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विजय कुमार
खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचेह्ण एक कहावत है। पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव से पूर्व कई नेता शेर की तरह दहाड़ रहे थे; पर जब परिणाम आये, तो वे चूहे के बिल में जा छिपे। फिर भी उनकी अकड़ नहीं गयी। शायद ऐसे लोगों के लिए यह कहावत बनी है।
हमने ऐसे नेताओं से मिलने का निर्णय लिया। सबसे पहले हम मुलायम सिंह यादव के पास गये। जवानी में वे, जिस अखाड़े में दंड पेलते थे, आज उसी में चारों खाने चित पड़े थे। पूछने पर बोले, ह्यये सब संघ वालों की बदमाशी है। हमेशा से हमारे दो खास समर्थक रहे हैं। एक को उन्होंने हिन्दू-हिन्दू कह कर फंसा लिया और दूसरे तो कभी किसी के सगे हुए ही नहीं; पर विधानसभा में हमारा बहुमत है और हम सरकार चलाते रहेंगे।ह्ण
– पर मुलायम जी, इस बार आपके परिवार को छोड़कर बाकी सब सपाइयों की जबरदस्त सफाई हो गयी?
– हां, हमारी पार्टी और परिवार अब दूध में पानी की तरह मिल गये हैं। यही हमारी ताकत है। इसी के बल पर हमने हाथी की सूंड काट दी है। आप हमारी ये उपलब्धि भी तो देखो।
हम मायावती के घर गये, तो वे एक कागज पर जोड़ घटाना करने में व्यस्त थीं; पर ह्यहिसाब ज्यों का त्यों, कुनबा डूबा क्योंह्ण की तरह हर बार अंत में जीरो बटे अंडा ही आ रहा था। चुनाव की चर्चा चली, तो वे बोलीं, ह्यहमारे वोट कुछ खास कम नहीं हुए; पर अमित शाह की फैलायी अफवाहों की सुनामी से हमारे दल के गरीब और कम पढ़े लिखे लोग भ्रमित हो गये; पर हम उ़ प्ऱ में अगला चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे और नरेन्द्र मोदी को धूल चटा देंगे।ह्ण
बिहार में नीतीश कुमार और शरद यादव पीठ मिलाये बैठे थे। शरद यादव ने सूफड़ा साफ होने के लिए नीतीश को दोष दिया, तो नीतीश का कहना था कि ये आधा समाजवादी और आधा संघी है।
– पर नीतीश, सरकार के मांझी होने के नाते हार का श्रेय तो आपको ही है।
– इसीलिए हमने अब पूरी सरकार ही मांझी को सौंप दी है।
– तो फिर अगले विधानसभा चुनाव में नाव डूबने का दोषी कौन होगा?
– ये लालू यादव से पूछो।
लालू के घर गये, तो वे बीमार मिले। डाक्टर बेटी सुई लगा रही थी। राबड़ी देवी दवा पिला रही थीं। जब भी आंख खुलती, वे बड़बड़ा उठते, ह्यवहां मोदी, यहां भी मोदी, हे राम।ह्ण बेटे ने बताया कि मोदी के जीतते ही हमारी भैंसें भी खुशी में अधिक दूध देने लगी हैं। पिताजी को इस बात से बहुत सदमा लगा है।
वाममार्गियों के कार्यालय में सब रोते हुए ह्यहम होंगे कामयाब एक दिनह्ण गीत गा रहे थे। मुंबई में शरद पवार के घर हो रही बैठक में सब लोग उस घड़ी को देख रहे थे, जो कभी आगे, तो कभी पीछे चलने लगती थी। शरद पवार ने कहा कि हमसे अधिक बुरी गत कांग्रेस की हुई है। इसलिए विधानसभा चुनाव में हम अपना मुख्यमंत्री बनाएंगे। एक बोला – ह्यझोली में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने।ह्ण इस पर सबने उसे धक्का देकर बैठक से निकाल दिया।
हमने दिल्ली में केजरी ह्यआआपाह्ण को ढूंढा; तो वे तिहाड़ में आराम फरमाते मिले। उनके एक खास आदमी ने कहा कि वे अब मुंह दिखाने लायक ही कहां हैं? इसलिए जैसे ही जेल जाने का सुअवसर मिला, वे तुरंत वहां पहुंच गये। जहां तक पंजाब में हुई जीत की बात है, तो चारों सांसद अपने नाम और काम से जीते हैं, केजरीवाल के कारण नहीं। सुना है कि अब वे अपनी अलग ह्यपंजाब आम आदमी पार्टीह्ण (पापा) बना रहे हैं। भविष्य में जब ह्यआआपाह्ण और ह्यपापाह्ण मिलेंगे, तो बड़ा मजा आयेगा। अपना काम समेटने से पहले हमने उस बिल्ले से मिलना भी ठीक समझा, जिसके चक्कर में बिल्लियों की यह दुर्दशा हुई है। हम वहां गये, तो चौकीदार ने बताया कि साहब विदेश गये हैं।
– पर इस समय वे वहां क्या कर रहे हैं?
– वैसे तो मई-जून की गर्मी वे सदा वहीं बिताते थे; पर अब तो उन्हें यहां कुछ काम ही नहीं रहा। सुना है कि वहां कई बिल्लियां उनकी प्रतीक्षा में रहती हैं। उनमें से ही किसी के साथ व्यस्त होंगे। अब कहने और सुनने को क्या बाकी बचा था ?
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