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बहुत पुरानी बात है, एक राजा के मंत्री को ईश्वर में बहुत विश्वास था। वह नित्य पूजा करता और ईमानदारी से अपना काम करता। वह अक्सर कहा करता था कि 'ईश्वर जो करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है।' कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर की हम पर कृपादृष्टि नहीं है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता, कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग श्राप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि हम बड़ी पीड़ा से बच सकें। राजा इस बात से बड़ा चिढ़ता था। वह सोचता था कि मंत्री खाता मेरा है, लेकिन मेरी कभी प्रशंसा नहीं करता। जब देखो तब कहता रहता है कि 'ईश्वर जो करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है।' मंत्री बेहद गुणी भी था। इसलिए राजा उसे कुछ कहता नहीं था, बस मन में सोच कर रह जाता था। एक बार राजा अपनी तलवारबाजी का अभ्यास कर रहा था कि अचानक उसकी अंगुली कट गई। राजा दर्द से बिलबिला उठा, मंत्री वहां मौजूद था अचानक उसके मुंह से निकल गया कि 'ईश्वर जो करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है।' ऐसे मौके पर राजा को यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि मंत्री को कारावास में डाल दिया जाए। कारावास में डाले जाने के बाद भी मंत्री ने वही कहा कि 'ईश्वर जो करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है।' महीनों बीत गए, राजा का घाव ठीक हो गया। मंत्री अभी भी कारावास में ही था। एक दिन राजा घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था। राजा घोड़े पर हिरण का पीछा कर रहा था, हिरण का पीछा करते हुए वह भटककर एक जंगली कबीले के क्षेत्र में जा पहुंचा।'
कबीले वालों ने उसे पकड़ लिया। उनके यहां मानव बलि देने की प्रथा थी। लेकिन जैसे ही कबीले वालों के पुजारी ने राजा की बलि चढ़ाने के लिए फरसा उठाया तो उसकी नजर राजा की कटी हुई अंगुली पर पड़ी। वह बोला, 'इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसका शरीर खंडित है। अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। यदि ऐसा हुआ तो हमें महामारी, सूखे और बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।' कबीले वालों ने तत्काल राजा को मुक्त कर दिया। राजा ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और बिना देरी किए अपनी राजधानी में वापस पहुंचा। वह तत्काल कारावास में मंत्री से मिलने गया। उसने मंत्री को कारावास से बाहर निकलवाने का आदेश दिया और कहा, 'मंत्री तुम बिल्कुल सही थे तुम जो कहते थे वह सही कहते थे, मेरे क्रोध की वजह से तुम्हें इतने दिनों तक कारावास का कष्ट झेलना पड़ा, मुझे क्षमा कर दो।' 'मंत्री बोला, 'नहीं …नहीं…राजन, अच्छा ही हुआ जो आपने मुझे कारावास में डलवा दिया। नहीं तो शिकार खेलने जाने के दौरान मैं आपके साथ होता, ऐसे में कबीले वाले आपको तो छोड़ देते लेकिन मेरी बलि चढ़ा देते। इसलिए मैं सदैव कहता हूं कि 'ईश्वर जो करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है।' राजा ने मंत्री को गले से लगा लिया और उसे महामंत्री बना दिया। ल्ल प्रतिनिधि
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