पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनका वध करने पर किसी प्रकार का पाप नहीं लगता है।
उधर जब बलात्कारियों को फांसी की सजा होती है तो उत्तर प्रदेश सरकार के 'अभिभावक' मुलायम सिंह यादव कहते हैं, 'लड़कों से गलती हो जाती है, तो क्या इसके लिए उन्हें फांसी पर चढ़ा देंेगे।' ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक बलात्कार नहीं हो रहे थे लेकिन मुलायम के बयान को अपराधियों का हौसला बढ़ाने वाला माना गया है। बदायूं कांड की आग के बीच ही बरेली में युवती की दुष्कर्म के बाद बर्बर हत्या और अलीगढ़ में जज तक से दुष्कर्म का मामला उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बदतर हालात की साफ कहानी कहता है।
बदायूं की घटना के बाद दुनियाभर ने मुलायम के बयान की जमकर थू-थू की है। आप यह भी कह सकते हैं कि इस बयान ने मुलायम को अंतरराष्ट्ीय पहचान दी है, और बदायूं कांड ने उत्तर प्रदेश क ो अंतरराष्ट्ीय मानचित्र पर वीभत्स प्रदेश बना दिया है। तमाम एजेंसियों का मानना है कि दुनियाभर के पर्यटक अब उत्तर प्रदेश आने से डर रहे हैं,जबकि विदेशी पर्यटक सबसे
पहले उत्तर प्रदेश में आते रहे हैं, खासकर ताजमहल देखने।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मुलायम के बलात्कारियों की हिमायत वाले बयान की कड़ी आलोचना की है और बदायूं की घटना को विश्व को स्तब्ध करने वाला बताया है। पहले शायद उन्हें कभी मुलायम और बदायूं का भान भी न रहा होगा, पर इन वजहों से दुनिया की निगाह में चढ़ना भारी अपमान और शर्म की बात है। बदायूं की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अमरीका तक ने कहा कि वह यौन हिंसा और हत्या की इन घटनाओं से भयभीत है।
कुल मिलाकर एक असंवेदनशील बयान कितना कुछ कर जाता है इसे समझना जरूरी है। आप यकीन क ीजिए कि उत्तर प्रदेश में ऐसा घर मिलना मुश्किल है जहां से किसी रोज सरकार के लिए बद दुआ न निकलती हो। जनता का कहना है कि लखनऊ को अगर हमारी चिंता नहीं तो एक दिन दिल्ली को हमारी सुननी ही होगी।
-अजय विद्युत
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