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फिल्मों को शूट करते समय फोटोग्राफर कई कोणों का इस्तेमाल करता है। बाद में कैमरे द्वारा खींचे गए चलचित्रों को एक व्यवस्थित क्रम में सजाया जाता है। यह प्रक्रिया कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि किसी विशेषज्ञ द्वारा ही अंजाम दी जाती है। इन विशेषज्ञों को सिनेमैटोग्राफर तथा इस पूरी प्रक्रिया को सिनेमैटोग्राफी कहा जाता है। सिनेमैटोग्राफी को एक तरह से विजुअल कंपोजर भी कहा जा सकता है। क्योंकि इसमें कई तरह से लिए गए विजुअल्स को एक क्रम दिया जाता है। जो आगे चलकर एक कहानी का रूप धारण कर लेती हैं। सिनेमैटोग्राफी ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसे सिनेमाई भाषा में लिखना समझा जाता है। अर्थात गतिशील चित्रों को देखकर कोई कहानी लिखना। सिनेमैटोग्राफर, फिल्म निर्माण करने वाले दल का निर्देशक के बाद सबसे महत्वपूर्ण सदस्य होता है। आमतौर पर सिनेमैटोग्राफर को डीपी या डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी भी कहा जाता है, क्योंकि वह गतिशील फोटोग्राफी को एक संवेदनशील कथानक का रूप देने में माहिर होता है। लेकिन कोई सिनेमैटोग्राफर जितना कल्पनाशील होता है, उससे कहीं ज्यादा वह मोशन कैमरे की तकनीक का माहिर भी होता है। उसमें शानदार लाइटिंग सेन्स होती है। किस दृश्य पर कितनी और कहां लाइट पड़नी चाहिए। किस लेंस से फोटोग्राफी अच्छी हो सकेगी आदि यह सभी तय करना सिनेमैटोग्राफर का ही काम होता है। उसी के मातहत दूसरे फोटोग्राफर भी काम करते हैं।
आवश्यक शैक्षिक योग्यता
सिनेमैटोग्राफर बनने के लिए विभिन्न संस्थानों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास होना आवश्यक है। जहां तक इस क्षेत्र में अवसरों का सवाल है तो इस करियर में अपार संभावनाएं हैं। देश में बढ़ता मनोरंजन उद्योग सिनेमैटोग्राफरों के लिए अवसरों की बरसात लेकर आया है। देश में हर साल 1200-1500 तक फीचर फिल्में बनती हैं। इससे कहीं ज्यादा टेलीफिल्में, डाक्यूमेंट्री, कमर्शियल फिल्में और विभिन्न किस्म की दूसरी फिल्में और टीवी प्रोग्राम बनते हैं। इन सभी जगहों में सिनेमैटोग्राफरों की आवश्यकता होती है। सैकड़ों की तादाद में शुरू हुए टीवी चैनलों मंे भी सिनेमैटोग्राफरों की डिमांड है। आज देश में ऐसे सैकड़ों स्टूडियो हैं जहां दिन-रात काम होता है। आने वाले कुछ वषार्ें में 400-700 नए फिल्म स्टूडियो अभी आने हैं जिसके चलते सिनेमैटोग्राफरों की मांग होगी।
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मिलने वाला वेतन
जहां तक सिनेमैटोग्राफरों की आय की बात है तो किसी सिनेमैटोग्राफर की औसतन आय 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह होती है। कुछ महीनों तक काम करने के बाद कोई भी सिनेमैटोग्राफर बहुआयामी सिनेमैटोग्राफर में दक्ष हो जाता है। लेकिन अगर सीधे-साधे व्यावहारिक स्तर पर सीखने की यह सुविधा उपलब्ध न हो तो किसी स्कूल या प्रशिक्षण संस्थान से जुड़कर सिनेमैटोग्राफी का प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
करियर के रूप में सिनेमैटोग्राफी
सिनेमैटोग्राफी को अगर करियर के रूप में बनाना चाहते हैं तो कुछ सिनेमैटोग्राफरों से व्यावहारिक रूप से मिलना जरूरी है। वे आपको इस काम के बारे में अधिक जानकारी दे सकते हैं फिल्म प्रशिक्षण संस्थान, कॉलेज फिल्म क्लब, फोटोग्राफी क्लब और फिल्म समारोह आदि कई ऐसे स्थान हैं जहां इनसे मिलना संभव हो पाता है। वे तमाम लोग जो सिनेमैटोग्राफी को करियर के रूप में आजमाना चाहते हैं तो उन्हें फोटोग्राफी में रुचि, तस्वीरों का विजुअल लैंडस्केप का ज्ञान, प्रकृति से प्रेम आदि में माहिर होना चाहिए।
प्रशिक्षण संबंधी जानकारी
फिल्म प्रशिक्षण संस्थान किसी सिनेमैटोग्राफर को तकनीकी प्रशिक्षण देते हैं, लेकिन चित्रों की कल्पना करना, चित्रों को मिलाकर विजुअल लैंडस्केप की रचना करने और उस लैंडस्केप से निकलने वाले संदेश या अर्थ को महसूस करना आदि शामिल है। ल्ल
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